2019 के दौरान लगभग 26.9 लाख मामलों के साथ भारत में दुनिया के सबसे अधिक टीबी के मरीज हैं.
पूरे विश्व के टीबी मामलों की करीब एक चौथाई संख्या भारत में है और इस बीमारी से हर साल 400,000 लोग अपनी जान गंवाते हैं.
टीबी हवा से फैलने वाली बीमारी है और एक टीबी संक्रमित व्यक्ति द्वारा छोड़ी गई सांस, अगर कोई दूसरा व्यक्ति सांस द्वारा शरीर के अंदर लेता है, तो वह संक्रमित हो सकता है.
टीबी के रोगाणु कई घंटों तक हवा में मौजूद रह सकते हैं. यह बैक्टीरियल संक्रमण आमतौर पर फेफड़ों से शुरु होता है और जल्दी इलाज न कराने पर शरीर के दूसरे हिस्से में फैल सकता है.
देश में कोविड-19 की तीसरी लहर आने की आशंका जताई जा रही है, ऐसे में टीबी का खतरा भी यथावत बना हुआ है.
हालांकि, टीबी होने पर कोविड-19 संक्रमण होने का खतरा बढ़ना जरूरी तो नहीं है, लेकिन पल्मनरी टीबी प्रभावित मरीजों को कोरोना संक्रमण होने पर अधिक खतरा हो सकता है.
वहीं दूसरी तरफ, अदृश्य या छिपी हुई टीबी के शिकार लोगों पर भी कोविड-19 का खतरा कुछ ज्यादा हो सकता है.
जो लोग टीबी और कोविड दोनों से पीड़ित हैं, और अगर टीबी का इलाज अधूरा छोड़ा गया है तो उनके इलाज का पूरा फायदा नहीं मिल पाता है.
इसलिए, टीबी मरीजों को "रोकथाम इलाज से बेहतर है" वाली बात का पालन करते हुए इस महामारी के दौरान भी अपना इलाज पूरी तरह जारी रखना चाहिए.
अगर आप या आपका कोई परिचित किसी भी प्रकार की टीबी से पीड़ित है, तो इस महामारी के दौरान इस बीमारी के उचित इलाज के लिए कुछ उपायों का पालन करें.
हर समय मास्क पहन कर रखें और सामाजिक दूरी का पालन करें. खांसने या छींकने के दौरान हमेशा टिशू पेपर का इस्तेमाल करें और बाद में उन्हें डस्टबिन में ही फेंकें. इसके बाद अपने हाथों को अच्छी तरह से धोएं और सैनिटाइज भी करें. बिना हाथ धोए अपनी आंखों, नाक और मुंह को न छूएं.
किसी भी बीमार व्यक्ति से हमेशा दूरी बनाए रखें. टीबी और कोविड-19, दोनों ही शरीर से निकली सांस या लार की बूंदों से फैलने वाली बीमारी है, जो कि एक-दूसरे के करीब मौजूद लोगों को संक्रमित करती हैं.
टीबी मरीजों को अपने डॉक्टर की सलाह का सख्ती से पालन करते हुए नियमित रूप से दवाएं लेनी चाहिए. टीबी मरीज को प्रतिदिन बताए गए समय पर ही दवा लेनी चाहिए और दवा लेने के बाद कैलेंडर में चिन्हित करना चाहिए. अगर एक दिन भी दवा लेने में चूक होती है, तो इसके बारे में डॉक्टर को जरूर बताएं. ध्यान रहे कि आपके पास पर्याप्त मात्रा में दवाएं रहनी चाहिए, पूरा आराम करें और पोषक भोजन लेते रहें. समय पर दवाएं लेने के लिए अपने परिवार के सदस्य को याद दिलाने के लिए भी कह सकते हैं.
टीबी की दवाइयों के दुष्प्रभावः डॉक्टर या नर्स द्वारा बताए गए खुराक और समय पर ही दवाएं लेनी चाहिए. टीबी की दवाओं से पेट दर्द, जी मिचलाना, उल्टी आना जैसे दुष्प्रभाव हो सकते हैं. अगर आपको इनमें से कोई भी दुष्प्रभाव होते हैं, तो डॉक्टर से सलाह लें. रिफमपिन नामक एक टीबी की दवा से पेशाब का रंग नारंगी हो सकता है, यह एक सामान्य बात है.
व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखें, जैसे खांसते या छींकते वक्त मुंह को ढकें, अपने कमरे को हवादार बनाए रखें, अपने संक्रमण को दूसरे लोगों में फैलने से रोकना भी काफी महत्वपूर्ण होगा. कभी भी इस मामले में लापरवाही न बरतें.
इस महामारी के दौर में टीबी के मरीज अपने डॉक्टर या स्वास्थ्य केंद्रों में खुद जाने की बजाए टेली-कंसलटेशन सुविधा का उपयोग कर सकते हैं. अपने टीबी उपचार से जुड़ी किसी भी तकलीफ के बारे में बेहिचक अपने डॉक्टर को सूचित करें. आप चाहें तो टीबी से जुड़े लक्षणों, जांच, परीक्षण, अन्य उपचार विकल्प, दवाओं आदि के लिए राष्ट्रीय निक्षय संपर्क हेल्पलाइन पर कॉल करके भी जानकारी ले सकते हैं. यह हेल्पलाइन 14 भाषाओं में संचालित होती है और मरीज इसके टोल फ्री नंबर 1800-11-6666 पर कॉल कर सकते हैं.
टीबी का उपचार किसी भी चरण में रुकना नहीं चाहिए. टीबी की बीमारी से पीड़ित लोगों को इलाज की शुरुआत में कई सारी दवाएं लेनी पड़ती हैं.
कुछ हफ्ते तक टीबी की दवाएं लेने के बाद ही डॉक्टर यह बता सकेंगे कि मरीज का संक्रमण दूसरों में फैलने का खतरा है या नहीं.
अधिकांश मरीजों को कम से कम छह महीने तक टीबी की दवाएं लेनी जरूरी होती है. अपना इलाज जारी रखने, बताई गई सावधानियां बरतने और डॉक्टर की सलाह मानने से टीबी से जल्दी ठीक हो सकेंगे और कोविड-19 संक्रमण से भी बचे रह सकते हैं.
(ये लेख आपकी सामान्य जानकारी के लिए है, यहां किसी तरह के इलाज का दावा नहीं किया जा रहा है, सेहत से जुड़ी किसी भी समस्या के लिए और कोई भी उपाय करने से पहले फिट आपको डॉक्टर या विशेषज्ञ से संपर्क करने की सलाह देता है.)
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