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क्या आपको भी लगता है हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर एक ही बीमारी है?

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(हर साल 29 सितंबर को वर्ल्ड हार्ट डे मनाया जाता है. इस मौके पर ये स्टोरी दोबारा पब्लिश की जा रही है.)

दिल की बीमारी के बारे में तमाम गलतफहमियां हैं, कितने ही लोग ये सोचते हैं कि केवल बुजुर्गों को ही दिल की बीमारियों का खतरा होता है. जबकि सच्‍चाई यह है कि किसी भी उम्र के लोग हृदय की समस्याओं से पीड़ित हो सकते हैं. हृदय रोगों के बारे में कई दूसरे मिथक भी हैं, जो खासकर हार्ट फेलियर जैसी बीमारियों से संबंधित हैं.

भारत में 8-10 मिलियन लोगों पर हार्ट फेलियर का खतरा मंडरा रहा है. इसलिए, दिल को दुरुस्त बनाए रखने के लिए इन गलतफहमियों को दूर करना जरूरी है.

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मिथ: हार्ट फेलियर और हार्ट अटैक एक ही बीमारी है

मरीजों और देखभाल करने वालों में सबसे आम मिथक है कि हार्ट फेलियर और हार्ट अटैक एक ही तरह की चिकित्सीय स्थिति है, लेकिन यह सच नहीं है.

हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर दो अलग-अलग हृदय रोग हैं, जिनमें मूल रूप से अलग-अलग कारण, उपचार और यहां तक कि परिणाम भी शामिल हैं.

हार्ट अटैक हार्ट फेलियर के लिए प्रमुख जोखिम कारकों में से एक है क्योंकि हार्ट अटैक वाले हर 4 में से 1 व्यक्ति में अगले चार वर्ष के भीतर हार्ट फेलियर का खतरा बढ़ जाता है.

मिथ: हार्ट फेलियर का मतलब है कि दिल ने काम करना बंद कर दिया है

अगर आप हार्ट फेलियर से पीड़ित हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आपका हृदय एकाएक काम करना बंद कर देगा.

हार्ट फेलियर का मतलब यह है कि हृदय को इसके लिए पहले की तुलना में अधिक मेहनत करनी होगी.

जीवनशैली में बदलाव के साथ उचित उपचार से रोगियों को जीवन की बेहतर गुणवत्ता पाने में मदद मिल सकती है.

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मिथ: केवल बुजुर्ग ही हार्ट फेलियर से पीड़ित हो सकते हैं

हार्ट फेलियर अमूमन 55 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में होता है. लेकिन अस्वस्थ आहार और गलत जीवनशैली के कारण मध्यम आयु वालों और युवा आबादी में भी यह बीमारी बहुत अधिक बढ़ रही है.

वास्तव में, भारत में हार्ट फेलियर के रोगियों की औसत आयु 59 वर्ष है, जो पश्चिमी देशों के रोगियों की तुलना में लगभग 10 वर्ष कम है.

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मिथ: हार्ट फेलियर का इलाज नहीं हो सकता

क्यों नहीं? आप हार्ट फेलियर को मैनेज कर सकते हैं, अगर उसका जल्द पता चल जाए और सही दवाइयां ली जाएं, साथ ही जीवनशैली में कुछ बदलाव करें, जैसेः

  • हेल्‍दी डाइट लें और उसमें हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल करें

  • नमक और तरल कम मात्रा में लें

  • रोज एक्‍सरसाइज करें और शरीर का वजन संतुलित रखें

  • धूम्रपान और एल्कोहल से बचें

  • कोलेस्ट्रॉल को मैनेज करें

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हार्ट फेलियर एक प्रगतिशील और स्थाई रोग है और हर इंसान के शरीर पर इसका अलग प्रभाव होता है. हार्ट फेलियर के रोगी को लगातार थकान का अनुभव भी होता है. अपनी ऊर्जा पर ध्यान देना और उसे महत्वपूर्ण कार्य में लगाना जरूरी है.

इसलिए, कार्डियोलॉजिस्ट आमतौर पर हार्ट फेलियर के रोगियों को दूसरों की तरह सक्रिय रहने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और रोग की गंभीरता के आधार पर दिनचर्या में मध्यम से लेकर हल्के व्यायाम करने की सलाह देते हैं.

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हार्ट फेलियर के आम लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और सांस लेने में तकलीफ होने, एड़ियों, पैरों या पेट में सूजन आने और रोजमर्रा के कामों में थकान होने पर अपने कार्डियोलॉजिस्ट से जरूर संपर्क करना चाहिए.

(डॉ. विवेका कुमार मैक्स सुपर स्पेशियल्टी हॉस्पिटल, साकेत नई दिल्ली में कैथ लेब के प्रिंसिपल डायरेक्टर और चीफ, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी और इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट हैं.)

(ये लेख आपकी सामान्य जानकारी के लिए है, यहां किसी तरह के इलाज का दावा नहीं किया जा रहा है, सेहत से जुड़ी किसी भी समस्या के लिए और कोई भी उपाय करने से पहले फिट आपको डॉक्टर या विशेषज्ञ से संपर्क करने की सलाह देता है.)

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