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#DecodingPain: दर्द के दौरान आपके शरीर में क्या हो रहा होता है?

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Health News
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(यह लेख फिट की #DecodingPain सीरीज का हिस्सा है. इस सीरीज में हम दर्द की हर परत– अहसास, वजह, इससे जुड़े कलंक, दवा और ट्रीटमेंट के बारे में गहराई से जानेंगे.)

जब आपको चोट लगती है, तो आपके शरीर में क्या होता है?

चोट लगने की जगह पर आपकी तंत्रिकाओं में मौजूद छोटे न्यूरोट्रांसमीटर रीढ़ के जरिए आपके दिमाग को सिग्नल भेजते हैं. यहां सिग्नल्स को प्रोसेस किया जाता है.

इसके मूल्यांकन के आधार पर दिमाग अपने खुद के सिग्नल्स के साथ प्रतिक्रिया करता है, कई तरह के केमिकल्स के साथ तेजी से जख्म वाली जगह पर रक्त की आपूर्ति करता है, और इसे दुरुस्त करने के लिए इम्यून सिस्टम को सक्रिय करता है.

यह सब चंद सेकेंड्स में हो जाता है.

चोट लगने पर दर्द होता है. यह दर्द की सबसे आसान व्याख्या है.

लेकिन बिना चोट लगे भी शरीर में दर्द क्यों होता है?

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फिट ने दिल्ली पेन मैनेजमेंट सेंटर में पेन मैनेजमेंट स्पेशलिस्ट डॉ. ध्रुव बिबरा से बात की जो दर्द और इसके होने के कई तरीकों को विस्तार से समझाते हैं.

“जरा सोचिए कि आपने घड़ी पहन रखी है. तो कल अगर आप घड़ी पहनना भूल जाते हैं, तब आपको लगता कि कुछ गुम है, है ना?”
डॉ. ध्रुव बिबरा, दिल्ली पेन मैनेजमेंट सेंटर में पेन मैनेजमेंट स्पेशलिस्ट

वह समझाते हैं, “तो, हुआ यह कि एक सर्किट बन गया, जो उस उत्प्रेरक ने आपके दिमाग में बना दिया, और उस उत्प्रेरक के बिना आपका दिमाग उस दर्द को महसूस करना जारी रखता है.”

माइग्रेन (migraines), फाइब्रोमायल्जिया (fibromyalgia) या दूसरे क्रोनिक पेन के मामले में ऐसा ही होता है.

दर्द को मोटे तौर पर तीन वर्गों में बांटा जा सकता है: नोसिसेप्टिव (nociceptive), न्यूरोपैथिक (neuropathic) और डिसफंक्शनल (dysfunctional) पेन.
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वह बताते हैं, "नोसिसेप्टिव पेन आपका आम चोट का दर्द है."

दूसरी ओर न्यूरोपैथिक पेन (नर्वस सिस्टम से जुड़ा दर्द) ऐसा दर्द है, जो किसी बीमारी या क्षति की वजह से होता है. तो बुनियादी तौर पर शरीर के सिस्टम से जुड़ी बीमारी तंत्रिकाओं पर असर डालने लगती है और दर्द के रूप में सामने आती है.

वे कहते हैं, “डिसफंक्शनल पेन थोड़ा ज्यादा तकनीकी, ज्यादा मुश्किल है. ऐसा इसलिए है क्योंकि कुछ भी गलत नहीं होता है, मगर आपके रिसेप्टर्स फिर भी संकेत दे रहे होते हैं.”

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'न्यूरोपैथिक पेन में सिर्फ दर्द ही नहीं होता'

क्रोनिक कंडिशन के साथ न्यूरोपैथिक पेन का सामना करना मुश्किल हो सकता है क्योंकि यह अलग-अलग तरीकों से उभरता है.

