"कॉलेज में साथी (स्टूडेंटस) मुझे चिढ़ाते थे, काउंसलिंग वाले डॉक्टर ने मुझे समझाया कि ये पागलपन है, लेकिन मुझे लगता है कि मैं जैसा हूं, वैसे ही बता रहा हूं, तो उन्होंने मेरा इलाज करने से मना कर दिया. उस दिन मैंने ठाना कि मैं अपनी लड़ाई खुद लड़ूंगा", ये बात 26 वर्षीय राजन सिंह ने क्विंट हिंदी से कही.
राजन सिंह ने दक्षिण दिल्ली लोकसभा सीट से पहले थर्ड जेंडर उम्मीदवार के तौर पर शुक्रवार (3 मई) को अपना नामांकन पत्र दाखिल किया.
धोती, टोपी और सोने के आभूषण पहने राजन सिंह साकेत स्थित दक्षिणी दिल्ली के रिटर्निंग अधिकारी के कार्यालय में नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए अकेले पहुंचे. इस दौरान उन्हें देख सब दंग रह गए.
राजन सिंह ने क्विंट हिंदी से कहा, "ये नंगा बदन नहीं, ये हमलोगों की पहचान बना दी गई है कि हम लोग नंगे रहते हैं. कोई कहता है कि हम रेड लाइट पर भीख मांगते हैं या फिर सोचते हैं कि हम सिर्फ यौन कर्मी हैं."
लोकसभा चुनाव लड़ने को लेकर राजन ने कहा, "कल मेरे जीवन का सबसे बड़ा दिन है क्योंकि जहां से हम लोगों का अधिकार (कानून) बनता है, वहां के लिए मैंने अपना पर्चा (नामांकन) दाखिल किया."
राजन सिंह कौन हैं?
राजन का जन्म 28 जून, 1997 को दिल्ली में हुआ था. उनके पिता लक्ष्मण सिंह और मां मालती देवी, दोनों बिहार के छपरा में रहते हैं. पिता बिजली का काम करते हैं, जबकि मां गृहिणी हैं.
उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई गवर्नमेंट बॉयज सीनियर सेकेंडरी स्कूल, डॉ अम्बेडकर नगर से की. जबकि आर्यभट्ट कॉलेज दिल्ली यूनिवर्सिटी से स्नातक की शिक्षा ली है.
उनकी तीन बहनें भी हैं, जिनकी शादी हो चुकी है. फिलहाल राजन दिल्ली के संगम विहार में अकेले रहते हैं.
राजन सिंह वर्तमान में दिल्ली सरकार के अल रिजवी टीबी सेंटर एनटीपीसी बदरपुर के चेयरमैन हैं. इससे पहले दिल्ली पुलिस जिला स्तरीय समिति (दक्षिण-पूर्व) के सदस्य और भारत सरकार के पूर्व राज्य मंत्री (नागमणि कुशवाहा) के कार्यालय में निजी सचिव भी रह चुके हैं.
"हमारे साथ भेदभाव होता है"
अपने साथ हुई घटनाओं का जिक्र करते हुए राजन ने कहा कि हमारे साथ हर जगह भेदभाव होता है. मेट्रो में महिला-पुरूष एक साथ बैठने में कंफर्टेबल होते हैं, उनके लिए सीट भी अलॉट है लेकिन हमारे साथ लोग बैठने में हिचकते हैं, उनके चेहरे पर अजीब तरह की शिकन होती है.
"आजादी के 75 साल हो गए हैं लेकिन हमारे लिए कोई सुविधा नहीं है. 2014 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, जिसमें थर्ड जेंडर को मान्यता दी गई थी, हमें थोड़ी राहत मिली है. लेकिन आप देखिए क्या हमारे प्रतिनिधि कहीं है?
पुलिस स्टेशन में एक वॉलंटियर तक नहीं है. संसद में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण हैंलेकिन हमारे लिए कुछ नहीं. हमारी आवाज कौन उठाएगा? हमारे हक की बात कौन करेगा?"
"हम जातीय नहीं जेंडर की बात कर रहे हैं. हमारे लिए अगर कोई रास्ते नहीं बनाएंगें, जिससे हम एडजस्ट हो सकें, तो कैसे काम चलेगा."
राजन ने कहा कि पिछले महीने मेरे ऊपर तीन बार-12 अप्रैल को पुल पहलादपुर, 14 को बदरपुर में और 30 अप्रैल को साकेत में- हमला हुआ. इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट में 29 अप्रैल को मुझे सुरक्षा देने का आदेश पारित किया. लेकिन आज तक मुझे कोई सुरक्षा नहीं मिली.
"मैं पुलिस विभाग के सभी उच्च अधिकारियों के पास गया. मैंने ज्वाइंट सीपी से लेकर डीसीपी तक बात की, लेकिन उनका कहना है कि हमारे पास स्टाफ नहीं है. बताइए क्या ऐसा बीजेपी और कांग्रेस प्रत्याशी के साथ होता. अगर हमारे लोग भी पुलिस, कोर्ट में होते तो हमें भी हमारा अधिकार मिलता."राजन सिंह, निर्दलीय प्रत्याशी
उन्होंने एक घटना का जिक्र करते हुए कहा, "2017 में जब सबको पता चलने लगा कि मैं ट्रांसजेंडर हूं तो मेरे कॉलेज में मुझे एग्जाम में बैठने से रोक दिया गया. इसके बाद पटियाला हाउस कोर्ट ने मेरे पक्ष में फैसला दिया, जिसके बाद मैं परीक्षा में शामिल हो पाया."
