ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या TB की वैक्सीन COVID-19 के खिलाफ कारगर हो सकती है?

100 साल पुरानी वैक्सीन पहले कभी नहीं देखे गए वायरस के संभावित इलाज को लेकर चर्चा में आ जाएगी.

Updated
Health News
6 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

किसने सोचा था कि एक 100 साल पुरानी वैक्सीन पहले कभी नहीं देखे गए वायरस के संभावित इलाज को लेकर चर्चा में आ जाएगी.

पूरी दुनिया रिसर्चर्स, वायरोलॉजिस्ट और वैक्सीन एक्सपर्ट की तरफ उम्मीद के साथ देख रही है क्योंकि उनकी ओर से उस वैक्सीनेशन की स्टडी और टेस्ट जारी है, जो इम्यूनिटी बढ़ाने, सांस से जुड़े लक्षणों को कम करने और बीमारी के कारकों (वायरस, बैक्टीरिया और अन्य सूक्ष्मजीवी) से लड़ने के लिए शरीर में एंटीबॉडी बनाने के लिए जाना जाता है.

कोरोनोवायरस के खिलाफ जिन अलग-अलग वैक्सीन का टेस्ट किया जा रहा है, उनमें से एक है BCG. यह टीबी के खिलाफ वैक्सीनेशन में इस्तेमाल किया जाता है. जो देश कई वर्षों से इस बीमारी से पीड़ित रहे हैं, वहां बच्चों के जन्म के समय BCG का टीका लगाया जाता है. भारत ऐसा ही एक उदाहरण है. भारत 1948 से अपनी आबादी को BCG का टीका लगा रहा है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
वर्षों से, बैसिलस कैलमेट-गुएरिन (बीसीजी) को टीबी के प्रसार को रोकने के रूप में अधिक जाना जाता है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह टीका सांस से जुड़े इन्फेक्शन के दायरे को कम करता है. इसके अलावा मैनिन्जाइटिस और कुष्ठ रोग से निपटने में मदद करता है. यह इन्फेक्शन को लेकर प्रतिक्रिया करने के लिए इम्यून सिस्टम को भी तैयार करता है.

बीसीजी के विभिन्न तरह के प्रतिरक्षा शक्ति से जुड़े फायदे को ध्यान में रखते हुए, दुनिया भर के एक्सपर्ट्स बीसीजी और COVID-19 के बीच एक कड़ी खोजने की कोशिश कर रहे हैं. हर दिन रिसर्चर्स और डॉक्टर दोनों के बीच सहसंबंध की दिशा में प्रगति कर रहे हैं कि इनके बीच निश्चित रूप से कुछ संबंध है, जो मौजूद है.

एक ओर, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी जैसे देश इसके प्रभाव की पुष्टि करने के लिए हेल्थकेयर वर्कर्स पर बीसीजी का टेस्ट कर रहे हैं और दूसरी तरफ, स्टडीज में यह दावा किया जा रहा है कि जिन देशों में पहले से ही यूनिवर्सल बीसीजी वैक्सीनेशन पॉलिसी है, वहां कोरोनावायरस के कारण होने वाली मृत्यु दर कम है.

इस आर्टिकल में, हम बीसीजी से संबंधित आपके सवालों के जवाब देंगे और आगे बताएंगे कि इस पर एक्सपर्ट्स का क्या कहना है:

0

यूनिवर्सल BCG वैक्सीनेशन पॉलिसी और COVID-19 से मृत्यु दर में कमी पर स्टडीज

MedRxix पर पोस्ट की गई एक स्टडी में कहा गया है कि इटली, नीदरलैंड और अमेरिका जैसे देश जहां बीसीजी टीकाकरण की यूनिवर्सल पॉलिसी नहीं है, वे यूनिवर्सल बीसीजी पॉलिसी वाले देशों की तुलना में COVID-19 से अधिक गंभीर रूप से प्रभावित हुए.

इसमें आगे बताया गया है,

यूनिवर्सल बीसीजी वैक्सीनेशन और COVID-19 के खिलाफ प्रोटेक्शन के बीच संबंध की शुरुआत बताती है कि बीसीजी कोरोनोवायरस के मौजूदा स्ट्रेन के खिलाफ लंबे समय तक चलने वाली सुरक्षा प्रदान कर सकता है.

