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यूपी में कोरोना के मामलों में तेजी, जानें सरकार की क्या है तैयारी

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उत्‍तर प्रदेश (यूपी) में बीते कुछ दिनों से कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. जनवरी के मध्‍य से कोरोना के नए मामलों में रोजाना गिरावट देखने को मिल रही थी, लेकिन मार्च आते-आते मामले हर द‍िन तेजी से बढ़ने लगे हैं. इसे लेकर यूपी सरकार भी अलर्ट मोड में है और पुरानी व्‍यवस्‍थाओं को फिर से बहाल किया जा रहा है.

यूपी में फरवरी से मार्च के मध्‍य तक हर द‍िन 100 के आस पास कोरोना के नए मामले आ रहे थे. 16 मार्च को कोरोना के नए मामलों की संख्‍या 200 पार कर गई और महज 7 दिन बाद 22 मार्च को यह 500 पार गई.

तारीख : नए मामले

15 मार्च : 151

16 मार्च : 228

17 मार्च : 261

18 मार्च : 321

19 मार्च : 393

20 मार्च : 442

21 मार्च : 496

22 मार्च : 542

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अलर्ट पर कोविड अस्‍पताल, शुरू हुई सेवाएं

यूपी में 22 मार्च तक 3,396 एक्‍ट‍िव मामले थे, जिसमें सबसे ज्‍यादा लखनऊ में 761 मामले थे. लखनऊ अभी यूपी में कोरोना के नए मामलों का सेंटर बना हुआ है, क्‍योंकि यूपी में सबसे ज्‍यादा नए मामले लखनऊ से ही आ रहे हैं. इस स्‍थ‍िति के मद्देनजर प्रशासन ने लखनऊ के लोकबंधु और रामसागर मिश्र अस्‍पताल को फिर से कोविड अस्पताल बना दिया है. इसके साथ ही प्रदेश के अन्‍य कोविड अस्‍पतालों को भी अलर्ट मोड में रखा गया है.

कोरोना के मामले जब कम आ रहे थे तो प्रदेश के बहुत से कोविड अस्‍पतालों की सेवाएं बंद कर दी गई थीं. अब मामले बढ़ने के साथ ही इन्‍हें फिर से सेवाएं शुरू करने का आदेश दिया जा रहा है. यूपी में एल-1, एल-2 और एल-3 श्रेणी म‍िलाकर कुल बेड की संख्‍या 1,01,236 है, जो फिलहाल पर्याप्‍त मालूम देती है.

एल-1 श्रेणी के अस्पताल में हल्‍के लक्षण वाले मरीजों को रखा जाता है, एल-2 में मध्‍यम लक्षण वाले और एल-3 में गंभीर मरीजों को रखा जाता है. इसके अलावा बिना लक्षण वाले मरीज होम आइसोलेशन में भी रहते हैं. यूपी में एल-1 श्रेणी के 403 अस्पताल, एल-2 श्रेणी के 75 अस्पताल और एल-3 श्रेणी के 25 अस्पताल हैं, इनमें बेड की संख्‍या क्रमश: 72,934 बेड, 16,212 बेड और 12,090 बेड है.

सरकार की क्‍या तैयारियां?

कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर क्‍या तैयारियां हैं? इस बारे में यूपी के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक, डॉ. देवेंद्र सिंह नेगी फिट से बताते हैं,

"हमने फोकस टेस्‍टिंग बढ़ा दी है. इसके अलावा कान्‍टैक्‍ट ट्रेसिंग पर जोर दिया जा रहा है. होम आइसोलेशन में ज्‍यादा मरीज हैं तो कमांड कंट्रोल सेंटर से उनसे संपर्क किया जा रहा है. इसके साथ ही हमने अस्‍पतालों को अलर्ट पर रखा है. सारे प्रयास हैं कि कोई कमी न रहे. हम पूरी तैयारी में हैं कि हर स्‍थ‍िति को कंट्रोल किया जा सके."

वहीं, सोमवार (22 मार्च) को मुख्‍यमंत्री योगी आद‍ित्‍यनाथ ने भी कोरोना की रोकथाम के लिए उच्‍च स्‍तरीय बैठक की. बैठक में होली के साथ दूसरे त्‍योहारों के बीच कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर विशेष सतर्कता बरतने के न‍िर्देश दिए. इसके अलावा बैठक में 1 से 8 तक के स्‍कूलों को 24 से 31 मार्च तक बंद रखने का फैसला लिया गया. हालांकि इसे होली अवकाश का नाम दिया गया है.

