भारत में कोविड-19 टीकाकरण अभियान शुरू होने के बाद से सोमवार, 18 जनवरी तक वैक्सीन लेने वालों में से 580 लोगों में एडवर्स इवेंट फॉलोइंग इम्यूनाइजेशन (AEFI) की रिपोर्ट है.
वहीं उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में कोरोना वैक्सीन लेने वाले जिला अस्पताल के एक वार्ड ब्वॉय की मौत की खबर है, जिन्हें 16 जनवरी को वैक्सीन दी गई थी और 17 जनवरी की शाम उनकी तबीयत बिगड़ गई थी. जिले के चीफ मेडिकल ऑफिसर ने कहा है कि मौत का संबंध वैक्सीन से नहीं है.
ऐसे में वैक्सीनेशन के बाद संभावित प्रतिकूल घटनाओं को लेकर जानकारी दिए जाने की जरूरत है ताकि वैक्सीन को लेकर लोगों के मन में बेवजह की हिचक या डर न बैठ जाए.
एडवर्स इवेंट फॉलोइंग इम्यूनाइजेशन (AEFI) क्या होता है?
एडवर्स इवेंट फॉलोइंग इम्यूनाइजेशन (AEFI) को "किसी भी प्रतिकूल चिकित्सा घटना के रूप में परिभाषित किया गया है, जो वैक्सीनेशन के बाद देखी जा सकती है और जरूरी नहीं है कि इसकी वजह सीधे वैक्सीन का प्रयोग ही हो. ये कोई भी प्रतिकूल घटना, संकेत, लक्षण या बीमारी हो सकती है."
किसी वैक्सीन के लिए प्रतिकूल प्रतिक्रिया (एडवर्स रिएक्शन) मोटे तौर पर कारण (प्रोडक्ट और क्वालिटी से जुड़ी) , गंभीरता और फ्रिक्वेंसी के आधार पर बांटी जाती है. गंभीरता और फ्रिक्वेंसी के आधार पर कैटेगरी:
कॉमन माइनर रिएक्शन
सीरियस और सीवियर वैक्सीन रिएक्शन
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक AEFI को सीरियस तब माना जाता है, जब:
मौत हो जाए
जान को खतरा हो
अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़े
किसी तरह की अक्षमता हो जाए
बर्थ डिफेक्ट हो
परमानेंट डैमेज से बचाने के लिए इंटरवेंशन की जरूरत हो
वैक्सीनेशन के बाद संभावित साइड इफेक्ट क्या हो सकते हैं?
दिल्ली के राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल की मीडिया प्रवक्ता डॉ छवि गुप्ता बताती हैं, "इंजेक्शन साइट पर दर्द, बुखार, शरीर में दर्द- ये वो प्रभाव हैं, जो तुरंत नजर आ सकते हैं और कुछ प्रभाव बाद में भी देखे जा सकते हैं."
“ये सीरियस होगा, अगर बहुत ज्यादा बुखार हो, गंभीर एलर्जी, सीने में दर्द, घबराहट, बीपी घटे या बढ़े, पल्स रेट घटे या बढ़े.”डॉ छवि गुप्ता, मीडिया प्रवक्ता, राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली
वायरोलॉजिस्ट डॉ शाहिद जमील इस वीडियो में बताते हैं कि हर वैक्सीन के कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं. कुछ साइड इफेक्ट बेहद माइनर हो सकते हैं, जैसे इंजेक्शन की जगह पर लाली या सूजन या आधे-एक दिन के लिए लो ग्रेड फीवर हो सकता है.
असल में इंजेक्शन की जगह पर लाली या सूजन या लो ग्रेड फीवर को एडवर्स इवेंट नहीं कहा जाता, इसे रिएक्टोजेनिसिटी कहते हैं, जो कि ये बताता है कि वैक्सीन ने हमारे शरीर में काम करना शुरू कर दिया है.डॉ शाहिद जमील
वैक्सीन लगाने के बाद साइड इफेक्ट और एलर्जी पर चर्चा करते हुए एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने आईएएनएस से कहा कि मामूली साइड इफेक्ट से हमें डरने की जरूरत नहीं है, अगर आप कोई भी दवाई लेते हैं, तो कुछ एलर्जिक रिएक्शन हो सकता है और ऐसा रिएक्शन क्रोसिन, पैरासिटामोल जैसी साधारण दवाई से भी हो सकता है.
भारत में कोरोना वैक्सीनेशन के दो दिनों में 580 प्रतिकूल घटनाएं दर्ज की गई, क्या ये सामान्य है?
580 प्रतिकूल घटनाओं को डॉ छवि गुप्ता सामान्य बताती हैं क्योंकि इनमें से बहुत ही कम ऐसे रहें, जिन्हें कोई गंभीर दिक्कत हुई हो या भर्ती करने की जरूरत पड़ी हो.
