ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या होता है जब किडनी काम करना बंद करने लगती है

Updated
Health News
4 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

(हर साल मार्च के दूसरे गुरुवार को वर्ल्ड किडनी डे मनाया जाता है. इस मौके पर ये स्टोरी दोबारा पब्लिश की जा रही है.)

हाल में खबर आई थी कि जेल में बंद राजद सुप्रीमो लालू यादव की किडनी केवल 25 फीसदी काम कर रही हैं. रांची के राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) में लालू का इलाज कर रहे डॉ. उमेश प्रसाद के मुताबिक राजद प्रमुख की दोनों किडनी के काम करने में कोई सुधार नहीं हुआ है और उनकी हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है और उन्हें डायलिसिस की भी जरूरत पड़ सकती है.

आखिर किन वजहों से काम करना बंद करने लगती है किडनी, क्या होता है जब किडनी काम करना बंद कर देती है और किडनी को दुरुस्त बनाए रखने के लिए क्या करना चाहिए? ये समझते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

शरीर में किडनी का काम

  • स्वस्थ गुर्दे (किडनी) हर मिनट में लगभग आधा कप ब्लड फिल्टर करते हैं.

  • किडनी शरीर से अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ पेशाब (यूरिन) के जरिए निकालते हैं.

  • किडनी शरीर की कोशिकाओं द्वारा निर्मित एसिड को भी हटा देते हैं.

  • किडनी ब्लड में पानी, लवण और खनिजों- जैसे सोडियम, कैल्शियम, फॉस्फोरस और पोटेशियम के एक स्वस्थ संतुलन को बनाए रखते हैं. इस संतुलन के बिना, शरीर में तंत्रिकाएं, मांसपेशियां और अन्य ऊतक सामान्य रूप से काम नहीं कर सकते हैं.

  • किडनी हार्मोन भी बनाते हैं, जिनसे ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने, रेड ब्लड सेल्स बनाने और हड्डियों को मजबूत बनाए रखने में मदद मिलती है.

0

किडनी की बीमारी के रिस्क फैक्टर

कई स्वास्थ्य समस्याएं किडनी को प्रभावित करती हैं और क्रोनिक किडनी डिजीज का कारण बन सकती हैं.

रिस्क फैक्टर

  • हाई ब्लड प्रेशर

  • डायबिटीज

  • किडनी फेल होने की फैमिली हिस्ट्री

  • नस्ल या जातीयता-अफ्रीकी अमेरिकी, हिस्पैनिक्स और अमेरिकी भारतीय के लिए अधिक जोखिम हो सकता है

क्रोनिक किडनी डिजीज परमानेंट डैमेज होता है, जो समय के साथ बढ़ता जाता है और जब डैमेज इस हद तक हो जाए कि किडनी काम करना बंद कर दे, तो इसे किडनी फेल होना या एंड-स्टेज रीनल डिजीज कहते हैं.

इसका इलाज डायलिसिस (मशीन के जरिए किडनी के फंक्शन को अंजाम दिया जाता है) या किडनी ट्रांसप्लांट (डोनर से हेल्दी किडनी लेना) होता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

डायबिटीज और किडनी

डायबिटीज किडनी फेल होने की बड़ी वजहों में से एक है. डायबिटीज के कारण किडनी की छोटी रक्त वाहिकाएं और फिल्टर डैमेज हो सकते हैं. इससे ब्लड को साफ करना मुश्किल हो जाता है.

हाई ब्लड प्रेशर का किडनी पर क्या असर पड़ता है?

हाई ब्लड प्रेशर ब्लड वेसल्स को संकुचित और संकीर्ण कर सकता है, जिससे ब्लड फ्लो में कमी आ सकती है और ब्लड वेसल्स भी डैमेज हो सकती हैं.

अगर किडनी की ब्लड वेसल्स डैमेज हो गईं तो हो सकता है कि वे ठीक से काम न कर पाएं. ऐसा होने पर किडनी सभी वेस्ट और एक्स्ट्रा फ्लूइड को नहीं हटा पातें.

