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किडनी को फिट रखने के लिए किन बातों पर गौर करने की जरूरत है?

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दुनियाभर में किडनी की बीमारी से प्रभावित लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है और इसी को ध्यान में रखते हुए लोगों में जागरुकता लाने के लिए हर साल मार्च के दूसरे गुरुवार को 'विश्व किडनी दिवस' मनाया जाता है.

भारत की बात करें, तो यहां हर साल लगभग दो लाख लोगों को किडनी रोग होने का पता चलता है.

हम अपनी किडनी को हेल्दी बनाए रखने के लिए क्या कर सकते हैं? वो कौन सी चीजें और आदतें हैं, जिनका हमारी किडनी पर बुरा असर पड़ सकता है या हमारी किडनी के काम करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है? ये समझने के लिए हमने कुछ एक्सपर्ट्स से बात की है.

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हमारी किडनी (गुर्दा) शरीर की विषाक्तता और वेस्ट को बाहर निकालकर हमें स्वस्थ रहने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. किडनी हमारे शरीर में खून को साफ कर ब्लड सर्कुलेशन को सुचारू रूप से चलाने में मदद करती है.

किडनी की बीमारी का मतलब किडनी फंक्शन में आई गड़बड़ी या किडनी को हुए नुकसान से है, जिसके कारण किडनी उस तरह खून नहीं फिल्टर कर पाती, जिस तरह करना चाहिए.

किडनी की बीमारी के लिए एक्सपर्ट्स कई रिस्क फैक्टर बताते हैं, जैसे- पानी कम पीना, अधिक नमक खाना, दर्दनाशक यानी पेनकिलर दवाओं का अधिक सेवन करना, अधिक शराब पीना, स्मोकिंग, मांस का अधिक सेवन करना और ज्यादा कार्बोनेटेड ड्रिंक्स लेना.

हालांकि, अपने दैनिक जीवन में कुछ सरल नियमों को अपनाकर किडनी को स्वस्थ रखने में मदद मिल सकती है.

किडनी को दुरुस्त रखना चाहते हैं, तो इन आदतों पर लगाएं लगाम

1. बहुत ज्यादा पेनकिलर दवाइयां लेने से बचें

सर गंगाराम हॉस्पिटल में डिपार्टमेंट ऑफ नेफ्रोलॉजी के चेयरमैन डॉ ए.के भल्ला बताते हैं कि उन सभी दवाइयों से बचना चाहिए, जो किडनी को डैमेज करती हैं खासकर दर्द से राहत देने वाली वो दवाइयां जो बिना डॉक्टरी पर्चे के मिल जाती हैं.

लोग पेन किलर दवाइयां बिना उसके प्रभाव को समझे खरीद लेते हैं, जिनसे काफी नुकसान हो सकता है.
डॉ ए.के भल्ला

एक्सपर्ट्स कहते हैं कि बहुत ज्यादा दवाइयां लेना, वो भी बिना डॉक्टरी सलाह के दवा लेना किडनी फेल होने और दूसरी क्रोनिक किडनी बीमारियों की मुख्य वजह है.

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2. हेवी प्रोटीन व विटामिन सप्लीमेंट, मसल टॉनिक लेने से बचें

जो लोग एक आकर्षक और मांसपेशियों वाले शरीर को पाने के लिए खुद से कई तरह के सप्लीमेंट लेने लगते हैं, उन्हें क्रोनिक किडनी रोगों का जोखिम हो सकता है.

जैसे, जिम जाने वाले युवा अक्सर मसल बनाने के प्रोडक्ट लेते हैं ताकि बॉडी बिल्डिंग में मदद मिल सके, लेकिन इन प्रोडक्ट्स को लेकर सावधान रहने की जरूरत है.

  1. सबसे पहले तो आप जो प्रोडक्ट ले रहे हैं, वो अप्रूव्ड होने चाहिए

  2. प्रोफेशनल ट्रेनर और एक्सपर्ट की सलाह व निगरानी में ऐसे प्रोडक्ट्स लें

  3. इस तरह के प्रोडक्ट ले रहे हैं, तो हर तीन महीने पर बेसिक टेस्ट जरूर कराएं क्योंकि इनका असर किडनी और लिवर पर पड़ता है

आमतौर पर बेहतर होता है कि सप्लीमेंट्स लेने की बजाए अपने न्यूट्रिएंट्स को फूड सोर्स से हासिल किया जाए.

