मध्य प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को अंडा बांटने को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साफ कर दिया है कि कुपोषण दूर करने के लिए अंडा नहीं, दूध बांटा जाएगा.
इससे पहले मध्य प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी ने कुपोषण मिटाने के लिए आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों को अंडा बांटने की बात कही थी. उनका कहना था कि जो बच्चे अंडा खाना चाहेंगे, उनके लिए अंडे का विकल्प रहेगा.
उन्होंने कहा था, "जो बच्चा अंडा लेगा, उसे अंडा दिया जाएगा और बाकी बच्चों को फल में सेब और केला आदि दिया जाएगा."
लेकिन अंडा बांटे जाने की बात पर विवाद और ऐतराज के बाद अब सीएम शिवराज ने साफ कह दिया है कि कुपोषण मिटाने के लिए अंडा नहीं, दूध बांटा जाएगा.
हालांकि दूध को अंडे का विकल्प मानना सही नहीं बताया जा रहा है, कई लोगों का कहना है कि दूध अंडे की जगह नहीं ले सकता, वहीं कुपोषण से निपटने के लिए और बच्चों के विकास के लिए दोनों चीजें यानी दूध और अंडा दोनों जरूरी है.
हां, दूध जरूरी है
दूध के कई फायदे हैं और बढ़ते बच्चों के लिए इससे जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं. फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक दूध या डेयरी प्रोडक्ट से भरपूर आहार प्रोटीन की आवश्यकता का 25-33% प्रदान करता है और कुपोषित बच्चों के वजन बढ़ाने और उनके विकास पर अच्छा असर डालता है. दूध से कैल्शियम, विटामिन B और B12, पोटैशियम जैसे कई पोषक तत्वों की पूर्ति होती है, जो कि मजबूत हड्डियों और बेहतर सोचने-समझने-सीखने की क्षमता के लिए जरूरी होते हैं.
दूध के बारे में फिट से बात करते हुए न्यूट्रिशनिस्ट रुपाली दत्ता बता चुकी हैं,
दूध प्रोटीन के सबसे अच्छे सोर्स में से एक है. यह कैल्शियम का सबसे अच्छा स्रोर्स है. हमारे दिल की सेहत पर भी इसका अच्छा प्रभाव पड़ता है. बहुत सारे अध्ययनों से पता चला है कि आवश्यकता के अनुसार दूध पीना डायबिटीज से बचा सकता है.
अंडे के फायदे हैं
अंडा प्रोटीन और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स से भरपूर होता है. इसे बनाना आसान है और ये किफायती भी होता है, वहीं दूध की तरह इसमें मिलावट नहीं की जा सकती है.
मीड डे मील में अंडे को शामिल न किए जाने पर फिट ने इससे पहले एक आर्टिकल में साफ किया था कि अंडा किस तरह कुपोषण से लड़ने के लिए एक आदर्श प्रोटीन है. प्रोटीन से मांसपेशियों का निर्माण होता है, लंबाई बढ़ती है और बढ़ते बच्चों में हार्मोन संतुलित होता है.
नीचे दिए गए चार्ट को देखें जिसमें अंडे और शाकाहारी विकल्पों के पोषकों की तुलना की गई है:
प्रोटीन की क्वालिटी बायोलॉजिकल वैल्यू (BV) से मापी जाती है, शरीर द्वारा अवशोषित किए जा सकने वाले प्रोटीन की मात्रा. दालों में मौजूद प्रोटीन की BV 60 है और अनाज की BV 60 और 70 के बीच, अंडे से मिलने वाले प्रोटीन की BV 100 है.
अब अंडे का एमिनो-एसिड मेकअप मानव ऊतकों के समान है, इसलिए अंडे लगभग 100% अवशोषित होते हैं, खासकर उन बच्चों में जो कम मात्रा में भोजन करते हैं.
अंडे के बारे में कहा जाता है कि इसमें फाइबर की तुलना में फैट यानी वसा अधिक होता है. लेकिन ये गुड फैट होते हैं और बढ़ते बच्चों के वजन बढ़ाने, दूसरे पोषक तत्वों के अवशोषण की सुविधा और मस्तिष्क के विकास के लिए कैलोरी की आवश्यकता होती है.
हालांकि शाकाहारी विकल्प जैसे सोया चंक्स, टोफू, काफी मात्रा में दूध एक अंडे की प्रोटीन आवश्यकताओं से मेल खा सकता है, लेकिन कोई भी विकल्प ऐसा नहीं है, जिसमें सभी पोषक तत्व, (विटामिन A, आयरन, कैल्शियम और वसा) एक साथ मौजूद हों. इसके अलावा, टोफू और सोया आंगनवाड़ी में बच्चों के लिए किफायती विकल्प नहीं हो सकते हैं.
ग्रामीण भारत के अधिकांश बच्चों में गंभीर कुपोषण को देखते हुए मीड डे मील की योजनाओं में प्रोटीन के सोर्स शामिल करने से बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार पाया गया है.
शाकाहार एक विकल्प है, इसे ऐसे देश में लागू करना, जहां कुपोषण बीमारियों के बोझ के लिए प्रमुख जोखिम कारक है, हानिकारक हो सकता है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)