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार NYIT में बायोमेडिकल साइंसेज के एसिस्टेंट प्रोफेसर और इस स्टडी के प्रमुख लेखक गोंज़ालो ओत्ज़ु ने कहा कि उन्हें बीसीजी वैक्सीन के बारे में ये पता था कि इससे संक्रमण के खिलाफ सुरक्षा मिलती है. इसलिए उन्होंने और उनकी टीम ने ऐसे देशों के आंकड़ों पर गौर किया, जिनके पास ऐसी पॉलिसी थी. इस संबंध को खोजने के लिए वहां COVID-19 के कन्फर्म मामलों की संख्या को देखा गया.

ह्यूस्टन के एमडी एंडरसन कैंसर सेंटर में एक भारतीय-अमेरिकी कैंसर सर्जन और कैंसर रिसर्च के प्रोफेसर डॉ आशीष कामत की एक दूसरी स्टडी कहती है, 'बीसीजी वैक्सीनेशन वाले देशों में COVID-19 के मामले प्रति 10 लाख की आबादी पर 38.4 है. जबकि वे देश जहां बीसीजी वैक्सीनेशन प्रोग्राम नहीं है, वहां प्रति 10 लाख की आबादी पर 358.4 केस हैं.' इस स्टडी में 178 देशों के डेटा का विश्लेषण किया गया.

उनकी स्टडी आगे कहती है,

बीसीजी प्रोग्राम वाले देशों में मृत्यु दर प्रति 10 लाख की आबादी पर 4.28 थी, जबकि बिना इस प्रोग्राम वाले देशों में यह प्रति 10 लाख की आबादी पर 40 थी.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

दूसरे एक्सपर्ट इस दावे को चुनौती देते हैं

मैकगिल यूनिवर्सिटी की एमिली मैकलीन द्वारा लिखित "एक इकोलॉजिकल स्टडी की आलोचना" के रूप में प्रकाशित एक दूसरी रिपोर्ट में तर्क दिया गया है, "सहसंबंध मतलब सीधा संबंध या कारण से जुड़ा नहीं है."

उन्होंने कहा कि यह उभर कर आ सकता है कि बीसीजी वैक्सीन COVID-19 से सुरक्षा प्रदान करती है. हालांकि, जानकारी की वर्तमान स्थिति के साथ हम इसे किसी भी निश्चितता के साथ नहीं बता सकते हैं.

वह आगे इस बात पर जोर देती है, "यह उल्लेख करने में खतरा है कि इस बात के सबूत हैं कि 100 साल पुरानी वैक्सीन इम्यूनिट बढ़ा सकती है, दूसरी बीमारियों से सुरक्षित करती है, और इससे आगे बढ़कर COVID -19 के खिलाफ सुरक्षा देती है. या सिर्फ इस विश्लेषण के आधार पर अपनी प्रस्तुति की गंभीरता को कम करती है."

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या है भारत के डॉक्टर्स और एक्सपर्ट्स की राय?

फिट ने एक्सपर्ट से यह समझने के लिए बात की कि क्या ऊपर बताए गए सहसंबंध का एक मजबूत आधार है.

वेटरन वायरोलॉजिस्ट डॉ जैकब टी जॉन ने हमें बताया कि बीसीजी को COVID-19 में मदद करने की संभावना का मूल आधार यह है कि बीसीजी किसी भी तरह के सांस से जुड़े इन्फेक्शन के खिलाफ इम्यून सिस्टम को मोडिफाई करता है.

हालांकि, उन्होंने कहा कि बीसीजी के पुराने वर्जन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है, संशोधित वर्जन को अभी भी देखा जा सकता है. उन्होंने यह भी बताया कि बीसीजी द्वारा प्रदान की गई सुरक्षा सभी एज ग्रुप और दुनिया भर में एक समान नहीं है.

वह आगे कहते हैंः

ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी द्वारा किए गए ठोस अध्ययनों के परिणाम प्राप्त करने के बाद ही हम निश्चित हो सकते हैं. तब तक, यह सिर्फ एक थ्योरी है. दूसरी तरफ भारत अभी रिसर्च वर्क से भटकने का रिस्क नहीं उठा सकता है. हम युद्ध लड़ रहे हैं. हमें हेल्थ वर्कर्स की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए.

अपोलो हॉस्पिटल के सीनियर इंटरनल मेडिसिन स्पेशलिस्ट डॉ सुरनजीत चटर्जी ने फिट से बात करते हुए कहा कि अभी जो स्टडीज की जा रही हैं, उनके कन्फर्म होने का इंतजार करना होगा.