ज्यादातर लोगों को बुखार, सिर दर्द और मिचली जैसी शिकायत रही और सिर्फ सात लोगों को हॉस्पिटल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ी.
क्या वैक्सीन के कारण किसी की मौत हो सकती है?
नॉर्वे में Pfizer की कोरोना वैक्सीन दिए जाने के बाद 29 लोगों की मौत बताई जा रही है, जहां सभी रिपोर्ट की गई मौतें "सीरियस डिसऑर्डर वाले बुजुर्ग लोगों" की हुई हैं. भारत में यूपी के मुरादाबाद में वैक्सीनेशन के बाद एक वार्ड ब्वॉय की मौत, यूके और अमेरिका में कुछ घटनाएं सामने आई हैं. ऐसे में ये सवाल भी उठ रहा है कि क्या वैक्सीन के कारण किसी की मौत हो सकती है.
कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर लोगों में बन रही कई तरह की आशंकाओं के बीच एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने लोगों को भरोसा देते हुए कहा है कि वैक्सीन से किसी व्यक्ति की मौत नहीं होगी.
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में वार्ड ब्वॉय की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि मौत कोविड वैक्सीन लगवाने से नहीं बल्कि 'कार्डियोपल्मोनरी डिजीज' के कारण कॉर्डियोजेनिकशॉक/सेप्टिसेमिक शॉक की वजह से हुई.
डॉ गुलेरिया के मुताबिक परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि कोरोना वैक्सीन का कोई ऐसा साइड-इफेक्ट नहीं है, जिसके परिणामस्वरूप मौत हो जाए.
जिस वैक्सीन को इस्तेमाल की मंजूरी दी जाती है, वो सुरक्षित और प्रभावी होती है. कई स्टडीज और साइंटिफिक रिव्यूज में दुर्लभ मामलों को छोड़कर वैक्सीनेशन और मौत के बीच कोई संबंध नहीं पाया गया है.
हालांकि कोई भी वैक्सीन पूरी तरह से रिस्क फ्री नहीं होती और टीकाकरण के बाद कभी-कभी गंभीर प्रतिकूल घटना सामने आ सकती है.
एक व्यापक टीकाकरण अभियान में कुछ प्रतिकूल घटनाएं, जिसमें गंभीर साइड इफेक्ट और मौत शामिल हैं, देखी जा सकती हैं. लेकिन मौत के मामले में ये निश्चित करना कि मौत वैक्सीन से हुई, बेहद जटिल हो सकता है क्योंकि इसमें सभी संभावित वजहों पर गौर करना होता है.
ICMR की COVID-19 नेशनल टास्क फोर्स के ऑपरेशन्स रिसर्च के हेड डॉ एन.के अरोड़ा द हिंदू की इस रिपोर्ट में कहते हैं,
लोगों के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि कमजोर आबादी- बुजुर्ग, डायबिटीज, क्रोनिक लंग डिजीज, हाई ब्लड प्रेशर, किडनी की दिक्कतें, कैंसर जैसी बीमारी वाले लोग हार्ट अटैक या दूसरी किसी भी अचानक की स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हो सकते हैं. हम सभी मामलों में इसे वैक्सीन से नहीं जोड़ सकते हैं और न ही ऐसा करना चाहिए.
डॉ एन.के अरोड़ा कहते हैं कि हमें लोगों को वैक्सीन के बारे में शिक्षित करने की जरूरत है और वो जानकारी देने की जरूरत है, जिसके बारे में लोग ज्यादा नहीं जानते हैं.
क्या हाई बीपी वालों या हार्ट डिजीज से जूझ रहे लोगों को कोरोना वैक्सीन लेनी चाहिए?
डॉ छवि गुप्ता बताती हैं कि राजीव गांधी हॉस्पिटल में जिन्हें वैक्सीन लगनी है, सभी का बीपी और पल्स रेट वगैरह चेक किया जा रहा है और ब्लड प्रेशर हाई होने पर वैक्सीन नहीं लगाया जा रहा. कोविड वैक्सीनेशन को लेकर पब्लिक की गई किसी गाइडलाइन्स में वैक्सीनेशन से पहले लोगों का बीपी चेक करने का निर्देश नहीं है, हालांकि डॉक्टर्स सलाह देते हैं कि वैक्सीन लगवाने से पहले आपको अपना बीपी चेक करवा लेना चाहिए.
वायरोलॉजिस्ट डॉ शाहिद जमील कहते हैं कि अगर किसी को हार्ट डिजीज है, तो उसे वैक्सीन लेने से पहले अपने फिजिशियन से कंसल्ट करना चाहिए.
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