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Heart Attack: कौन सी दिक्कतें हार्ट अटैक का संकेत हो सकती है?

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जब दिल की मांसपेशियों की किसी हिस्से में ब्लड की आपूर्ति रुक जाती है या बहुत ज्यादा कम हो जाती है, तो दिल को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाता. अगर इस कंडिशन में जल्द सुधार न हो, तो हृदय की मांसपेशियों का वो हिस्सा डैमेज होने लगता है. इसे ही हार्ट अटैक कहते हैं.

क्या दिल का दौरा हमेशा अचानक पड़ता है? क्या हार्ट अटैक का पहले से पता चल सकता है? और ऐसे कौन से लक्षण हैं, जो कार्डियक इमरजेंसी का संकेत हो सकते हैं?

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कुछ दिल के दौरे अचानक और तेज होते हैं, जहां लोगों को समझ नहीं आता कि क्या हो रहा है, लेकिन ज्यादातर दिल के दौरे धीरे-धीरे शुरू होते हैं, हल्के दर्द या परेशानी के साथ और अक्सर मरीज को ये कन्फर्म नहीं होता कि क्या गड़बड़ है, ऐसे में वे मदद मांगने में देरी कर देते हैं.

इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट में सीनियर कंसल्टेंट डॉ. राजीव कुमार राजपूत बताते हैं कि हार्ट अटैक के दो हालात हो सकते हैं,

एक जब किसी में पहले से कोई लक्षण सामने न आ रहे हों और दूसरा ये कि पहले से कोई दिक्कत हो रही हो, लक्षण सामने आ रहे हों.

हार्ट अटैक के लक्षण और कार्डियक इमरजेंसी

मुंबई स्थित एशियन हार्ट इंस्टिट्यूट में सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. तिलक सुवर्णा बताते हैं कि सीने में दर्द या भारीपन या कसाव या जलन महसूस करना, सांस लेने में तकलीफ, पसीना आना, उल्टी, सिर चकराना हार्ट अटैक के सबसे कॉमन लक्षण हैं.

डॉ राजीव कुमार राजपूत हार्ट अटैक के इन लक्षणों के बारे में समझाते हैं:

  • सीने में तकलीफ- हार्ट अटैक के ज्यादातर मामलों में सीने के बीच तकलीफ होती है, जो कुछ मिनट से ज्यादा तक हो सकती है या ऐसा भी हो सकता है कि कुछ मिनट तकलीफ हो, फिर ठीक हो जाए और फिर तकलीफ होने लगे. सीने पर दबाव, भारीपन या दर्द महसूस हो सकता है.

  • शरीर के ऊपरी हिस्से में परेशानी- एक या दोनों बांह, बैक, गर्दन, जबड़ा या पेट में दर्द जैसे लक्षण हो सकते हैं.

  • सांस में तकलीफ- ऐसा सीने में परेशानी के साथ या उसके बगैर हो सकता है.

  • दूसरे लक्षण- अन्य संभावित संकेतों में ठंडा पसीना, मतली या चक्कर आना शामिल है.

अगर किसी को जरा सी मेहनत करने या कुछ न करने पर भी ये लक्षण हों, तो ये हार्ट अटैक का संकेत हो सकता है.

डॉ तिलक सुवर्णा के मुताबिक गंभीर रूप से लगातार सीने में दर्द होना, सांस फूलना या हांफना, चेतना की कमी या बेहोशी महसूस करना, पसीना आना कार्डियक इमरजेंसी के संकेत हैं.

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हार्ट अटैक के वो संकेत जिन्हें अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है

हालांकि सीने में दर्द को मांसपेशियों का दर्द और सीने में जलन या उल्टी को अक्सर लोग एसिडिटी समझ लेते हैं.
डॉ तिलक सुवर्णा, सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, एशियन हार्ट इंस्टिट्यूट, मुंबई

डॉ राजीव कुमार भी बताते हैं कि सबसे आम गलती पेट के बीच दर्द (सेंट्रल एब्डॉमिनल पेन), मिचली, उल्टी और दर्द को एसिडिटी समझकर नजरअंदाज करना और डॉक्टर से संपर्क नहीं करना है, जो कि घातक साबित हो सकती है.

कोरोनरी हार्ट डिजीज वाले आदमियों या हाइपरटेंशन, डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल या जिनके यहां दिल की बीमारियों की फैमिली हिस्ट्री रही है, ऐसे लोगों को सावधान रहना चाहिए कि सीने में दर्द या शारीरिक रूप से मेहनत करने के बाद सीने में असुविधा महसूस होना हार्ट अटैक हो सकता है. वहीं हर महिला को पता होना चाहिए कि सीने में दर्द, बांह, बैक, गर्दन, जबड़े और पेट में दर्द, सांस में तकलीफ, मिचली या सिर चकराना, पसीना और थकान हार्ट अटैक के चेतावनी संकेत हो सकते हैं.
डॉ राजीव कुमार राजपूत, सीनियर कंसल्टेंट, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट, इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल

वो बताते हैं कि अचानक दिल का दौरा पड़ने (पहले से बिना कोई संकेत सामने आए) की वजह प्लेक रप्चर और क्लॉट बनना हो सकता है और इसका रिस्क उन लोगों में ज्यादा होता है, जो डायबिटीज, हाइपरटेंशन, हाई कोलेस्ट्रॉल से जूझ रहे हों और स्मोकिंग करते हों.

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क्या हार्ट अटैक का पहले से पता चल सकता है?

डॉ तिलक सुवर्णा कहते हैं कि हार्ट अटैक की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है. लेकिन किसी व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ने के जोखिम के बारे में एक तरह का अनुमान लगाया जा सकता है, जैसे किसी की डेमोग्राफिक और क्लीनिकल प्रोफाइल की मदद से कुछ एल्गोरिदम के आधार पर अगले 10 वर्षों में दिल के दौरे का अनुमान लगाने की कोशिश की जा सकती है.

स्ट्रेस टेस्टिंग, कोरोनरी कैलसिफिकेशन या सीटी टेस्टिंग, एडवांस्ड लिपिड टेस्टिंग के साथ ही CRP और दूसरे इन्फ्लेमेटरी मार्कर टेस्टिंग दिल की बीमारियों का पहले ही पता लगाने में मददगार हो सकते हैं.
डॉ राजीव कुमार राजपूत, सीनियर कंसल्टेंट, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट, इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल

वो कहते हैं कि भविष्य में उम्मीद है कि जेनेटिक स्टडीज भी उन मरीजों की पहचान में बेहतर साबित होंगी, जिन्हें दिल की बीमारी होने का जोखिम ज्यादा होता है.

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