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3. स्मोकिंग और शराब पीने से बचें

धूम्रपान और शराब पीने से शरीर में विषाक्त पदार्थ बढ़ जाते हैं, जिससे गुर्दे पर बोझ बढ़ता है. इसलिए अपनी किडनी को बेहतर बनाए रखने के लिए सुनिश्चित करें कि आप स्मोकिंग और शराब से बचें.

4. प्रोसेस्ड मीट, कार्बोनेटेड पेय सीमित करें

कैलिफोर्निया-सैन फ्रांसिस्को यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने एक स्टडी में पाया था कि कार्बोनेटेड पेय, प्रोसेस्ड मीट, रेड मीट से क्रोनिक किडनी डिजीज के बढ़ने का रिस्क ज्यादा होता है.

न्यूट्रिशनिस्ट कविता देवगन अपने एक आर्टिकल में लिखती हैं कि एरेटेड ड्रिंक्स से यूरिन में ऑक्सालेट्स का लेवल हाई हो सकता है. इससे पथरी का रिस्क बढ़ सकता है.

5. जरूरत से अधिक नमक को कहें ना

उस्मानिया मेडिकल कॉलेज, हैदराबाद में नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट की हेड और प्रोफेसर डॉ मनीषा सहाय कहती हैं कि सोडियम इनटेक रोजाना 2-2.3 ग्राम से ज्यादा नहीं होना चाहिए.

हाई सॉल्ट वाली चीजें खाने से खून में सोडियम का लेवल बढ़ जाता है, जिससे असंतुलन पैदा होता है. ज्यादा नमक का सेवन किडनी की पानी निकालने की क्षमता को प्रभावित करता है.
डॉ मनीषा सहाय, प्रोफेसर और हेड, नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट, उस्मानिया मेडिकल कॉलेज, हैदराबाद

हाई वॉटर रिटेंशन और किडनी पर दबाव से ब्लड प्रेशर हाई हो सकता है, जिससे क्रोनिक किडनी डिजीज का रिस्क बढ़ सकता है.

इसलिए ज्यादा नमकीन चीजें जैसे पापड़, अचार और बहुत सी चटनी खाने से बचने की सलाह दी जाती है.
डॉ मनीषा सहाय, हेड, नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट, उस्मानिया मेडिकल कॉलेज, हैदराबाद
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किडनी की फिटनेस के लिए क्या करें?

खुद को हाइड्रेटेड रखें

जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, मुंबई में नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट के डायरेक्टर डॉ ऋुषी देशपांडे कहते हैं कि रोजाना 2 से 3 लीटर पानी पीएं.

अपनी जरूरत के अनुसार पर्याप्त फ्लूइड इनटेक सुनिश्चित करें. यह गुर्दे से हानिकारक विषाक्त पदार्थों को हटाने में मदद करता है, जिससे किडनी से संबंधित बीमारियों की आशंका कम हो सकती है.

हेल्दी डाइट लें

एक हेल्दी डाइट शरीर के हर अंग को पूरी दक्षता और ऊर्जा के स्तर को ऊंचा रखने में मदद करती है. किडनी के बेहतर स्वास्थ्य के लिए सुनिश्चित करें कि आप ऐसा आहार खाएं जिसमें सोडियम जरूरत से ज्यादा न हो. सबसे अच्छे विकल्पों में से अंडे का सफेद हिस्सा, ब्लूबेरी, मछली, साबुत अनाज और फूलगोभी हैं.

डॉ मनीषा सहाय कहती हैं कि अगर कोई क्रोनिक किडनी डिजीज से जूझ रहा है, तो हेल्दी डाइट लेना बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि किडनी उस तरह शरीर से वेस्ट प्रोडक्ट बाहर नहीं निकाल पाती, जिस तरह निकालना चाहिए.

