कोरोना वायरस डिजीज-2019 (COVID-19) की रोकथाम, बचाव और इसके इलाज के लिए अब तक किसी दवा या थेरेपी को मंजूरी नहीं मिली है.
इस वायरस से निपटने में हैंड और रेस्पिरेटरी हाइजीन के साथ सोशल डिस्टेन्सिंग के अलावा और क्या प्रभावी हो सकता है, इसके लिए क्लीनिकल ट्रायल, ऑब्जर्वेशनल स्टडीज और तमाम प्रयोग फिलहाल चल रहे हैं.
हालांकि नोवल कोरोना वायरस से लेकर इसे SARS-CoV-2 नाम दिए जाने और इसके बारे में समय बीतने के साथ जितनी नई बातें सामने आ रही हैं, उतने ही दावे भी पेश किए जाते रहे हैं.
हाल ही में बजाज ऑटो के मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव बजाज ने एक इंटरव्यू में होम्योपैथिक दवा Camphora 1M के बारे में कहा कि ऐसी उम्मीद है, ये कोविड-19 से बचाव और इसके इलाज में प्रभावी हो सकती है.
उन्होंने कहा, "पुणे में करीब 3 लाख लोगों ने Camphora 1M लिया और उनमें से कोई भी ये शिकायत लेकर नहीं आया कि ये दवा लेने के बाद उनमें कोई लक्षण आए हों."
इस होम्योपैथिक दवा को लेने से कोरोना मुक्त रहने के दावे किए जाने लगे हैं.
इस रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड में CRPF के जवानों को Arsenic Album और Camphora जैसी होम्योपैथिक दवाइयां बांटी जा चुकी हैं.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र पुलिस अपने सभी जवानों को होम्योपैथिक इम्युनिटी बूस्टर Camphora 1M दे रही है. पुलिस ने बताया कि ये सिर्फ बचाव के लिए है और वो ये जानते हैं कि होम्योपैथिक दवाइयां कोरोना वायरस से बचा सकती हैं या नहीं, इसे साबित करने वाली क्लीनिकल स्टडी नहीं है, लेकिन ये भी है कि इन दवाइयों का कोई साइड इफेक्ट नहीं है.
सही या गलत?
BOOM को दिए इंटरव्यू में सेंटर काउंसिल फॉर रिसर्च इन होम्योपैथी (CCRH) के डायरेक्टर जनरल इनचार्ज डॉ अनिल खुराना ने कहा, "ईरान में जो कुछ लोगों को होम्योपैथिक दवा देने की बात कही जा रही है, वो हॉस्पिटल में दूसरे ट्रीटमेंट भी ले रहे थे, इन मरीजों को Camphor से हो सकता है कि मदद मिली हो, लेकिन 8-11 मामलों के आधार पर मैं अभी ये निष्कर्ष नहीं निकाल सकता कि इस दवा ने काम किया. हमें और बड़े सैंपल साइज चाहिए और दूसरी ओर एक कंट्रोल ग्रुप भी होना चाहिए. अब हमें साइंटिफिक प्लेटफॉर्म पर डेटा कलेक्ट करना है."
दिल्ली के एक होम्योपैथी के एक्सपर्ट बताते हैं कि Camphora से COVID-19 के उपचार में मदद मिलने या इसकी रोकथाम में मदद मिलने की बात रखने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा डेटा संदिग्ध है. इस तरह के दावे प्रमाणित नहीं हैं.
राजीव बजाज ने अपने उसी इंटरव्यू में इस बात की शिकायत की थी कि इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) की ओर से ये दवा कुछ संक्रमित लोगों को दिए जाने की मंजूरी नहीं दी गई है, इसलिए वो डबल ब्लाइंड रैंडम ट्रायल नहीं कर सकते हैं, जिसमें कुछ लोगों को दवा दी जाए और कुछ को नहीं, इस तरह के ट्रायल के बाद ही कोई वैज्ञानिक आधार होगा.
ये होम्योपैथिक दवा कोरोना के संक्रमण से बचा सकती है या नहीं, इसको लेकर कोई मेडिकल ट्रायल नहीं हुआ है यानी लोगों को दो ग्रुप में बांटा जाए, जिनका संक्रमित मरीजों से समान स्तर पर एक्सपोजर हुआ हो. फिर एक ग्रुप को ये होम्योपैथिक दवा दी जाए और दूसरे ग्रुप को नहीं, फिर यह देखा जाए कि दोनों ग्रुप में से कितने लोग संक्रमित हुए.
इसलिए हम फिलहाल ये नहीं कह सकते हैं कि Camphora 1M लेने से किसी को कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा नहीं होगा, जब तक कि हमारे पास इसे लेकर कोई वैज्ञानिक सबूत सामने नहीं आ जाते हैं.
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