दिल्ली के अस्पतालों में आईसीयू बेड की उपलब्धता पर दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में अभी भी आईसीयू बेड उपलब्ध हैं, लोगों को प्राइवेट हॉस्पिटल में दिक्कतें हो रही हैं.
लोग सरकारी हॉस्पिटल से ज्यादा प्राइवेट हॉस्पिटल जाना पसंद करते हैं, इसलिए प्राइवेट अस्पतालों में वे दिक्कतें झेल रहे हैं.सत्येंद्र जैन, स्वास्थ्य मंत्री, दिल्ली
उन्होंने बताया कि कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर दिल्ली सरकार के अस्पतालों में 500 और प्राइवेट अस्पतालों में 685 कोविड बेड बढ़ाए गए हैं.
राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना वायरस संक्रमण की एक और लहर देखी जा रही है और यहां के अस्पतालों में पहुंचने वाले रोगियों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है.
संक्रमण के साथ ही दिल्ली में वायु प्रदूषण भी बढ़ने लगा है, जो कि राजधानी के लोगों के लिए दोहरी मार के तौर पर देखा जा रहा है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी स्वीकार किया है कि संक्रमण की यह 'तीसरी लहर' है, जो राष्ट्रीय राजधानी को प्रभावित कर रही है.
आंकड़े बताते हैं कि शहर भर के अस्पतालों में पर्याप्त संख्या में बेड उपलब्ध नहीं हैं. दिल्ली सरकार की कोरोना को लेकर बनाई गई एप्लिकेशन के अनुसार पूरे शहर में वेंटिलेटर के साथ केवल 26 प्रतिशत आईसीयू बेड ही खाली हैं. वेंटिलेटर के बिना 23 प्रतिशत ही आईसीयू बेड खाली हैं, जबकि सामान्य कोविड-19 बेड भी केवल 51 प्रतिशत ही उपलब्ध हैं.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कह चुके हैं कि कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन और आईसीयू बेड में वृद्धि के साथ चिकित्सा के बुनियादी ढांचे में बदलाव किया जाएगा.
(इनपुट- आईएएनसस, एएनआई)
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