इन नई स्टडीज के बारे में भारत कितना आशान्वित हो सकता है, इस सवाल पर, उन्होंने कहा, "यहां मौजूद संक्रमण के आधार पर भारत किसी भी अन्य देश की तुलना में COVID-19 के लिए अधिक इम्यून हो सकता है. बीसीजी उसी तरह काम करता है. लेकिन यह कहना है कि बीसीजी निश्चित रूप से हमारे लिए कारगर होगा, अभी हम इसकी सिर्फ उम्मीद ही कर सकते हैं."

ADVERTISEMENTREMOVE AD

BCG के प्रभाव की जांच करने के लिए कई देशों में ट्रायल

कुछ यूरोपीय देशों और ऑस्ट्रेलिया में कई ट्रायल और टेस्ट चल रहे हैं कि क्या बीसीजी वास्तव में COVID-19 के खिलाफ काम कर सकता है.

ऑस्ट्रेलिया में मर्डोक चिल्ड्रेन्स रिसर्च इंस्टीट्यूट (MCRI) के रिसर्चर 4000 हेल्थ वर्कर्स पर ट्रायल कर रहे हैं.

फोर्ब्स ने खबर दी कि MCRI के निदेशक प्रोफेसर कैथरीन नॉर्थ ने एक विज्ञप्ति में कहा, "इस ट्रायल से COVID-19 लक्षणों के खिलाफ वैक्सीन की प्रभावशीलता को ठीक से जांचने में मदद मिलेगी, और हमारे हीरो फ्रंटलाइन हेल्थकेयर वर्कर्स की जिंदगी को बचाने में मदद मिल सकती है."

इसी तरह के टेस्ट जर्मनी, नीदरलैंड और ग्रीस में किए जा रहे हैं.

इससे पहले, मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर इन्फेक्शन बायोलॉजी के एक्सपर्ट्स ने बीसीजी पर आधारित एक वैक्सीन विकसित की थी. जल्द ही कोरोनावायरस के खिलाफ इसका टेस्ट किया जाएगा. माना जाता है कि वैक्सीन, VPM1002 लोगों की श्वसन संबंधी समस्याओं से सुरक्षा करती है.

इंस्टीट्यूट का कहना है,

जर्मनी के कई अस्पतालों में बड़े पैमाने पर स्टडी की जानी है और इसमें वृद्ध लोग और हेल्थ केयर वर्कर्स शामिल होंगे. दोनों समूहों को विशेष रूप से बीमारी का खतरा है. VPM1002 से इस तरह कुछ वक्त मिल सकता है, जब तक कि एक वैक्सीन विशेष रूप से SARS CoV-2 के खिलाफ प्रभावी ना हो.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

सावधानी और धैर्य की जरूरत

जबकि सभी की निगाहें इन टेस्टिंग और रिपोर्टों पर हैं, इसलिए यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अब तक हमारे पास ठोस सबूत नहीं है कि बीसीजी वास्तव में काम करेगा और यूनिवर्सल बीसीजी पॉलिसी वाले देश अपनी इम्यूनिटी के बारे में सुनिश्चित हो सकते हैं. सभी सुरक्षा उपायों में सबसे ऊपर है - सेल्फ आइसोलेशन- बिना फेल हुए इसका पालन किया जाना चाहिए.

आने वाले हफ्ते में इस पर और अपडेट आने वाले हैं, लेकिन यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि बीसीजी कमजोर इम्यून सिस्टम या गर्भवती महिलाओं के लिए नहीं हो सकता है. यहां तक कि जो लोग कोरोनोवायरस के खिलाफ बीसीजी के प्रभाव में विश्वास करते हैं, वे मानते हैं कि यह एक स्थायी समाधान नहीं है और जब तक COVID-19 के लिए अलग से वैक्सीन नहीं आ जाती है, तब तक 100 साल पुराने टीबी के टीके का टेस्ट किया जा सकता है और फिर इम्यून बूस्ट करने के लिए उपयोग किया जा सकता है.

जो स्टडी यह दावा करती है कि यूनिवर्सल बीसीजी वैक्सीन पॉलिसी वाले देश में COVID-19 के खिलाफ मृत्यु दर कम होगी, उसके सह-लेखक ओत्ज़ु का कहना है, "दुनिया के किसी भी देश ने सिर्फ इसलिए बीमारी को नियंत्रित करने में कामयाबी हासिल नहीं की है कि उनकी आबादी को बीसीजी का टीका लगा था."

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें