भारत में COVID-19 के खिलाफ टीकाककरण अभियान की शुरुआत दो वैक्सीन के साथ हुई- Covishield और Covaxin. ये दोनों दो डोज वाली वैक्सीन हैं और गाइडलाइन के मुताबिक जिस वैक्सीन की पहली डोज लगी हो, दूसरी डोज भी उसी वैक्सीन की लगनी चाहिए.
हालांकि मई में खबर मिली कि उत्तर प्रदेश में कुछ लोगों को पहली डोज कोविशील्ड की और दूसरी डोज कोवैक्सीन की लग गई.
इसके असर, सेफ्टी और इम्यून रिस्पॉन्स का पता करने के लिए स्टडी की गई. इसके लिए कोविशील्ड के बाद कोवैक्सीन की डोज पाने वाले 18 लोग, दोनों डोज कोवैक्सीन के लेने वाले 40 लोग और दोनों डोज कोविशील्ड की लेने वाले 40 लोगों को शामिल किया गया.
स्टडी के नतीजे
टीकाकरण के बाद प्रतिकूल घटनाओं का रिस्क तीनों ही ग्रुप में समान रहा, जिससे पता चलता है कि वैक्सीन की पहली डोज में कोविशील्ड और दूसरी डोज में कोवैक्सीन लेना सुरक्षित रहा.
वैक्सीन की अलग-अलग डोज लेने वालों में IgG एंटीबॉडी और न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी रिस्पॉन्स अधिक रहा.
वैक्सीन की अलग-अलग डोज लेने वालों में एल्फा, बीटा और डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ इम्यून रिस्पॉन्स बेहतर रहा.
इस स्टडी के निष्कर्ष बताते हैं कि एडिनोवायरस वेक्टर प्लेटफॉर्म-आधारित वैक्सीन के बाद इनएक्टिवेटेड व्होल वायरस वैक्सीन कॉम्बिनेशन के साथ टीकाकरण न केवल सुरक्षित रहा बल्कि इससे बेहतर इम्युनोजेनेसिटी देखने को मिली.
ICMR द्वारा जारी की गई इस स्टडी में साफ किया गया है कि यह प्रीप्रिंट नए शोध की रिपोर्ट करता है, इसे पीयर रिव्यू के जरिए प्रमाणित नहीं किया गया है और इसका उपयोग क्लीनिकल प्रैक्टिस को गाइड करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
यहां ये भी ध्यान देना चाहिए कि ये एक छोटी स्टडी है.
वायरोलॉजिस्ट डॉ. शाहिद जमील ने फिट से कहा कि ICMR की इस एनालिसिस में पार्टिसिपेंट्स की संख्या जरूर कम है, लेकिन ये बड़े ट्रायल करने की वजह देती है.
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