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फिट वेबकूफ: क्या मंगरैल खाकर आप कोरोनावायरस से बच सकते हैं?

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दावा

सोशल मीडिया पर वायरल एक मैसेज में दावा किया गया है कि आधा चम्मच कलौंजी के बीज (मंगरैल) शहद के साथ खाकर नोवल कोरोनावायरस (SARS-CoV-2) से बचा जा सकता है क्योंकि कलौंजी के बीज में 100 प्रतिशत हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन होता है. कुछ यूजर्स ने इस मैसेज के साथ एनडीटीवी का एक आर्टिकल भी शेयर किया है, जिसमें मंगरैल के फायदे बताए गए हैं.

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ये मैसेज फेसबुक और ट्विटर काफी सर्कुलेट हुआ है.

सही या गलत?

इस मैसेज में जो दावा किया गया है, उसे साबित करने के लिए कोई पुख्ता मेडिकल प्रमाण नहीं हैं. एक्पर्ट्स के मुताबिक न तो मंगरैल में हाइडॉक्सीक्लोरोक्वीन होता है और न ही इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण है कि मंगरैल खाने से COVID-19 ठीक हो सकता है.

मैसेज के साथ जो आर्टिकल शेयर किया जा रहा है, वो साल 2018 का है, जिसमें मंगरैल खाने के फायदे बताए गए हैं, जिसमें मजबूत इम्युनिटी, किडनी, जोड़ों में दर्द, ब्लड प्रेशर फ्लक्चुएशन से सुरक्षा देना शामिल है.

पड़ताल में हमने क्या पाया?

हमें अप्रैल में पब्लिश हुई एक स्टडी मिली- Identification of Compounds from Nigella Sativa as New Potential Inhibitors of 2019 Novel Coronasvirus (Covid-19): Molecular Docking Study (2019 नोवल कोरोनावायरस (कोविड -19) के नए संभावित अवरोधकों के रूप में मंगरैल के यौगिकों की पहचान: मॉलिक्यूलर डॉकिंग स्टडी)

हालांकि इस स्टडी के निष्कर्ष में कहा गया है, "ये परिणाम आगे in vitro और in vivo जांच के लिए प्रेरित करते हैं."

इस स्टडी के निष्कर्ष पर वायरोलॉजिस्ट डॉ शाहीद जमील कहते हैं कि in vivo का मतलब बॉडी (किसी जीव) के अंदर होता है और in vitro का मतलब बॉडी के बाहर है जैसे टेस्ट ट्यूब.

मैसेज में किए गए दावे पर वो कहते हैं,

कलौंजी के बीजों में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन नहीं होता है. प्राकृतिक जड़ी बूटियों का स्पेक्ट्रम काफी व्यापक है. यह COVID-19 को ठीक कर सकता है या नहीं, ऐसा कुछ साबित होने के बारे में मैंने नहीं सुना है.
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हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन पर चल रही है स्टडी

इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल में इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट के सीनियर कंसल्टेंट डॉ सुरनजीत चटर्जी कहते हैं,

फिलहाल ये भी निश्चित नहीं है कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन COVID-19 से बचा सकता है या इसे ठीक कर सकता है. वहीं कलौंजी के बीजों को लेकर जो दावा किया जा रहा है, उसका भी कोई प्रमाण नहीं है.

कोरोनावायरस डिजीज-2019 (COVID-19) से बचाव के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल को लेकर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की ओर से एडवाइजरी में ये स्पष्ट किया गया है कि इस दवा के इस्तेमाल की सिफारिश सभी के लिए नहीं की गई है.

ये एडवाइजरी कहती है कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को लैब में की गई स्टडीज में असरदार पाया गया है. हालांकि इसके उपयोग की सलाह कुछ ही लोगों के लिए है.

ICMR की ओर से इसके इस्तेमाल की सिफारिश उन्हीं लोगों (जिनमें COVID-19 के लक्षण न हों) के लिए की गई है, जिसमें संदिग्ध या कन्फर्म केस की देखभाल करने वाले हेल्थ वर्कर्स और कोरोनावायरस से संक्रमित के संपर्क (परिवार के लोग) में आने वाले लोग शामिल हैं.

वहीं 18 अप्रैल को ICMR की ओर से कहा गया कि HCQ के साइड इफेक्ट पर भी स्टडी शुरू की गई है क्योंकि कुछ लोगों में इसे लेने से पेट दर्द, मिचली और हाइपोग्लाइसीमिया जैसी दिक्कतें पाई गई हैं.

नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉरमेशन (NCBI) पर पब्लिश एक स्टडी में बताया गया कि क्लोरोक्वीन (एंटी-मलेरिया दवा) के साथ कलौंजी के बीज मिलाकर देने से चूहों में मलेरिया मैनेज करने में मदद मिली.

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मंगरैल के औषधीय गुण

NCBI पर पब्लिश एक और आर्टिकल में मंगरैल के चिकित्सीय प्रभाव के बारे में बताया गया है कि ये त्वचा रोग, पीलिया, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं, एनोरेक्सिया अपच, गठिया, डायबिटीज, हाई बीपी, ब्रोंकाइटिस, सिरदर्द, बुखार, इन्फ्लूएंजा और एक्जिमा जैसी कई बीमारियों के खिलाफ प्रभावी होता है.

इसमें थाइमोक्विनोन (TQ) होता है, जो इसके सक्रिय घटकों में से एक है और कलौंजी के बीज के अधिकांश औषधीय प्रभाव क्विनाइन घटक के कारण होते हैं.

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