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कई यूरोपीय देशों में एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन पर लगी रोक

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11 मार्च 2021 को, नॉर्वे, डेनमार्क और कुछ अन्य यूरोपीय देशों ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोविड वैक्सीन पर फिलहाल के लिए रोक लगा दी. ये रोक वैक्सीन लगवाने वाले कुछ लोगों में ब्लड क्लॉटिंग की रिपोर्ट के बाद लगाई गई. ऐसी खबरें भी थीं कि वैक्सीन की एक डोज के बाद इटली में एक 50 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई.

IANS की रिपोर्ट के मुताबिक हालांकि, यूरोपीय संघ के दवाइओं के रेगुलेटर ने कहा है कि ऐसा कोई संकेत नहीं कि वैक्सीन का लिंक ब्लड क्लॉट के ज्यादा जोखिम से हो.

“वर्तमान में कोई संकेत नहीं है कि टीकाकरण इन स्थितियों का कारण बना हो, इस वैक्सीन के साइड इफेक्ट की लिस्ट में ये नहीं है. वैक्सीन के लाभ इसके जोखिमों से ज्यादा हैं और थ्रोम्बोम्बोलिक (रक्त वाहिकाओं में क्लॉट) मामलों की जांच जारी रहने के साथ वैक्सीन दिया जाना जारी रह सकता है.”
यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी (EMA) ने 11 मार्च को कहा
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इसमें कहा गया है कि 50 लाख यूरोपीय लोगों में से "थ्रोम्बोम्बोलिक (रक्त वाहिकाओं में क्लॉट) घटनाओं" के 30 मामले सामने आए हैं.

AstraZeneca की कोरोना वैक्सीन पर रोक लगाने की कोई वजह नहीं: WHO

शुक्रवार, 12 मार्च को, विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से भी एक बयान जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि ब्लड क्लॉट के डर से वैक्सीन पर रोक लगाने की कोई आवश्यकता नहीं है.

“हां, हमें AstraZeneca वैक्सीन का इस्तेमाल जारी रखना चाहिए. इसे इस्तेमाल न करने का कोई संकेत नहीं है.”
मार्गरेट हैरिस, WHO प्रवक्ता

एस्ट्राजेनेका ने कहा है कि क्लीनिकल ट्रायल में वैक्सीन की सेफ्टी का बड़े पैमाने पर अध्ययन किया गया था. एक प्रवक्ता ने कहा, "रेगुलेटरों के पास किसी भी नई दवा के अप्रवूल के लिए स्पष्ट और कड़े प्रभावकारिता व सुरक्षा मानक होते हैं."

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क्या हमें चिंतित होने की जरूरत है?

भारत में भी ब्लड थिनर लेने वालों के लिए बहुत भ्रम था, आखिरकार ICMR ने कहा कि चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है, और सभी के लिए वैक्सीन लेना सुरक्षित (लेकिन पहले डॉक्टर से सलाह लेने के बाद) है.

यह यूरोपीय संघ में एक मुद्दा क्यों बन गया है? क्या भारत को, जो इसी वैक्सीन का निर्माण कर रहा है, चिंतित होना चाहिए?

फोर्टिस हॉस्पिटल में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ प्रमोद कुमार स्पष्ट करते हैं, “भारत और यूरोप में ब्लड थिनर पर चिंता बहुत अलग है. यहां, भारत में किसी को भी चिंता नहीं करनी चाहिए और अगर वैक्सीन आपके लिए उपलब्ध है, तो वैक्सीन लेनी चाहिए."

तो समस्या क्या है? “यूरोप में, वैक्सीन को एहतियात के तौर पर रोका गया. रक्त गाढ़ा होने और 50 साल के एक शख्स की वैक्सीन लेने के बाद मौत हो गई थी, जबकि इसका वैक्सीन से कोई संबंध नहीं पाया गया. असल में, रेगुलेटरी बॉडी ने कहा कि दोनों घटनाओं के बीच कोई वैज्ञानिक संबंध नहीं था."

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इटली की मेडिसिन बॉडी ने कहा कि फिलहाल रोक का फैसला "एहतियाती" है, यह कहते हुए कि वैक्सीन और इसके बाद में "गंभीर घटनाओं" के बीच कोई लिंक स्थापित नहीं हुआ है.

अब तक, डेनमार्क, नॉर्वे और आइसलैंड ने एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के इस्तेमाल पर अस्थाई रोक लगाई है. इस बीच, इटली और ऑस्ट्रिया ने एहतियात के तौर पर वैक्सीन के कुछ बैचों का इस्तेमाल करना बंद कर दिया है. इटली और ऑस्ट्रिया में सस्पेंशन में वैक्सीन के विभिन्न बैच शामिल हैं. एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया और लक्जमबर्ग ने भी ऑस्ट्रिया के समान बैच के उपयोग पर रोक लगा दी है.