किडनी फ्रेंडली डाइट लंबे समय तक हेल्दी रहने में मदद करेगी. इसके साथ ही तेल का सेवन भी हर शख्स के लिए महीने में आधा लीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए. फैटी चीजों का सेवन सीमित करना भी फायदेमंद होता है.
डॉ मनीषा सहाय, हेड, नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट, उस्मानिया मेडिकल कॉलेज, हैदराबाद
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मोटापे या वजन पर नियंत्रण रखें

अधिक वजन होने से किडनी पर सीधे असर पड़ सकता है और अतिरिक्त वजन किडनी को अधिक मेहनत करने और शरीर के वेस्ट को नॉर्मल लेवल से अधिक फिल्टर करने के लिए मजबूर करता है. अधिक वजन होने का मतलब है आपके अंगों पर दबाव बढ़ना और शरीर में अधिक टॉक्सिन का जमा होना.

ब्लड प्रेशर चेक और कंट्रोल करें

उच्च रक्तचाप आपके गुर्दे के लिए गंभीर समस्या पैदा कर सकता है और लंबे समय में, यहां तक कि किडनी फेल भी हो सकती है. अगर आपका ब्लड प्रेशर हाई रहता है, तो इसका ट्रीटमेंट कराएं और बीपी कंट्रोल करें.

आपकी किडनी अच्छी तरह से काम करती रहे, इसके लिए जरूरी है कि डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल किया जाए. हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के रोगियों की किडनी डिजीज के लिए स्क्रीनिंग की जरूरत होती है.
डॉ ए.के भल्ला, चेयरमैन, डिपार्टमेंट ऑफ नेफ्रोलॉजी, सर गंगाराम हॉस्पिटल, दिल्ली
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ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखें

अत्यधिक ब्लड शुगर लेवल आपकी किडनी के लिए कभी भी अच्छा नहीं होता है क्योंकि इसे फिल्टर करने के लिए किडनी का काम और मुश्किल हो जाता है. यह, लंबी अवधि में, किडनी फेल होने की आशंका को बढ़ा सकता है. इसलिए, नियमित रूप से ब्लड शुगर लेवल की जांच कराएं और इसे कंट्रोल में रखने के लिए हर आवश्यक सावधानी बरतें.

डायबिटीज के काफी मरीजों में डायबिटिक किडनी की बीमारी विकसित हो जाती है. डायबिटीज के कारण डायबिटिक नेफ्रोपैथी किडनी फेल होने के प्रमुख कारणों में से एक है.
डॉ दिनेश खुल्लर, चेयरमैन और हेड ऑफ डिपार्टमेंट, नेफ्रोलॉजी, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, नई दिल्ली

डॉ खुल्लर के मुताबिक डायबिटीज वाले लोगों को गुर्दे से संबंधित दूसरी समस्याएं जैसे मूत्राशय के संक्रमण भी होने की आशंका अधिक होती है.

किडनी के लिए डॉ ए.के भल्ला सलाह देते हैं कि यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन का समय से इलाज करा लेना चाहिए और यूरिनरी सिस्टम में किसी भी तरह की समस्या को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.

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रूटीन चेकअप

जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, मुंबई में नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट के डायरेक्टर डॉ ऋुषी देशपांडे कहते हैं कि जिन लोगों को डायबिटीज है, जिनका बीपी हाई रहता है, जो ओवरवेट या मोटापे से जूझ रहे हैं, जिनके यहां किडनी डिजीज की फैमिली हिस्ट्री हो, जो स्मोक करते हैं और जिनकी उम्र 50 साल से ज्यादा हो, ऐसे लोगों को साल में कम से कम एक बार किडनी फंक्शन की जांच जरूर करानी चाहिए.

डॉ भल्ला सलाह देते हैं कि अगर यूरिनरी आदतों में कोई बदलाव महसूस हो, ब्लोटिंग, ब्रेन फॉग, मिचली, भूख न लगे तब किडनी का चेकअप करा लेना अच्छा होता है.

(ये लेख आपकी सामान्य जानकारी के लिए है, यहां किसी तरह के इलाज का दावा नहीं किया जा रहा है, सेहत से जुड़ी किसी भी समस्या के लिए और कोई भी उपाय करने से पहले फिट आपको डॉक्टर या विशेषज्ञ से संपर्क करने की सलाह देता है.)

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