"आम प्रचलित रूप में न्यूरोपैथिक पेन में सिर्फ दर्द ही नहीं होता है बल्कि कुछ संवेदी लक्षण भी होते हैं, जिनमें अंगों का सुन्न हो जाना, झुनझुनी, चुभन, सुई की चुभन जैसा और आपके पूरे शरीर में कुछ रेंगने का अहसास हो सकता है.”
डॉ. ध्रुव बिबरा

वह यह भी बताते हैं कि कभी-कभी, न्यूरोपैथिक पेन में किसी को हाइपरएल्जेसिया (hyperalgesia) और एलोडायनिया (allodynia) नाम की दशाएं हो सकती हैं.

1. हाइपरएल्जेसिया में एक छोटा दर्द बहुत बड़े दर्द में बदल जाता है. उदाहरण के लिए अगर मैं पिन चुभोता हूं और आपको लगता है कि किसी ने आपको चाकू घोंपा गया है, तो यह दर्द के उत्प्रेरक के हिसाब से जरूरत से ज्यादा बड़ी प्रतिक्रिया है.”

2. एलोडायनिया दर्द पैदा करने वाला एक पीड़ाहीन उत्प्रेरक है. उदाहरण के लिए, अगर मैं आपको छूता भर हूं और आपको ऐसा दर्द होता है जैसे कि आप जल रहे हैं, तो वह एलोडायनिया है.”

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दर्द और मेंटल हेल्थ: एक दूसरे पर कैसे असर डालते हैं

जैसा कि इससे पहले के एक लेख में, फिट ने पता लगाया है कि मानसिक तनाव और आघात बार-बार होने वाले दर्द (chronic pain) में बदल सकते हैं.

“जब हम ऐसे दर्द के बारे में बात करते हैं जो बहुत लंबे समय से बना हुआ है, तो निश्चित रूप से उस शख्स के भावनात्मक अनुभवों को ध्यान में रखा जाना चाहिए क्योंकि वे एक महत्वपूर्ण वजह हो सकते हैं.”
डॉ. ध्रुव बिबरा, दिल्ली पेन मैनेजमेंट सेंटर में पेन मैनेजमेंट स्पेशलिस्ट

डॉ. बिबरा बताते हैं कि दर्द किसी शख्स की मानसिक दशा पर किस तरह असर डालता है.

“कल्पना कीजिए अगर किसी को यह दर्द सालों से हो रहा है और वह लगातार इस डर के साथ जी रहा है कि जब भी वह किसी गतिविधि में शामिल होगा तो दर्द उभर सकता है. मैंने अपने मरीजों में चिंता और निराशा देखी है, जो क्रोनिक पेन के साथ आता है.”

डॉ. बिबरा यह भी बताते हैं कि जिन मरीजों को सालों से क्रोनिक पेन होता है, वे अक्सर ऐसे दुष्चक्र में फंस जाते हैं, जहां दर्द उनके मूड पर असर डालता है और मूड उनके दर्द पर असर डालता है.

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दर्द का खात्मा: इसका क्या इलाज है

डॉ. बिबरा का कहना है कि क्रोनिक पेन, खासकर न्यूरोपैथिक पेन के मामले में, बुनियादी वजह की पहचान कर ट्रीटमेंट शुरू करना होता है.

इसके अलावा जब दर्द जटिल होता है तो ट्रीटमेंट भी बहुआयामी होता है.

कभी-कभी पेन किलर्स काम नहीं कर सकती हैं. अगर किसी शख्स में कोई साफ शारीरिक वजह नहीं दिखती है तो मनोवैज्ञानिक वजहों का पता लगाना चाहिए.

डॉ. बिबरा बताते हैं कि कई ट्रीटमेंट को एक साथ मिलाना किस तरह मददगार हो सकता है.

“कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी के माइंडफुलनेस जैसे उपाय हैं, जिन्हें मरीजों में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए दवा के साथ मिलाया जा सकता है. और इसमें सिर्फ दर्द का ही इलाज नहीं किया जाता बल्कि मरीज की रोजमर्रा की कामकाजी जिंदगी में भी बदलाव लाते हैं.”

(अपनी दर्दनाक तकलीफों के बारे में जानना चाहते हैं? अपने सवाल fit@thequint.com पर भेजें, और हम आपके लिए पेन एक्सपर्ट से जवाब लाएंगे.)

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