डॉ. कुमार बताते हैं कि समस्या एक विशेष बैच, ABV 5300 से प्रतीत होती है- वही जिसे ऊपर बताए गए देशों में रोका गया है. “अभी, वे बैच इकट्ठा कर रहे हैं. इसमें संदूषण की संभावना हो सकती है, जिसका मतलब है कि घटना सीधे वैक्सीन से संबंधित नहीं है. यह एक संयोग भी हो सकता है.”

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यूके में, मेडिसिंस एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी (MHRA) ने कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि वैक्सीन के कारण समस्या हुई और लोगों को अभी भी वैक्सीन लगवाने जाना चाहिए.

MHRA के फिल ब्रायन ने कहा, "रक्त के थक्के स्वाभाविक रूप से हो सकते हैं और ये असामान्य नहीं हैं. एस्ट्राजेनेका की COVID-19 वैक्सीन की 11 मिलियन से अधिक खुराक पूरे ब्रिटेन में दी जा चुकी हैं."

ब्लड थिनर्स और COVID वैक्सीन के लिए भारत के नियम

भारत में, SII कोविशिल्ड के रूप में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन का ही निर्माण कर रहा है, तो क्या हमें चिंता करनी चाहिए? "यहां, हमने लगभग 1.5 करोड़ लोगों को एक ही वैक्सीन दी है और किसी में भी इस तरह के मामले की सूचना नहीं मिली है."

भारत में कोरोना के खिलाफ टीकाकरण अभियान शुरू होने के बाद, वैक्सीन निर्माताओं भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने ड्रग रेगुलेटर से अपने टीकों - कोवैक्सीन और कोविशिल्ड को ब्लड थिनर का इस्तेमाल करने वालों के लिए भी मंजूरी दिए जाने की सिफारिश की थी.

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इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के प्रमुख बलराम भार्गव के मुताबिक वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों ने ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से वैक्सीन के इस्तेमाल को लेकर पहले जारी किए गए फैक्ट शीट में बदलाव की मांग की थी.

भार्गव ने बताया था कि दो तरह के ब्लड थिनर होते हैं. एक एंटीप्लेट्स जैसे एस्पिरिन या क्लोपिडोगरेल है, इनका इस्तेमाल करने वाले लोगों के लिए वैक्सीन लेने पर कोई दिक्कत नहीं है. दूसरी कैटेगरी heparan जैसे anticoagulants की है. Heparan लेने वालों को वैक्सीन लगने वाली जगह पर सूजन और दर्द हो सकता है. वैक्सीन लेने के एक या दो दिन पहले यह दवा बंद की जा सकती है.

डॉ कुमार बताते हैं, "ICMR ने कहा है कि जो लोग anticoagulation की एक चिकित्सीय रेंज के अंदर हैं और एंटीप्लेटलेट्स लेने वालों को चिंता करने की जरूरत नहीं है."

कार्डियोलॉजिस्ट डॉ श्रीनाथ रेड्डी बताते हैं, “Anti-coagulant डोज की निगरानी के लिए समय-समय पर INR (अंतर्राष्ट्रीय सामान्यीकृत अनुपात) या पीटी (प्रोथ्रोम्बिन टाइम) का आकलन ब्लड टेस्ट के जरिए किया जाता है. ये टेस्ट सुरक्षित और प्रभावी डोज की पहचान में मदद करते हैं."

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वे कहते हैं, "सार्वजनिक स्वास्थ्य इंग्लैंड की ग्रीन बुक के अनुसार, anticoagulant थेरेपी वाले लोग कोविड-19 वैक्सीन लगवा सकते हैं, अगर INR चिकित्सीय सीमा के ऊपरी स्तर से नीचे है. यह सिफारिश की जाती है कि इंजेक्शन को एक महीन गेज सुई (23 या 25 गेज) के साथ बनाया जाए और दो मिनट के लिए इंजेक्शन साइट पर दबाव लागू किया जाए. अगर थक्कारोधी स्थिति के बारे में संदेह है, तो व्यक्ति को समीक्षा और सिफारिश के लिए इलाज कर रहे चिकित्सक के पास भेजा जाता है. हालांकि, एंटी प्लेटलेट्स दवाओं वाले व्यक्तियों के लिए कोई सावधानी संबंधी दिशा-निर्देश निर्धारित नहीं किए गए हैं, सुई के संबंध में और इंजेक्शन साइट के लिए वही समान सावधानी बरती जा सकती है. ब्लड क्लॉट की रोकथाम करने वाली दवाइयों की तुलना में एंटीप्लेटलेट ड्रग्स के लिए रक्तस्राव या हेमेटोमा का जोखिम किसी भी मामले में कम है."

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ब्लड थिनर्स क्या होते हैं?

