ब्रिटेन में मंकीपॉक्स के दो मामले सामने आए हैं. स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक दोनों मामलों की पहचान एक ही घर के दो लोगों में हुई है.
दोनों मरीजों को इंग्लैंड के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है और इनके संपर्क में आए लोगों का फॉलोअप किया जा रहा है. हालांकि अधिकारियों का कहना है कि मरीजों से स्वस्थ लोगों के संक्रमित होने का जोखिम कम है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, मंकीपॉक्स वायरस संक्रमित जानवर से इंसानों में पहुंच सकता है.
मंकीपॉक्स वायरस का ट्रांसमिशन तब होता है, जब कोई व्यक्ति इससे संक्रमित किसी जानवर या इंसान या किसी चीज के जरिए वायरस के संपर्क में आता है.
जानवर-से-इंसान में इसका संचरण काटने या खरोंच, बुशमीट (गैर पालतू स्तनधारियों, सरीसृपों और पक्षियों के मांस), संक्रमित जानवर के ब्लड, पसीना या लार के संपर्क से हो सकता है. इंसानों से इंसानों में इसका ट्रांसमिशन बड़े रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट के जरिए हो सकता है.
वायरस कटी या चोटिल स्किन, सांस के रास्ते या श्लेष्मा झिल्ली (आंख, नाक या मुंह) के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकता है.
मंकीपॉक्स के लक्षण
सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (CDC) के मुताबिक इंसानों में मंकीपॉक्स के लक्षण करीब-करीब स्मॉलपॉक्स जैसे होते हैं.
मंकीपॉक्स के शुरुआती लक्षण:
बुखार
सिर दर्द
मांसपेशियों में दर्द
कमर और पीठ दर्द
ठंड लगना
थकान
बुखार होने के 1 से 3 दिनों में (कभी-कभी और ज्यादा वक्त के बाद) मरीज के शरीर में चकत्ते दिखाई देते हैं, जो अक्सर चेहरे से शुरू होते हैं और फिर पूरे शरीर में फैल जाते हैं.
ये बीमारी 2-4 हफ्तों तक रहती है. आमतौर पर ये जानलेवा नहीं होती, लेकिन दुर्लभ मामलों में जान जा भी सकती है.
CDC के मुताबिक इंसानों में मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में रिकॉर्ड किया गया था. इसके ज्यादातर मामले सेंट्रल और पश्चिमी अफ्रीका में पाए जाते हैं.
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