एक रियल वर्ल्ड एसेसमेंट वाली स्टडी में भारत बायोटेक की COVID-19 वैक्सीन कोवैक्सीन (Covaxin) की प्रभाविता 50% प्रतिशत पाई गई है.
ये स्टडी लैंसेट इंफेक्शियस डिजीज जर्नल में आई है, जो कि भारत में दूसरी लहर के चरम के दौरान की गई. यह वह समय भी था, जब देश में COVID के डेल्टा वेरिएंट वाले मामले ज्यादा थे. इस स्टडी में ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS), नई दिल्ली के कोवैक्सीन से वैक्सीनेटेड स्वास्थ्य कर्मियों का आकलन किया गया.
बता दें कि क्लीनिकल सेटिंग में अंतरिम ट्रायल नतीजों में Covaxin की एफिकेसी लक्षण वाली बीमारी के खिलाफ 77.8 प्रतिशत देखी गई थी.
क्लीनिकल सेटिंग से इतर इस स्टडी के क्या निष्कर्ष हैं और इन नतीजों का मतलब क्या है? ये समझते हैं.
स्टडी की मुख्य बातें
लक्षण वाली बीमारी को रोकने में Covaxin की रियल वर्ल्ड प्रभावशीलता का आकलन करने के लिए ये स्टडी की गई.
ये स्टडी 15 अप्रैल से 15 मई 2021 के बीच हुई थी, जब भारत में कोरोना की दूसरी लहर का कहर था.
एनालिसिस के लिए दो ग्रुप बनाए गए, हर ग्रुप में 1068 प्रतिभागी थे.
एक ग्रुप RT-PCR पॉजिटिव वाले प्रतिभागियों का था और दूसरा ग्रुप RT-PCR निगेटिव प्रतिभागियों का था.
स्टडी में लक्षण वाले COVID-19 के खिलाफ कोवैक्सीन की प्रभाविता 50 प्रतिशत पाई गई.
इस तरह की रियल वर्ल्ड स्टडीज लोगों में टीकों के वास्तविक प्रदर्शन को मापने के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इनके क्लीनिकल ट्रायल डेटा से अलग होने की संभावना होती है.
वैक्सीन के फेज 3 क्लीनिकल ट्रायल की तुलना इस स्टडी में कोवैक्सीन की एफिकेसी में गिरावट की एक वजह ये हो सकती है कि यह दूसरी लहर के चरम के दौरान की गई थी, जब टेस्टिंग और टेस्ट पॉजिटविटी रेट विशेष रूप से ज्यादा थी.
इसके अलावा, दूसरी वजह ये हो सकती है कि चूंकि डेल्टा वेरिएंट को वैक्सीन सुरक्षा से बच निकलने के सक्षम माना जाता है, इसलिए इस स्टडी में वैक्सीन की एफिकेसी कम पाई गई.
एक और कारण यह हो सकता है कि यह सिर्फ स्वास्थ्य कर्मियों पर की गई थी, जो कि संक्रमण के हाई रिस्क पर होते हैं.
लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि सिम्प्टोमैटिक COVID-19 के खिलाफ 50 प्रतिशत प्रभावकारिता बुरी खबर नहीं है.
वास्तव में, यह उत्साहजनक खबर है क्योंकि दूसरी लहर पर काफी हद तक डेल्टा वेरिएंट हावी था, जिसे मूल स्ट्रेन से ज्यादा संक्रामक माना जाता है.
हालांकि, यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि अध्ययन में प्रतिभागियों का टेस्ट विशिष्ट वेरिएंट के लिए नहीं किया गया था, इसलिए यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है कि कोवैक्सीन डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ कितनी प्रभावी है.
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