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COVID-19: एंटीबॉडी टेस्ट क्या है और यह PCR से कैसे अलग है?

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कोरोनावायरस टेस्ट को बढ़ाने के लिए, भारत अब दक्षिण कोरिया की राह पर चल रहा है, जो कई उपाय करने के साथ ही अधिक से अधिक एंटीबॉडी टेस्ट कर कोरोनावायरस इन्फेक्शन के मामलों पर लगाम लगाने में कामयाब रहा.

पिछले हफ्ते, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने COVID-19 के इलाज के लिए 5 लाख एंटीबॉडी टेस्ट किट के टेंडर मंगाए थे.

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अब तक, भारत केवल जेनेटिक टेस्ट पर निर्भर रहा है. इसमें अधिक समय लगने के साथ ही यह महंगा भी है. इसे पीसीआर टेस्ट या पोलीमरेज चेन रिएक्शन टेस्ट के रूप में जाना जाता है. इनमें कोरोनावायरस के पुराने मामलों का पता लगाने की क्षमता नहीं है. दूसरी ओर, एंटीबॉडी टेस्ट जल्दी होते हैं और पहले हुए इन्फेक्शन के मामलों का पता लगा सकते हैं.

एंटीबॉडी टेस्ट क्या है?

किसी व्यक्ति के ब्लड का सैंपल लेकर एंटीबॉडी टेस्ट या सीरोलॉजिकल (सीरम से संबंधित) टेस्ट किए जाते हैं. हमारा इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा प्रणाली) बॉडी में वायरस को बेअसर करने के लिए एंटीबॉडी प्रोड्यूस करता है. वायरस से होने वाला इन्फेक्शन पूरी तरह से खत्म हो जाने के बाद भी ये एंटीबॉडी शरीर में कुछ समय तक मौजूद रहते हैं. इससे डॉक्टरों को यह पहचानने में मदद मिलती है कि मरीज पहले संक्रमित था या नहीं.

एक पेशेंट जिसकी पहले जांच नहीं हुई है या वह खुद रिकवर हो गया, इस टेस्ट की मदद से पहचाना जा सकता है. इससे सरकार को स्पष्ट अनुमान लग सकता है कि वास्तव में कितनी आबादी संक्रमित है या संक्रमित थी.
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एंटीबॉडी टेस्ट जेनेटिक टेस्ट से कैसे अलग है?

रियल टाइम पीसीआर टेस्ट के लिए, एक मरीज के स्वैब सैंपल लिए जाते हैं, जबकि सीरोलॉजिकल टेस्ट के लिए, ब्लड सैंपल के जरिये यह पता लगाया जाता है कि क्या एंटीबॉडी ब्लड में मौजूद हैं. स्वैब सैंपल आरएनए पर आधारित होते हैं, जिसका अर्थ है कि वे एक मरीज के शरीर में वायरस के आरएनए जीनोम के प्रूफ खोजने में मदद करते हैं. जैसे ही मरीज ठीक हो जाता है, आरएनए का पता नहीं लगाया जा सकता है.

इस तरह, पीसीआर टेस्ट में यह नहीं पता लगा सकते हैं कि कोई व्यक्ति पहले नोवल कोरोनावायरस से संक्रमित था. लेकिन सीरोलॉजिकल टेस्ट से ऐसा कर सकते हैं.

वहीं, पीसीआर टेस्ट सीरोलॉजिकल टेस्ट की तुलना में अधिक समय लगने वाला, जटिल और महंगा है. हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अगर सैंपल की जल्द जांच की जाती है, तो ये दोनों टेस्ट वायरस का पता लगाने में फेल हो सकते हैं.

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ICMR की गाइडलाइन क्या कहती है?

27 मार्च को ICMR की तरफ से जारी एंटीबॉडी किट से संबंधित एक गाइडलाइन कहती है, "पॉजिटिव टेस्ट SARS-CoV-2 के संपर्क में आने का संकेत देता है. निगेटिव टेस्ट COVID -19 इन्फेक्शन से इनकार नहीं करता है."

इसमें आगे कहा गया, "COVID-19 इन्फेक्शन के डाइग्नोसिज के लिए रेकमेंडेड नहीं है." इसका अनिवार्य रूप से मतलब है कि आईसीएमआर अभी भी डाइग्नोज के लिए जेनेटिक टेस्ट पर निर्भर करता है. हालांकि, इन्फेक्शन की पहचान करने के लिए, सीरोलॉजिकल टेस्ट बेहद फायदेमंद होंगे.

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