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COVID-19: CT स्कैन कब कराते हैं डॉक्टर? इससे क्या पता चलता है

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भारत में जबकि कोविड मामलों में आई तेजी से हेल्थकेयर सिस्टम चरमरा गया है, और इसके नतीजे में ज्यादा जानने और ‘हर चीज आजमाने’ की कोशिश हमारी हताशा को दर्शाती है. सोशल मीडिया पर डॉक्टरी सलाह, टिप्स और नसीहतों की बाढ़ आई हुई है, और सही तथ्य को अलग करना मुश्किल हो रहा है.

इस बीच कोविड में सीटी स्कैन कराने में भी जबरदस्त उछाल आया है.

ध्यान देने वाली बात यह है कि दूसरे कोविड टेस्ट की तरह सीटी स्कैन की फीस या इसकी अधिकतम सीमा तय नहीं की गई है, जिसके चलते इसका इस्तेमाल मरीजों से उगाही में हो सकता है.

इसके अलावा, कुछ खास मामलों को छोड़कर हर कोरोना संक्रमित शख्स को सीटी स्कैन कराने की जरूरत नहीं है.

कोविड टेस्टिंग और सीटी स्कैन का सच क्या है? आपको सीटी स्कैन कब कराना चाहिए? फिट ने इस सिलसिले में कुछ विशेषज्ञों से बात की है.

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सीटी स्कैन क्या है, और क्या यह कोविड का पता लगाने में मदद करता है?

मेयो क्लीनिक के मुताबिक सीटी— या कम्प्यूटराइज्ड टोमोग्राफी— स्कैन कई एक्स-रे और कंप्यूटर प्रोसेसिंग का सहारा लेकर बनाई गई क्रॉस-सेक्शनल इमेजेज की एक श्रृंखला है.

सीटी स्कैन आमतौर पर न केवल हड्डियों के बारे में बल्कि आपके शरीर के अंदर रक्त वाहिकाओं और सॉफ्ट टिश्यूज की भी ज्यादा गहरी जानकारी मुहैया कराते हैं, और अंदरूनी चोट का पता लगाने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है.

कोविड-19 के मरीज का चेस्ट सीटी स्कैन कोविड-निमोनिया (एक संकेत जो बताता है कि संक्रमण गंभीर हो गया है) और कोविड से जुड़ी फेफड़ों में अन्य असामान्य स्थितियों का पता लगाने में मदद कर सकता है.

होली फैमिली हॉस्पिटल, दिल्ली में क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के डॉ. सुमित रे कहते हैं, लेकिन “इसका बुनियादी मकसद कोविड का पता लगाना नहीं है.”

सैफी हॉस्पिटल में डिपार्टमेंट ऑफ इमेजिंग साइंसेज के चेयरमैन और हेड डॉ. राजीव मेहता कहते हैं कि सीने का CT स्कैन कोरोना संक्रमण का पता करने के लिए इस्तेमाल नहीं होता है. कोई कोरोना संक्रमित है या नहीं इसका पता करने के लिए RT-PCR टेस्ट गोल्ड स्टैंडर्ड है.

फिर कोविड का पता लगाने के लिए सीटी स्कैन क्यों कराया जा रहा है?

डॉ. सुमित रे का कहना है, “हमेशा से कोई भी टेस्ट एक निश्चित मात्रा में फॉल्स निगेटिव रिपोर्ट देते हैं, और यह बात कोविड टेस्ट के मामले में भी लागू होती है.”

डॉ. राजीव मेहता कहते हैं कि RT-PCR टेस्ट की सेंसिटिविटी लगभग 65%-70% फीसदी होती है. इसलिए कुछ रोगियों में कोरोना के लक्षण होने के बावजूद निगेटिव रिजल्ट मिल सकता है.

ऐसे मरीजों में सीटी स्कैन फेफड़ों में बीमारी की गंभीरता का पता करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
डॉ. राजीव मेहता, चेयरमैन और हेड, डिपार्टमेंट ऑफ इमेजिंग साइंसेज, सैफी हॉस्पिटल

फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा में पल्मोनोलॉजी/ चेस्ट और स्लीप मेडिसिन डिपार्टमेंट के डॉयरेक्टर और हेड डॉ मृणाल सरकार बताते हैं, "सीने के CT स्कैन से कोरोना वायरस डिजीज के कारण एम्बोलिज्म, एयर लीक जैसी फेफड़ों की जटिलताओं को जानने में मदद मिल सकती है. CT स्कैन कोविड निमोनिया जैसे वायरल निमोनिया की पुष्टि का सबूत देने में मदद करता है."

डॉक्टर्स कुछ मामलों में RT-PCR, एक्स-रे और सीटी स्कैन तीनों की सलाह दे सकते हैं.

लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि, जिस किसी को भी कोविड हुआ है, उन सभी लोगों को सीटी स्कैन कराना होगा.

डॉ. सुमित रे इस बात पर जोर देते हैं, “सीटी का इस्तेमाल बीमारी की गंभीरता को जानने के लिए किया जाना चाहिए, और वह भी तब अगर बीमारी की गंभीरता लगातार बनी हुई हो.”

