भारत में कोरोनावायरस डिजीज-2019 (COVID-19) को लेकर गुरुवार, 23 अप्रैल को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बताया गया कि पिछले 24 घंटों में 1,409 नए मामलों के साथ COVID-19 के कुल मामले 21,393 हो गए हैं, जिनमें से 16,454 एक्टिव मेडिकल निगरानी में हैं.
पिछले 24 घंटे में 388 लोगों के ठीक होने के साथ रिकवरी का टोटल नंबर 4,257 हो गया है और टोटल रिकवरी रेट 19.89% है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि ऐसे 12 जिले हैं, जहां पिछले 28 दिनों से COVID-19 का कोई केस सामने नहीं आया है, वहीं 78 जिले ऐसे हैं, जहां पिछले 14 दिनों से कोई नया केस नहीं आया है.
30 दिनों के लॉकडाउन से क्या हुआ?
Empowered ग्रुप 2 के चेयरमैन केसी मिश्रा ने बताया कि 30 दिनों के लॉकडाउन में COVID-19 का संचरण कम करने, टेस्टिंग बढ़ाने, भविष्य की तैयारी पर काम किया गया है.
उन्होंने बताया कि 30 दिनों के लॉकडाउन में एक अहम हथियार RT-PCR टेस्टिंग रहा. 23 मार्च को 14,915 टेस्ट किए गए और 22 अप्रैल तक 5 लाख टेस्ट किए जा चुके हैं, जो कि 30 दिनों में करीब 33 गुना है. हालांकि ये काफी नहीं है, हमें और ज्यादा टेस्टिंग करनी है.
केसी मिश्रा ने कहा कि हमारा पहला प्रयास ये है कि लोगों को अस्पताल न आना पड़े, इसके लिए सोशल डिस्टेन्सिंग, जिनको ज्यादा खतरा है, उस वर्ग को सुरक्षित रखना है.
दूसरा प्रयास है कि जिन लोगों को अस्पताल आना पड़े, उन्हें पूरी सुविधा मिले और वो ठीक हो जाएं.
वहीं एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने इस बीमारी को लेकर सामाजिक भेदभाव को मिटाने की अपील की है. उन्होंने कहा कि स्टिग्मा के कारण कई लोग लक्षण होने पर भी हेल्थकेयर फैसिलिटी से संपर्क नहीं कर रहे.
उन्होंने कहा कि अगर इसका जल्दी टेस्ट हो जाए और आप हॉस्पिटल पहुंच जाएं, आपका इलाज हो जाए तो इस बीमारी से खतरा घटता है.
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