भारत बायोटेक की COVID-19 वैक्सीन Covaxin को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंजूरी दे दी है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 3 नवंबर 2021 को अपनी कोरोना वैक्सीन की इमरजेंसी यूज लिस्टिंग (EUL) में कोवैक्सीन को भी शामिल कर लिया.
इसका मतलब यह है कि अब Covaxin, Covishield, Pfizer और Moderna सहित दूसरी कई वैक्सीन की तरह, WHO के कोरोना वैक्सीन की इमरजेंसी यूज लिस्ट में है.
WHO की ओर से मिली इमरजेंसी यूज की मंजूरी अलग-अलग देशों द्वारा मिली मंजूरी से अलग है.
WHO की ओर से मिली इस मान्यता की क्या अहमियत है?
WHO से मिली इस मंजूरी का मतलब है कि वैक्सीन को WHO द्वारा मान्यता दी जा रही है और जिसने भी वैक्सीन की पूरी डोज लगवाई है, उसे पूरी तरह से वैक्सीनेटेड माना जाएगा.
इस मंजूरी से कोवैक्सीन की दो डोज लेने वाले लोगों को विदेश यात्रा में परेशानियों का सामना नहीं करना होगा. उन्हें क्वारन्टीन और बाकी कोरोना नियमों से राहत मिल सकेगी.
इसका ये भी मतलब है कि कोवैक्सीन की आपूर्ति अब गरीब देशों में COVAX पहल के तहत की जा सकती है.
इससे दूसरे देश WHO अनुमोदित दूसरी COVID-19 वैक्सीन की तरह ही Covaxin के आयात और प्रशासन के लिए अपने रेगुलेटरी अप्रूवल में तेजी ला सकते हैं, लेकिन कोवैक्सीन के लिए WHO की लिस्ट में जगह बनाने का रास्ता आसान नहीं रहा.
कोरोना काल से COVAXIN का सफर
9 मई 2020 को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने एक आधिकारिक घोषणा करी कि वे एक स्वदेशी COVID-19 वैक्सीन विकसित करने के लिए हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक के साथ साझेदारी कर रहे हैं.
30 जून 2020 को, भारत की औषधि नियामक संस्था, DCGI (ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया) ने Covaxin को ह्यूमन ट्रायल के लिए आगे बढ़ाया.
15 जुलाई 2020 को, वैक्सीन का फेज 1 क्लीनिकल ट्रायल शुरू हुआ. इसकी घोषणा 17 जुलाई को की गई थी.
भारत बायोटेक ने उस समय यह भी घोषणा की थी कि अगर ट्रायल सफल रहे, तो उनका लक्ष्य वैक्सीन की 30 करोड़ खुराक का उत्पादन करना है.
11 सितंबर 2020 को, भारत बायोटेक ने घोषणा करी कि एनिमल टेस्टिंग के परिणामों में पाया गया है कि कोवैक्सीन सुरक्षित और प्रभावी है.
16 नवंबर 2020 को, कंपनी ने घोषणा करी कि वे वैक्सीन के फेज 3 का ट्रायल शुरू कर रहे हैं.
22 नवंबर 2020 को, कंपनी ने घोषणा करी कि शुरुआती ट्रायल के आंकड़ों के आधार पर Covaxin की प्रभावकारिता कम से कम 60 प्रतिशत है. हालांकि, कंपनी ने इनमें से कोई भी डेटा जारी नहीं किया.
जब क्लीनिकल ट्रायल और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आंकड़ों की बात आती है, तो पारदर्शिता की कमी ने वास्तव में कोवैक्सीन की विश्वसनीयता को प्रभावित किया.
7 दिसंबर 2020 को भारत बायोटेक ने आधिकारिक तौर पर कोवैक्सीन के लिए आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण के लिए आवेदन किया.
9 दिसंबर 2020 को, हालांकि, DCGI ने भारत बायोटेक को इमरजेंसी यूज की मंजूरी के लिए कोवैक्सीन से जुड़े और डेटा देने को कहा.
2 जनवरी 2021 को, Covaxin ने DCGI से क्लीनिकल ट्रायल मोड में प्रतिबंधित उपयोग के लिए इमरजेंसी यूज ऑथराइजेशन (EUA) प्राप्त किया. इस दौरान कंपनी अपने तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के लिए वॉलंटियर्स की भर्ती की प्रक्रिया में थी और वैक्सीन की असल एफिकेसी पर सवाल बरकरार थे.
3 मार्च 2021 को घोषणा की गई थी कि Covaxin के तीसरे फेज के क्लीनिकल ट्रायल के अंतरिम परिणामों में वैक्सीन की COVID को रोकने में 81% प्रभावकारिता रही.
8 मार्च 2021 को, टीके के फेज 2 ट्रायल के परिणाम अंततः सार्वजनिक किए गए. अध्ययन के परिणाम लैंसेट पत्रिका में प्रकाशित हुए थे, जिसने इसे "सुरक्षित, इम्यूनोजेनिक बिना किसी गंभीर दुष्प्रभाव के" घोषित किया था.
इसके तुरंत बाद, 11 मार्च 2021 को, भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI) ने घोषणा करी कि भारत बायोटेक का कोवैक्सीन अब 'क्लीनिकल ट्रायल मोड' में नहीं है, हालांकि यह इमरजेंसी यूज ऑथराइजेशन के तहत स्वीकृत है.
21 अप्रैल 2021 को, फेज 3 ट्रायल के दूसरे अंतरिम परिणाम की घोषणा की गई, जिसमें वैक्सीन की प्रभावशीलता शुरुआती 81 प्रतिशत से 78 प्रतिशत बताई गई.
3 जुलाई 2021 को, भारत बायोटेक द्वारा एक प्रीप्रिंट पेपर में वैक्सीन के तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के लिए अंतिम सुरक्षा और प्रभावकारिता विश्लेषण डेटा की घोषणा की गई थी. इसके मुताबिक Covaxin की समग्र प्रभावकारिता 77.8 प्रतिशत रही.
5 अक्टूबर 2021 को, WHO ने ट्वीट किया कि वे भारत बायोटेक द्वारा दिए किए गए सभी डेटा और सबूतों की समीक्षा कर रहे हैं और इसके आधार पर वे निर्णय लेंगे.
18 अक्टूबर 2021 को, WHO ने भारत बायोटेक को और अधिक डेटा जमा करने के लिए कहा, यह कहते हुए कि इस प्रक्रिया को अपना नियत समय लेने की आवश्यकता होगी.
आखिरकार विश्व स्वास्थ्य संगठन के तकनीकी सलाहकार समूह ने इमरजेंसी यूज लिस्टिंग में भारत बायोटेक के Covaxin को शामिल करने की सिफारिश कर दी.
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