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आपको सीटी स्कैन कब कराना चाहिए?

डॉ. सुमित रे किसी भी मेडिकल ट्रीटमेंट में संदर्भ के महत्व की बात करते हैं.

वे कहते हैं, “सीटी स्कैन भी केवल खास संदर्भों में फायदेमंद होते हैं,” और कोविड के मामले में, “यह संदर्भ इंफेक्शन की गंभीरता है.”

“सीटी के बारे में कोई तयशुदा दिशा-निर्देश नहीं है कि क्या किया जाना चाहिए या क्या नहीं किया जाना चाहिए. यह डॉक्टर के क्लीनिकल जजमेंट, पहले से किए टेस्ट और मरीज की जरूरतों सहित तमाम वजहों पर निर्भर करेगा.”
डॉ. सुमित रे, क्रिटिकल केयर मेडिसिन, होली फैमिली हॉस्पिटल, दिल्ली

डॉ. राजीव मेहता कहते हैं, "एक ज्ञात कोविड पॉजिटिव मरीज में सीटी स्कैन कराने की सलाह आदर्श रूप से बीमारी के 4 से 5 दिन में दी जानी चाहिए ताकि फेफड़ों पर इसके असर को समझा जा सके. जिन मरीजों को लगातार बुखार हो सांस फूलने की समस्या हो और सबसे महत्वपूर्ण ऑक्सीजन सैचुरेशन में गिरावट हो, तो सीटी स्कैन की सलाह दी जाती है. लेकिन कोविड के हल्के लक्षणों में सीटी स्कैन की जरूरत नहीं होती है."

डॉ. सुमित रे के मुताबिक, “सीटी का इस्तेमाल इन्फेक्शन की गंभीरता और मरीज को किस स्तर की मदद की जरूरत होगी, इसका पता लगाने के लिए किया जाना चाहिए.”

“अगर डॉक्टर को मरीज की हालत गंभीर होने, या दूसरी कंडीशन जैसे कि फेफड़ों में खून के थक्के जमना, फेफड़ों में फाइब्रोसिस की आशंका है तो इसका इस्तेमाल करेगा.”

डॉ. सुमित रे के मुताबिक अस्पताल में सीटी स्कैन की जरूरत हो सकती है अगर,

  • हाई ग्रेड बुखार 6-7 दिनों से ज्यादा समय से बना हुआ है.
  • शरीर में हाई इनफ्लेमेटरी मार्क हैं.
  • ऑक्सीजन के स्तर में गिरावट, और सांस लेने की लगातार खराब होती हालत.

वह जोर देते हुए कहते हैं, मगर इन हालात में भी हो सकता है कि सीटी की जरूरत न पड़े.

वे कहते हैं, “डॉक्टर को व्यक्ति के हालत बिगड़ने की संभावना पर क्लीनिकल जजमेंट लेना चाहिए.”

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अगर आपको कोविड है तो सीटी स्कैन कराने से पहले आपको क्या जानना चाहिए?

इसे बिंदुओं के माध्यम से समझिए,

  • सीटी स्कैन सिर्फ एक इमेजरी टेकनीक है, कोई टेस्ट नहीं.

इसका मतलब यह है कि चेस्ट सीटी स्कैन से छाती में कुछ असामान्य स्थितियों का पता चल सकता है, जो कोविड का नतीजा हो सकती हैं, लेकिन ये अपने आप में कोविड का पता लगाने के लिए काफी नहीं हैं जैसे कि स्वैब टेस्ट के मामले में है, जो कि एक खास संक्रमण का पता लगाने के लिए तैयार किए गए हैं.

  • सीटी स्कैन भी गलत निगेटिव रिपोर्ट बता सकता है

जैसा कि डॉ. सुमित रे पहले बता चुके हैं, कोई भी टेस्ट गलतियों से परे नहीं है.

खासतौर से यह देखते हुए कि सभी कोविड मरीजों के फेफड़े और छाती में असामान्यता नहीं होगी, और सीटी स्कैन में उनके उभर कर सामने नहीं आने से भी कोविड से इनकार नहीं किया जाता है.

असल में कोविड के ज्यादातर मरीजों में छाती में कोई असामान्यता नहीं होगी.

इस वजह से, कोविड मरीजों के मामले में जब तक निश्चित सबूत नहीं मिल जाते, इससे जुड़े लक्षणों को देखते हुए इलाज करने की सलाह की जाती है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि टेस्ट के नतीजे क्या कहते हैं, जब तक निश्चित एविडेंस स्थापित नहीं हो जाते.

  • सीटी स्कैन सिर्फ खास हालात में ही किया जाना चाहिए

जैसा कि पहले कहा गया है, सीटी स्कैन इस बात की तह तक जाने में बहुत मददगार हो सकते हैं कि किसी मरीज की हालत क्यों बिगड़ती जा रही है, और मरीज के खास लक्षणों को ध्यान में रखते हुए इसे केवल गंभीर मामलों में ही किया जाना चाहिए.

डॉ. सुमित रे कहते हैं, “ओपीडी के स्तर पर बहुत कम ही मरीजों को सीटी स्कैन की जरूरत होगी.”

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