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World Heart Day: COVID-19 के कारण दिल को क्या नुकसान पहुंच सकता है?

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(ये लेख आपकी सामान्य जानकारी के लिए है, यहां किसी तरह के इलाज का दावा नहीं किया जा रहा है, सेहत से जुड़ी किसी भी समस्या के लिए और कोई भी उपाय करने से पहले फिट आपको डॉक्टर या विशेषज्ञ से संपर्क करने की सलाह देता है.)

ये अब साबित हो चुका है कि COVID-19 का असर सिर्फ इन्फ्लूएंजा जैसे लक्षणों तक ही सीमित नहीं है. यह देखा गया है कि कोविड-19 से सिर्फ फेफड़े और श्‍वसन तंत्रिका पर ही असर नहीं पड़ता बल्कि शरीर के अन्‍य कई अंग भी प्रभावित हो सकते हैं. ऐसा ही एक अंग है दिल.

जब भी कोई मरीज COVID-19 की चपेट में आता है, तो उसके दिल पर भी असर पड़ सकता है. लेकिन यह ज्‍यादा गंभीर होगा या सामान्‍य, यह हरेक व्‍यक्ति के मामले में अलग-अलग हो सकता है.

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कई बार तो ठीक होते ही बहुत से मरीजों को दोबारा अस्‍पताल ले जाना पड़ता है और इसका कारण उनके हृदय का ठीक तरह से काम नहीं करना होता है या फिर हार्ट अटैक और स्‍ट्रोक भी इसकी वजह हो सकते हैं.

कई मरीजों ने दिल की धड़कन कम होने की शिकायत भी की है और कई लोगों को सांस लेने में तकलीफ और सीने में दर्द की परेशानी भी पेश आई है.

लेकिन दिल को पहुंची क्षति के कारण अलग-अलग हो सकते हैं. इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

  • मायोकार्डिटिस (हार्ट इन्फ्लेमेशन): कोविड-19 से हृदय की कुछ मांसपेशियां सीधे क्षतिग्रस्‍त हो सकती हैं और इसकी वजह से हृदय में सूजन आ सकती है, इस स्थिति को ही मायोकार्डिटिस कहते हैं.

  • साइटोकाइन स्‍टॉर्म: जब शरीर पर वायरस का हमला होता है तो हमारा इम्‍यून सिस्‍टम इस हमले से शरीर का बचाव करने की कोशिश करता है, लेकिन यह काफी गंभीर हो सकता है और ऐसे में शरीर के सेहतमंद ऊतकों को भी क्षति पहुंच सकता है, इस बढ़ी हुई गतिविधि को साइटोकाइन स्‍टॉर्म कहते हैं.

  • ऑक्‍सीजन की कमी: जैसा कि ऊपर बताया गया है, वायरस इन्फ्लेमेशन का कारण बन सकता है, और ऐसा होने के बाद फेफड़ों में पानी भर जाता है. इसकी वजह से जटिलताएं पैदा हो सकती हैं, जिनके चलते रक्‍त वाहिकाओं में कम ऑक्‍सीजन पहुंचती है. इसकी वजह से कुछ मरीजों में हार्ट फेल जैसी जटिलताएं भी आ सकती हैं.

  • स्‍ट्रेस कार्डियोमायोपैथी: कार्डियोमायोपैथी ऐसा विकार है, जो हृदय की मांसपेशियों को प्रभावित करता है. इसके कारण हृदय ऑक्‍सीजन की कमी के चलते कम ब्‍लड पंप करता है. यह दिल की धड़कनों में अनियमितता का कारण बन सकता है, जिससे स्‍ट्रेस बढ़ता है और ऐसे रसायन भी पैदा होते हैं, जो हृदयगति को और कई तरह से प्रभावित कर सकते हैं.

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जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (JAMA) में एक स्टडी आई थी, जिसमें 40 से 50 वर्ष की आयु वाले 100 COVID-19 पॉजिटिव मरीजों के MRI नतीजों का विश्‍लेषण किया गया था. जिन 100 लोगों की जांच की गई, उनमें से 67 लोगों में किसी प्रकार के लक्षण नहीं थे या काफी सामान्‍य लक्षण ही पाए गए थे, लेकिन जब तक अध्‍ययन पूरा हुआ, इन 100 में से 78 मरीजों में हार्ट डैमेज या इन्फ्लेमेशन के लक्षण दिखाई देने लगे थे.

यह पाया गया कि कोविड-19 के बाद निगेटिव होने वाले लोगों की एक बड़ी संख्‍या ऐसी है, जिन्‍होंने हार्ट संबंधी परेशानियों को महसूस किया और कोविड-19 के कारण लंबे समय बाद कई अन्य समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं, लेकिन जिनके बारे में कुछ मालूम नहीं है.

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एक अन्‍य अध्‍ययन यूके स्थित एक संस्‍थान द्वारा किया गया. इसमें भी कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके मरीजों में इससे मिलते-जुलते लक्षण ही पाए गए. यह अध्‍ययन कोविड-19 पॉजिटिव होने वाले 1216 मरीजों पर किया गया और इस अध्‍ययन को 6 महाद्वीपों पर कराया गया था. इन मरीजों में हृदय संबंधी विकार/असामान्‍यता पाई गई. कुछ में तो गंभीर किस्‍म की समस्‍याएं देखी गईं जबकि उनकी पहले से हार्ट संबंधी कोई हिस्‍ट्री या कोई अन्‍य संबंधित विकार नहीं था.

हालांकि अभी इस संबंध में काफी अध्‍ययन किया जाना जरूरी है, लेकिन कोविड-19 के मरीजों के हृदय पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्‍ययन करना महत्‍वपूर्ण है. इसलिए, जब भी कोई मरीज कोविड-19 से रिकवर हो, तो उसकी नियमित जांच करवाना बेहद जरूरी है.

(डॉ. रित्विक राज भूयान फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट, ओखला में कार्डियोथोरेसिक वैस्कुलर सर्जरी के डायरेक्टर हैं.)

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