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कोरोना की तीसरी लहर का खतरा नहीं है? डेटा कहते हैं त्योहारों पर लापरवाही ना करें

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भारत में रोजाना दर्ज किए जाने वाले COVID-19 के मामलों में गिरावट देखी जा रही है. 26 अक्टूबर को पिछले 238 दिनों में सबसे कम कोरोना संक्रमण के मामले दर्ज किए गए.

ऑफिस खुल रहे हैं, स्कूल खुल गए हैं और रोजमर्रा की जिंदगी पहले वाली स्थिति में वापस आ रही है.

क्या अब कोरोना की तीसरी लहर का खतरा नहीं है या त्योहारों के साथ मामलों में तेजी देखने को मिलेगी?

आइए कुछ राज्यों में दर्ज किए गए कोविड मामलों के आधार पर समझें कि हम कहां हैं और कहां जा रहे हैं.

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त्योहार और कोरोना संक्रमण के मामले

पिछले साल हमने दिवाली के बाद कोरोना के मामलों में तेजी देखी थी. इस साल दुर्गा पूजा के बाद पश्चिम बंगाल में रोजाना दर्ज किए गए कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या दिवाली के बाद देश के बाकी हिस्सों में उसी बढ़त का इशारा करती है.

पश्चिम बंगाल में कोविड पॉजिटिविटी की दर 14 अक्टूबर को 5.6 फीसदी थी, जो दुर्गा पूजा के एक हफ्ते बाद 21 अक्टूबर को 7.1 फीसद रही.

दुर्गा पूजा के बाद कोरोना मामलों में वृद्धि ने स्वास्थ्य अधिकारियों को सतर्क कर दिया है.

इसी समय असम में भी COVID मामलों में इसी तरह की वृद्धि देखी गई है. असम में पिछले हफ्ते कोरोना संक्रमण के मामलों में 50.4 प्रतिशत वृद्धि देखी गई.

इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश में भी पिछले कुछ दिनों में कोरोना के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है, जबकि केरल में रोजाना सबसे अधिक मामले सामने आ रहे हैं.

फ्लू का मौसम, प्रदूषण और COVID-19

कई त्योहारों के अलावा, अक्टूबर से दिसंबर के महीने देश के कई हिस्सों में 'प्रदूषण का मौसम' भी होते हैं.

बढ़ते शोध वायु प्रदूषण और COVID-19 के बीच एक मजबूत संबंध की ओर इशारा करते हैं कि कैसे प्रदूषण COVID-19 की स्थिति को बदतर बनाने में योगदान दे सकता है.

सीधे शब्दों में कहें तो प्रदूषण आपके शरीर को एक से अधिक तरीकों से नुकसान पहुंचाता है, विशेष रूप से आपके फेफड़ों को कमजोर करता है, जिससे आप गंभीर COVID के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं. यह डायबिटीज और अस्थमा जैसी अन्य बीमारियों के जोखिम को भी बढ़ाता है और इन बीमारियों में COVID-19 और भी खतरनाक साबित होता है.

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वहीं वायरल बुखार और फ्लू के मामलों को देखते हुए विशेषज्ञों ने संभावित 'twindemic' की चेतावनी दी है.

गृह मंत्रालय द्वारा गठित एक समिति ने अगस्त में कहा था कि तीसरी लहर अक्टूबर में चरम पर होने की संभावना है.

जून में भारत में टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह के प्रमुख डॉ एनके अरोड़ा ने कहा था कि तीसरी लहर दिसंबर तक चरम पर नहीं होगी.

हालांकि, विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि तीसरी लहर के पहली और दूसरी लहरों की तरह विनाशकारी होने की संभावना नहीं है, लेकिन इसकी तीव्रता आबादी के व्यवहार पर और हमारी सतर्कता पर निर्भर करेगी.

इसलिए इस त्योहारी मौसम में, मास्क लगाना, आपस में शारीरिक दूरी बना कर रहना और समय-समय पर हाथों को साफ करना कोरोना मामलों को फिर से बढ़ने से रोकने के लिए जरूरी है.

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