नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (NFHS-5) के मुताबिक देश भर में मोटापे की समस्या बढ़ी है. पिछले नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 के मुकाबले लगभग सभी राज्यों में मोटापे से जूझ रहे या ओवरवेट लोगों की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई है.
इसमें वयस्कों के साथ ही 5 साल से कम उम्र के बच्चे भी शामिल हैं.
मोटापा ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति का वजन इतना ज्यादा हो जाता है कि इसका बुरा असर उसकी सेहत पर पड़ने लगता है.
पांच साल से कम उम्र के ओवरवेट बच्चों की संख्या
NFHS-5 के मुताबिक 20 राज्यों में पांच साल से कम उम्र के बच्चों का वजन तेजी से बढ़ा है.
2015-16 के नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुकाबले 2019-20 के सर्वे में लद्दाख, लक्षद्वीप, मिजोरम, त्रिपुरा, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश में 5 साल से कम उम्र के बच्चों का वजन अधिक होने की समस्या विकराल होती पाई गई है.
लद्दाख में सबसे ज्यादा करीब 13.4 प्रतिशत बच्चे मोटापे से पीड़ित पाए गए हैं, जबकि 2015-16 के सर्वे में ये संख्या 4 प्रतिशत थी.
वहीं गोवा, दादरा एवं नगर हवेली और दमन दीव में अधिक वजन वाले पांच साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या कम हुई है.
लक्षद्वीप में 10.5 प्रतिशत, मिजोरम में 10 प्रतिशत, जम्मू-कश्मीर और सिक्किम में 9.6 प्रतिशत बच्चों में मोटापा देखा गया है.
बच्चों में अधिक वजन का आकलन लंबाई के आधार पर किया गया.
मोटापे के मामले में वयस्कों की हालत
16 राज्यों में महिलाओं में और 19 राज्यों में पुरुषों में मोटापा बढ़ा है. महिलाओं और पुरुषों में मोटापे का आकलन उनके बॉडी मास इंडेक्स के आधार पर किया गया.
अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में सबसे अधिक 38 प्रतिशत महिलाएं मोटापे से पीड़ित पाई गईं, जबकि NFHS-4 के मुकाबले NFHS-5 में इस संख्या में सबसे अधिक बढ़ोतरी लद्दाख में देखी गई.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक हमारा गलत खानपान और फिजिकल एक्टिविटी में कमी होना मोटापे में बढ़ोतरी की मुख्य वजह है.
मोटापे के सबसे मुख्य कारण हैं:
खाने-पीने की गलत आदतें
गतिहीन जीवनशैली
नींद की कमी
तनाव
मोटापा इस समय दुनिया की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है. मोटापा कई तरह के कैंसर, हाई बीपी, डायबिटीज और दूसरी कई बीमारियों का रिस्क फैक्टर बताया जाता है.
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