ब्लड वेसल्स में एक्स्ट्रा फ्लूइड से ब्लड प्रेशर और बढ़ सकता है, जिससे खतरा और बढ़ता है और ज्यादा डैमेज के साथ किडनी फेल होने का रिस्क भी बढ़ सकता है.

हाई ब्लड प्रेशर किडनी की बीमारी का कारण और परिणाम दोनों हो सकता है.

हाई कोलेस्ट्रॉल से भी किडनी फंक्शन प्रभावित हो सकता है.

इन्फेक्शन, किडनी स्टोन, पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज जैसी बीमारियां भी किडनी के फंक्शन को प्रभावित कर सकती हैं.

कुछ ओवर-द-काउंटर पेन किलर से भी किडनी को नुकसान पहुंच सकता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

किडनी डिजीज के लक्षण

शुरुआत में किडनी डिजीज के कोई लक्षण नजर नहीं आ सकते हैं.

बीमारी बढ़ने के साथ कुछ लोगों के पैरों, एड़ी, तलवों में सूजन हो सकती है. ये सूजन तब होता है जब किडनी अतिरिक्त फ्लूइड और सॉल्ट बाहर नहीं कर पाती है. किडनी के काम में आई गड़बड़ी से सोडियम रिटेंशन पैरों और एड़ी में सूजन का कारण हो सकता है. हालांकि ये दूसरी बीमारियों का भी संकेत हो सकता है.

किडनी की बीमारियों के और भी कई लक्षण हैं-

  • भूख न लगना, मिचली या उल्टी- ऐसा किडनी फंक्शन में आई कमी से टॉक्सिन बनने के कारण हो सकता है.

  • थकान महसूस करना या नींद की समस्या- किडनी फंक्शन में गंभीर गड़बड़ी के कारण ब्लड में टॉक्सिन और अपशिष्ट पदार्थों की मात्रा बढ़ सकती है. इससे थकान होती है, कमजोरी महसूस होती है, एकाग्र होने में कठिनाई होती है, सोने में दिक्कत आती है.

  • सिर दर्द

  • पेशाब कम या ज्यादा होना, पेशाब में खून आना, पेशाब में ज्यादा बुलबुले होना

  • खुजली या सुन्न होना, स्किन में ड्राइनेस या डार्कनेस

  • वजन कम होना

  • मांसपेशियों में ऐंठन- किडनी का काम इलेक्ट्रोलाइट संतुलन है और इस काम में गड़बड़ होती है, तो इलेक्ट्रोलाइट अंसतुलन के कारण मांसपेशियों में ऐंठन हो सकती है.

  • सीने में दर्द या सांस फूलना

ADVERTISEMENTREMOVE AD

किडनी की बीमारी का पता लगाने के लिए ब्लड और यूरिन टेस्ट किया जाता है.

  • ब्लड टेस्ट- इसमें ये चेक करना कि किडनी ब्लड को कितनी अच्छी तरह फिल्टर कर रही है, इसे GFR (Glomerular Filtration Rate) कहते हैं.

  • यूरिन टेस्ट- एल्बुमिन प्रोटीन चेक करने के लिए ये टेस्ट कराया जाता है. एल्बुमिन वो प्रोटीन है, जो यूरिन में तब पास होता है, जब किडनी डैमेज हो गई हो.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

किडनी को फिट रखने के लिए क्या करें?

  • ऐसी चीजें न खाएं जिससे कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़े

  • अगर डायबिटीज है, तो ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रखें

  • नमक सीमित मात्रा में ही लें

  • संतुलित आहार लें, जिसमें ताजे फल और सब्जियां, लो-डेयरी प्रोडक्ट्स और अनाज शामिल हो

  • स्मोकिंग न करें

  • रेगुलर एक्सरसाइज करें

  • शराब न पीएं या शराब सीमित करें

  • मोटापा है, तो उसे कम करें

ADVERTISEMENTREMOVE AD

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×