दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार, 5 नवंबर को देश की राजधानी में COVID-19 और एयर पॉल्यूशन के दोहरे खतरे के बारे में बताया.
इस वक्त दिल्ली में कोरोना और पॉल्यूशन दोनों का कहर छाया हुआ है. इस स्थिति से निपटने के लिए दिल्ली के लोग, दिल्ली सरकार मिलकर पूरे प्रयास कर रहे हैं. पॉल्यूशन की वजह से कोरोना की स्थिति ज्यादा खराब हो रही है. हर साल इस वक्त पॉल्यूशन इन दिनों में होता है क्योंकि पराली के जलने का धुआं दिल्ली की तरफ आता है. दुःख की बात ये है कि पिछले कई सालों से ये हो रहा है लेकिन कोई भी ठोस कदम उन सरकारों ने अपने किसानों के लिए नहीं उठाया.अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री, दिल्ली
प्रदूषण और कोरोना के नए मामलों में बढ़ोतरी
आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक गुरुवार, 5 अक्टूबर की सुबह दिल्ली के प्रदूषण में करीब 42 फीसदी योगदान जलाई जाने वाली पराली का रहा.
दिल्ली में एक दिन में कोरोना के 6,000 से ज्यादा मामले सामने आए. यहां 4 अक्टूबर को 6,842 मामले दर्ज हुए, जिसके बाद कुल मामलों की संख्या 4,09,938 हो गई. त्योहारी सीजन और बढ़ते पॉल्यूशन के साथ कोरोना के मामलों में बढ़त देखी जा रही है.
बीते दिनों एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 300 से ऊपर गया- हवा की क्वालिटी 'बहुत खराब' से 'खतरनाक' कैटेगरी में रही. 5 अक्टूबर की सुबह हवा की क्वालिटी 'गंभीर' रही और AQI 452 रिकॉर्ड किया गया.
वायु प्रदूषण और कोविड-19: क्या कहते हैं शोध?
जैसा कि फिट ने इस आर्टिकल में बताया है, शुरुआती रिसर्च और दुनिया के विभिन्न हिस्सों से हुए अलग-अलग अध्ययनों ने प्रदूषित हवा और कोविड के बीच आनुपातिक संबंध का संकेत दिया है. सबसे उल्लेखनीय हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का एक इकोलॉजिकल अध्ययन है, जिसमें पीएम 2.5 के स्तर में मामूली वृद्धि को भी कोविड-19 से होने वाली मौतों में 8% की बढ़ोतरी से जुड़ा पाया गया.
हालांकि इसकी गहराई से समीक्षा किया जाना बाकी है, लेकिन ये नतीजे वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उपायों की दिशा में काम करने और साथ में होने वाले स्वास्थ्य खतरों को रोकने की जरूरत को उजागर करते हैं.
दूसरी स्टडी में भी प्रदूषण और कोविड से जुड़ी ज्यादा मौतों के परस्पर संबंधों पर विचार किया है. उदाहरण के लिए, इटली, स्पेन, फ्रांस और जर्मनी में कोविड के घातक परिणाम के विश्लेषण से निष्कर्ष निकाला गया कि 78% मौतें उच्चतम नाइट्रोजन ऑक्साइड (NO2) की मौजूदगी वाले क्षेत्रों में थीं, जहां साथ ही हवा का कम प्रवाह प्रदूषक तत्वों को बिखर जाने से रोकता था.
यह भी जांच की जा रही है कि क्या वायु प्रदूषण नोवल कोरोना वायरस के फैलने को आसान बना सकता है और मामलों में तेज बढ़ोतरी कर सकता है. हालांकि इस तरह के संबंध का कोई सीधा सबूत नहीं है, लेकिन उत्तरी इटली के शुरुआती सबूत बताते हैं कि वायरस पार्टिकुलेट मैटर ( धूल कण) पर पाया जा सकता है, यह दर्शाता है कि यह खुद को वायु प्रदूषक कणों से जोड़ सकता है.
वैसे विशेषज्ञों का कहना है कि फिर भी कोई ठोस बयान जारी करने से पहले इस मामले में और अधिक शोध की जरूरत है.
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