डॉ श्रीनाथ रेड्डी फिट के लिए अपने एक आर्टिकल में लिखते हैं कि ऐसी बहुत सी दवाइयां हैं, जो ब्लड थिनर की कैटेगरी में आती हैं.

“वे शरीर या हृदय की रक्त वाहिकाओं में ताजा रक्त के थक्कों को रोकने या तोड़ने का काम करती हैं. इन्हें वो दवाइयां समझ सकते हैं, जो ब्लड क्लॉट को बनने से रोकने या उसे धीमा करती हैं.”
डॉ श्रीनाथ रेड्डी

वह कहते हैं, "आमतौर पर इस शब्द के तहत वर्गीकृत दवाइयां दो प्रकार की होती हैं- एंटी-प्लेटलेट ड्रग्स और anticoagulants."

एंटी-प्लेटलेट्स

  • एंटी प्लेटलेट्स प्लेटलेट्स नाम की उन रक्त कोशिकाओं के खिलाफ काम करती हैं, जो मिलकर क्लॉट का निर्माण शुरू करती हैं.
  • इसके उदाहरणों में एस्पिरिन, क्लोपिडोग्रेल, डिपाइरिडामोल, टिक्लोपिडीन, प्रसुग्रेल और इप्टिफिबेटाइड शामिल हैं. कोरोनरी हृदय रोग या सेरेब्रोवास्कुलर रोग वाले कई लोग एस्पिरिन या क्लोपिडोग्रेल या दोनों दवाइयां लेते हैं.
  • ये दवाइयों उन लोगों के लिए भी लिखी जाती हैं, जिनमें हार्ट अटैक या स्ट्रोक के कई रिस्क फैक्टर देखे जाते हैं. जिन लोगों को स्टेंट लगाया जाता है, उन्हें भी एंटी-प्लेटलेट्स दवाइयां दी जा सकती हैं.

एंटीकोआगुलंट्स (Anticoagulants):

  • वो दवाइयां ब्लड क्लॉट की रोकथाम में मदद करती हैं.
  • इसके उदाहरणों में एपरिन, वारफारिन, एकेनोकौमरोल, रिवेरॉक्साबैन, डाबीगाट्रान, एनोक्सापारिन, एपिक्सैबन, एडोक्साबैन और फोंडापैरिनक्स शामिल हैं.
  • अलग-अलग एंटी-कोगुलेंट्स अलग जमावट कारकों के साथ हस्तक्षेप करती हैं.
  • इनमें से कुछ इंजेक्शन योग्य हैं, जबकि अन्य को ओरल टैबलेट के रूप में लिया जा सकता है.
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ब्लड थिनर और COVID

अब ऊपर बताए गए गंभीर रोगों वाले लोग, जो संभवतः अपने रोगों को नियंत्रित करने के लिए बताई गई दवाओं का सेवन करते हैं, ऐसे लोगों को कोरोना संक्रमण से गंभीर बीमारी या मौत का अधिक जोखिम होता है.

इससे यह समझ में आता है कि ऐसे लोगों को वैक्सीन की सबसे अधिक आवश्यकता हो सकती है. फिर दोनों तरह के ब्लड थिनर और COVID वैक्सीन के बीच क्या लिंक है?

डॉ रेड्डी कहते हैं,

“हालांकि, वैक्सीन निर्माताओं की ओर से कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है, कुछ डॉक्टरों ने अत्यधिक रक्तस्राव या हेमटोमा के गठन को रोकने के लिए आवश्यक सावधानी के तौर पर ब्लड थिनर का इस्तेमाल करने वाले व्यक्तियों को इससे बाहर रखने की व्याख्या का प्रयास किया है. यह डर कितना जायज है? दुनिया भर में लाखों हृदय रोगी, जो एंटी-प्लेटलेट दवाओं पर हैं, उन्हें इन्फ्लूएंजा के टीके दिए जाते हैं. उनमें से कुछ को न्यूमोकोकल वैक्सीन इंजेक्शन मिलते हैं.”

डॉ कुमार ने कहा, "इन दवाइयों पर वे लोग हैं, जो गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं और इसलिए उन्हें वैक्सीन की जरूरत है."

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कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच वैक्सीन पर रोक

एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन पर ऐसे समय में रोक लगी है, जब यूरोप में मामले फिर से बढ़ रहे हैं: चेक गणराज्य, हंगरी, एस्टोनिया, स्लोवाकिया, इटली, फ्रांस, पोलैंड और स्वीडन ने हाल ही में औसतन नए दैनिक मामलों में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी है. एक रिपोर्ट है कि यूरोपियन यूनियन ने पिछले हफ्ते में 800,000 से अधिक नए कोरोना वायरस के मामलों को दर्ज किया है, जो सात दिनों से पहले लगभग 5.8% की वृद्धि है.

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