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इस मीट‍िंग की अलगी रोज (23 मार्च) सरकार ने कोविड को लेकर एक गाइडलाइन भी जारी कर दी है. इसमें पुरानी व्‍यवस्‍थाओं को फिर से बहाल करने जैसी तमाम बाते हैं.

गाइडलाइन में खास तौर से कॉन्‍टैक्‍ट ट्रेसिंग पर जोर दिया गया है. पॉजिट‍िव पाए गए व्‍यक्‍ति के संपर्क में आए 25 से 30 लोगों को 48 घंटे के अंदर-अंदर ट्रेस करने की बात कही गई है. इसके अलावा 60 साल से अधि‍क उम्र के व्‍यक्‍तियों, 10 साल से कम उम्र के बच्‍चों और गंभीर बीमारियों से ग्रसित व्‍यक्‍तियों का विशेष ध्‍यान रखना, टेस्‍ट‍िंग पर जोर, बस अड्डों और रेलवे स्‍टेशन पर सघन कोविड जांच जैसी बातें भी शामिल हैं.

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क्‍यों बढ़ रहे कोरोना के मामले?

एक सवाल यह भी उठता है कि इस वक्‍त एकदम से कोरोना के मामले क्‍यों बढ़ने लगे हैं? इस बारे में कोई साफ-साफ तो नहीं बता पाता, लेकिन एक्‍सपर्ट्स का मानना है कि लोगों द्वारा की गई लापरवाही एक बड़ी वजह है.

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक, डॉ. देवेंद्र सिंह नेगी कहते हैं, "लोग बिल्‍कुल ही अनुशासन का पालन नहीं कर रहे हैं. सड़क पर बहुत कम लोग मास्‍क लगा रहे हैं. जबकि मास्‍क बहुत जरूरी है और इसका कड़ाई से पालन होना चाहिए."

लखनऊ के लोकबंधु अस्‍पताल में डॉ. रूपेंद्र कुमार का भी मानना हे कि लोगों को लापरवाही की वजह से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं.

"लोगों में कोविड के नियमों को लेकर एक थकान नजर आती है. मास्‍क और दो गज की दूरी जैसे उपाय अब कोई नहीं अपना रहा. इस ढ‍िलाई और लापरवाही का नतीजा है कि अब मामले फिर से बढ़ रहे हैं."
डॉ. रूपेंद्र कुमार, लोकबंधु अस्‍पताल, लखनऊ

डॉ. रूपेंद्र कहते हैं, "जब मामले कम आ रहे थे, तब भी लगभग उतनी ही जांच हो रही थी जितनी अब हो रही है. ऐसे में जांच के सैंपल का पॉजिट‍िव रेट बढ़ा है. अब त्‍यौहार भी आ रहे हैं और लोग मानेंगे नहीं तो मामले और बढ़ सकते हैं. हालांकि पिछले साल के एक्‍सपीरियंस की वजह से हेल्‍थ वर्कर्स तैयार हैं."

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वैक्‍सीनेशन का काम जारी

इस बीच उत्‍तर प्रदेश में कोविड वैक्‍सीनेशन का काम भी चल रहा है. वैक्‍सीनेशन के बारे में यूपी के चिकित्‍सा एवं स्‍वास्‍थ्‍य के अपर मुख्‍य सचिव अमित मोहन प्रसाद ने 22 मार्च की प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में बताया कि प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज, जिला अस्‍पताल, सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र पर सप्‍ताह के 6 दिन (सोमवार-शनिवार) कोविड वैक्‍सीनेशन चल रहा है. इसके अलावा प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र पर सोमवार, गुरुवार और शुक्रवार को कोविड वैक्‍सीन लगाई जा रही है. यूपी में अब तक 40 लाख से ज्‍यादा कोविड वैक्‍सीन की डोज लगाई जा चुकी है.

इसके साथ ही यूपी सरकार 18 से 45 साल के लोगों का टीकाकरण करने की योजना भी बना रही है. इससे जुड़ा प्रस्‍ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है. केंद्र को भेजे गए प्रस्ताव में कहा गया है कि 18 से 45 आयु वर्ग के उन युवाओं को भी कोविड-19 वैक्सीन लेने की अनुमति देनी चाहिए, खासकर जिन्हें टाइप-1 डायबिटीज, उच्च रक्तचाप की समस्या या दिल की बीमारी हो.

(रणविजय सिंह, लखनऊ में स्वतंत्र पत्रकार हैं. इनके काम के बारे में और जानकारी यहां ली जा सकती है.)

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