कोरोना वायरस डिजीज-2019 के इलाज और इस वायरल संक्रमण से बचाव में आने वाले समय में आयुर्वेद की क्या भूमिका हो सकती है, ये तय करने के लिए मिनिस्ट्री ऑफ आयुष की ओर से जल्द ही चार आयुर्वेदिक दवाइयों पर ट्रायल शुरू होने जा रहा है.
आयुष मंत्री श्री श्रीपद येसो नाइक ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है कि आयुष मंत्रालय और CSIR COVID-19 के खिलाफ चार आयुष फॉर्म्यूलेशन के प्रभाव पर काम कर रहे हैं और इसका ट्रायल एक हफ्ते में शुरू हो जाएगा. इन आयुर्वेदिक दवाओं का ट्रायल ऐड-ऑन थेरेपी के तौर पर होगा.
इसमें अश्वगंधा, यष्टिमधु, गुडूची+पिप्पली और एक पॉली हर्बल फॉर्मूलेशन (आयुष-64) का अध्ययन शामिल है.
आयुष मंत्रालय ज्यादा जोखिम वाली आबादी में COVID-19 संक्रमण की रोकथाम के लिए भी आयुर्वेदिक उपायों के प्रभाव का पता लगाने के लिए जनसंख्या आधारित अध्ययन शुरू कर रहा है.
आयुष उपायों पर आधारित स्टडीज की औपचारिक लॉन्चिंग बीते 7 मई को की गई.
जिन आयुर्वेदिक दवाइयों पर क्लीनिकल ट्रायल की शुरुआत की जा रही है, उनका आयुर्वेद में क्या प्रयोग होता है, ये जानने के लिए फिट ने निरोगस्ट्रीट के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ अभिषेक गुप्ता बात की है.
इन औषधियों के बारे में डॉ गुप्ता बताते हैं:
अश्वगंधा
अश्वगंधा शरीर और मस्तिष्क के लिए कई लाभ प्रदान करता है. जैसे: यह मस्तिष्क के कार्यों में वृद्धि करता है, शरीर में कोर्टिसोल हॉर्मोन के स्तर को बढ़ा सकता है. चिंता और अवसाद के लक्षणों से लड़ने में मदद करता है.
यष्टिमधु यानी मुलेठी
हिंदी में यष्टिमधु को 'मुलेठी' के नाम से भी जाना जाता है. इसमें मौजूद कई घटक एंटीऑक्सिडेंट होते हैं और यह विटामिन बी और ई का भी एक अच्छा स्रोत है.
आयुर्वेद में इसका प्रयोग खांसी, जुकाम और अन्य तरह की श्वसन (ब्रोन्कियल) से जुड़ी परेशानियों के उपचार में किया जाता है, मुख्यतः इसकी जड़ का प्रयोग करते हैं.
गुडूची यानी गिलोय
गुडूची / गिलोय का उपयोग शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) को बढ़ाने में किया जाता है, इसके साथ-साथ यह पुराने बुखार, सांस, स्ट्रेस व पाचन से जुड़ी समस्याओं में लाभदायक होती है.
पिप्पली
पिप्पली का प्रयोग शरीर में मौजूद दूषित चीजों के पाचन के लिए किया जाता है, शरीर में होने वाले शोथ / सूजन में बेहद कारगर होती है, सांस, खांसी, बुखार व पेट से जुड़ी समस्याओं में यह लाभदायक होती है.
आयुष 64
इस दवा में 4 तरह की आयुर्वेद औषधियां होती हैं: सप्तपर्ण, कटुकी, किराततिक्त और कुबेराक्ष - यह दवाई विशेष रूप से विषम ज्वर (बिगड़े हुए बुखार जैसे मलेरिया) में बेहद प्रभावी होती है.
भारत सरकार की आयुर्वेद से जुड़ी रिसर्च काउंसिल- CCRAS (सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेद साइंस) के द्वारा इसके ऊपर एक विस्तृत रिसर्च की गई है, जिसमें इसकी प्रभावशीलता को 1442 मलेरिया पॉजिटिव रोगियों पर आजमाया गया है, लगभग 89% रोगियों पर इसके सकारात्मक परिणाम मिले थे.
इन सभी औषधियों का सेवन सिर्फ रजिस्टर्ड आयुर्वेद चिकित्सक की देखरेख में ही करें, इन औषधियों के कई विपरीत दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं. इसलिए स्वयं से कोई प्रयोग न करें.डॉ. अभिषेक गुप्ता, सीएमओ, निरोगस्ट्रीट
आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने एक फेसबुक लाइव वीडियो में साफ किया है कि फिलहाल ये दावा नहीं किया जा रहा है आयुर्वेद में कोरोना का इलाज खोज लिया गया है या आयुर्वेदिक दवाइयां वायरस को डिएक्टिवेट कर सकती हैं.
उन्होंने कहा, "हम ये कतई नहीं कह रहे, लेकिन हम जरूर देखना चाहेंगे कि COVID-19 पर इसका क्या असर है. प्रीक्लीनिकल स्टडीज और क्लीनिकल एक्सपेरिमेंट में हम इन दवाइयों का असर देखना चाहते हैं."
वैद्य कोटेचा ने बताया कि हम ये देखना चाहते हैं:
ये दवाइयां वायरस को डिएक्टिवेट करने का काम कर सकती हैं या नहीं, क्या इनमें बीमारी से बचाने का संभावित प्रभाव है या नहीं, क्या ये औषधियां ऐड-ऑन के रूप में दे सकते हैं, क्या प्रोफिलैक्सिस के रूप में दे सकते हैं, क्या इनको देने से हॉस्पिटल में भर्ती रहने का टाइम घट हो सकता है, क्या हम मरीजों को जटिलताओं से बचा सकते हैं?
इन चार कैंडिडेट (अश्वगंधा, यष्टिमधु, गुडूची+पिप्पली और आयुष 64) पर दो तरह के प्रोटोकॉल बनाए गए हैं:
- ऐड-ऑन थेरेपी- एलोपैथिक दवाओं द्वारा इलाज करा रहे हल्के लक्षणों वाले कोविड-19 रोगियों की देखभाल में, सहायक के रूप में आयुर्वेदिक दवाओं का प्रभाव देखा जाएगा.
- प्रोफिलैक्सिस- कोविड-19 के हाई रिस्क वालों में आयुष उपायों की निवारक क्षमता का आकलन करना.
PIB की इस प्रेस रिलीज के मुताबिक हाई रिस्क वाले लोगों पर अश्वगंधा और हाइड्रॉक्सीक्लोरिक्वीन की प्रोफिलैक्सिस को लेकर तुलनात्मक अध्ययन किया जाएगा.
यह अध्ययन आयुष मंत्रालय के अधीन चार शोध परिषदों और देश भर के 25 राज्यों में स्थित राष्ट्रीय संस्थानों तथा लगभग 5 लाख की आबादी को कवर करने वाली कई राज्य सरकारों के माध्यम से कराया जाएगा.
इस अध्ययन के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है, जिसकी अध्यक्षता यूजीसी के वाइस चेयरमैन प्रो. भूषण पटवर्धन कर रहे हैं और इसके साथ ही इसे आयुष मंत्रालय और काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) साथ मिलकर मॉनिटर करेगा.
ऐसी उम्मीद जताई गई है कि अध्ययन के निष्कर्ष निश्चित रूप से वैज्ञानिक सबूतों के माध्यम से कोविड-19 जैसी महामारी के दौरान आयुष उपायों की निवारक क्षमता को समझने में महत्वपूर्ण होंगे.
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