"BJP में शामिल होने का था ऑफर"
राजन ने बताया, "2022 में मेरे काम को देखकर मुझे यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने बुलाया था और कहा था कि आप अच्छा काम कर रहे हैं. 2022 में ही मुझे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुलाया और कहा कि आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं और पार्टी में शामिल हो जाइए. लेकिन मेरा कहना था कि आप "राष्ट्रीय ट्रांस-जेंडर आयोग" का गठन कर दीजिए."
"मेरा तर्क है कि मैं कैसे शामिल हो जाऊं, मेरी पहचान क्या होगी, इसलिए मैंने मना कर दिया."
2016 में राजन ने आर्यभट्ट कॉलेज के छात्रसंघ चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर संयुक्त सचिव के पद पर जीत हासिल की थी. इसके बाद उन्हेंने तात्कालीक केंद्रीय मंत्री और एलजेपी (अविभाजित) के अध्यक्ष रामविलास पासवान ने अपनी पार्टी में शामिल करा लिया था. और बाद में उन्हें दिल्ली के एलजेपी छात्र और युवा यूनिट का अध्यक्ष बना दिया. लेकिन 2018 में राजन ने एलजेपी छोड़ दी.
"मैंने रामविलास पासवान से भी मांग की थी कि 'राष्ट्रीय ट्रांस-जेंडर आयोग' का गठन करवाईए लेकिन उन्होंने इस पर सहमति नहीं दी, जिसके बाद मैंने पार्टी छोड़ दी."
राजन की राह कितनी कठिन?
राजन सिंह ने बताया कि दक्षिण दिल्ली में केवल 335 थर्ड जेंडर के वोटर्स हैं. ऐसे में वो चुनाव कैसे जीतेंगे इस पर राजन ने कहा, "दक्षिण दिल्ली के लोग लंबे समय से कांग्रेस और बीजेपी को जीताते आए हैं. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. आज भी लोग गंदा पानी पीने को मजबूर हैं."
"यहां मूलभूत सुविधाओं की दिक्कत हैं. मेरी मां जब यहां रहती थी तो वो गंदा पानी भर कर लाती थी, पानी भी 10-15 दिन में एक बार आता है, मैं वही पीकर बड़ा हुआ है. ऐसे में मैं यहां की समस्या को अच्छी तरह से समझता हूं और प्रचार के दौरान लोगों से मिल रहा प्यार बता रहा है कि वो मेरे साथ हैं."राजन सिंह, निर्दलीय प्रत्याशी
राजन सिंह ने कहा कि जानवरों की सुरक्षा के लिए भी पशु कल्याण बोर्ड हैं लेकिन थर्ड जेंडर के लोगों के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे में "अगर मैं जीतता हूं, तो मैं तीसरे लिंग के लिए बुनियादी जरूरतों को पूरा करूंगा."
उन्होंने आगे कहा, "मैं लोगों के साथ-साथ तीसरे लिंग के व्यक्तियों के लिए अलग नागरिक सुविधाओं की कमी के कारण होने वाली समस्याओं और उनकी सामाजिक स्वीकृति और अधिकारों के लिए लड़ रहा हूं."
राजन को साल 2022 में ट्रांसजेंडर आईडी कार्ड और 2024 में भारत के चुनाव आयोग ने उन्हें पहला ट्रांसजेंडर चुनावी प्रमाणपत्र जारी किया.
वो कहते हैं कि मैं दोनों प्रत्याशी (बीजेपी और आम आदमी पार्टी) से अधिक पढ़ा लिखा हूं. "मैं किसी से भेदभाव नहीं कर सकता है. मैं जहां प्रचार करने जाता हूं वहीं, घर में सो जाता हूं. अब लोगों के हमारे लिए बहुत प्यार उमड़ता है."
मैं हारूं या जीतूं, किसी की भी सरकार आए लेकिन उसे 3 से 6 माह में नेशनल ट्रांसजेंडर कमिशन बनाना पड़ेगा, क्योंकि ये हमारी पहचान है.राजन सिंह, निर्दलीय प्रत्याशी
चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध डेटा के अनुसार, राजन सिंह ने अपने शपथपत्र में "एक लाख रुपए नकद और 200 ग्राम सोना और एक बैंक खाते में 10,000 रुपए से अधिक सहित कुल 15.10 लाख रुपए की चल संपत्ति" घोषित की है.
चुनावी हलफनामे में राजन सिंह ने कोई अचल संपत्ति घोषित नहीं की.
राजन का गांरटी कार्ड
राजन सिंह ने कहा कि हमने गारंटी कार्ड घोषित किया है, जिसमें साफ लिखा है कि 6 महीने के अंदर सभी बोरवेल में वाटर फिल्टर लगेगा. 25 हजार सभी युवाओं को जिसमें (थर्ड जेंडर भी शामिल हैं) को नाइट गार्ड की नौकरी मिलेगी.
उन्होंने कहा कि मैंने गारंटी कार्ड में लिखा है कि जीतने के बाद सरकार से मांग करेंगे की सभी बुजुर्गों खासकर थर्ड जेंडर के लोगों को 5 हजार रुपए पेंशन दी जाए.
बता दें कि दिल्ली की सभी सात सीटों पर 25 मई को वोटिंग हैं. इस बार बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद का टिकट काट रामवीर सिंह बिधूड़ी को मैदान में उतारा है, जबकि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन में यह सीट AAP के खाते में गई है, जहां से सहीराम पहलवान मैंदान में हैं.
2019 में बीजेपी के रमेश बिधूड़ी ने आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा को 3.5 लाख के अधिक वोटों से हराया था.
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