ADVERTISEMENTREMOVE AD

लॉकडाउन के दौरान दिल की बीमारी वाले बुजुर्गों को ज्यादा नुकसान

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन और फिर इसकी अवधि बढ़ जाने से हर दिन एक नई चुनौती देखने को मिली है. लॉकडाउन के दौरान बुजुर्गों को ज्‍यादा खतरा है क्‍योंकि वह इन पाबंदियों के साथ अपनी सेहत और घर के कामों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

उनकी सोशल लाइफ पूरी तरह थम गई है. उनके जीवन में सुबह/शाम की वॉक जैसी आम-सी चीज पर भी विराम लग गया है. उन्‍हें इस वायरस से संक्रमित होने की भी ज्यादा चिंता सता रही है. सही मायने में कोविड-19 से उन्‍हें सबसे ज्‍यादा नुकसान पहुंचा है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

‘एजवेल फाउंडेशन’ के हाल के आंकड़ों से यह पता चलता है कि भारत में बुजुर्ग व्‍यक्ति (49 प्रतिशत) हर सेकंड केवल अपने बुजुर्ग साथी के साथ रह रहे हैं क्‍योंकि उनके बच्‍चे या रिश्‍तेदार उनसे दूर या अलग रहते हैं.

लॉकडाउन की मौजूदा स्थिति में, बुजुर्गों के अकेले रहने से उनके शारीरिक, मानसिक और भावनात्‍मक स्‍वास्‍थ्‍य पर प्रभाव पड़ रहा है.

पूरी दुनिया के आंकड़े बताते हैं कि बुजुर्गों को कोविड-19 का खतरा सबसे ज्‍यादा है, अगर उन्‍हें हाई ब्‍लड प्रेशर, डायबिटीज और दिल की बीमारियां, खासतौर से हार्ट फेलियर जैसे रोग होते हैं.

चाइनीज जर्नल ऑफ एपिडेमियोलॉजी के अनुसार, 80 या उससे ज्‍यादा उम्र के बुजुर्गों को बाकी आयु वर्ग के लोगों की तुलना में 15 प्रतिशत ज्‍यादा खतरा है.

इसके साथ ही, कई रिपोर्ट्स में यह बात सामने आई है कि बाकी स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं की तुलना में, कोविड-19 संक्रमण के साथ हार्ट फेलियर मरीजों को 15.3 प्रतिशत मौत का ज्‍यादा खतरा है.

भारत में लगभग 10 मिलियन हार्ट फेलियर से प्रभावित लोगों में यह मौत का एक प्रमुख कारण है. दिल की बीमारियों वाले लोगों में इसकी वजह से बार-बार अस्‍पताल में भर्ती कराने की दर सबसे ज्‍यादा है.

हार्ट फेलियर के लक्षण:

  • सांस लेने में तकलीफ होना

  • टखनों, पैरों और पेट में सूजन

  • सही तरीके से सांस लेने के लिए सोते या लेटे रहने के दौरान तकियों को ऊपर उठाकर रखने की जरूरत पड़ना

  • लगातार थकान या सुस्‍ती बने रहना

यह बीमारी बढ़ने वाली होती है, जिससे हृदय की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और समय के साथ वह सख्‍त हो जाती हैं. इसकी वजह से वे सही तरीके से पंप नहीं कर पाती हैं. ऐसा होने से शरीर के आवश्‍यक अंगों को सही मात्रा में ऑक्‍सीजन और पोषक तत्‍व नहीं पहुंच पाते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

इस मुश्किल समय में अपने बुजुर्गों की देखभाल के लिए परिवार के सदस्‍यों और केयरगिवर्स के लिये कुछ टिप्‍स दिए गए हैं:

1. उनसे बात करें: हार्ट फेलियर मरीजों के लिए आइसोलेशन का समय चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्‍योंकि यह घबराहट और डिप्रेशन को बढ़ा सकता है. केयरगिवर्स को सलाह दी जाती है कि उनसे लगातार संपर्क में रहें. दिन में दो से तीन बार कॉल या फिर वीडियो कॉल करें. अगर आप उनके साथ रह रहे हैं तो उन्‍हें बोर्ड गेम्‍स, उनकी पसंद का म्‍यूजिक सुनने या एक साथ फिल्‍म देखने में उन्‍हें व्‍यस्‍त रखें. सारी सावधानियों का ध्‍यान रखें जैसे हाथों को धोना, मास्‍क और ग्‍लव्‍स पहनना. उन्‍हें भरोसा दिलाना कि यह वक्‍त निकल जाएगा.

2. लक्षणों और दवाओं को लेकर सतर्क रहें: हार्ट फेलियर मरीजों के लिए यह बहुत जरूरी है कि फोन या वीडियो कॉल्‍स (टेलीमेडिसिन) के जरिए उनके कार्डियोलॉजिस्‍ट के साथ जुड़े रहें. केयरगिवर्स को एक्‍यूट रेस्‍पेरेटरी बीमारियों के बारे में खुद भी इन्फ्लूएंजा वैक्‍सीन के बारे में सारी जानकारी होनी चाहिए. इस बात का ध्‍यान रखना जरूरी है कि उनके लक्षणों को दर्ज किया जाए और डॉक्‍टर की सलाह के बिना उनकी दवाओं के डोज या उसे कितनी बार देना है, इसमें कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए.

3. रोजाना की एक्टिविटी के लिए एक नियम बनाएं: केयरगिवर्स घर के कामों का नियम बनाने के लिए तकनीक का सहारा ले सकते हैं. जैसे ऑनलाइन ग्रॉसरी ऐप जोकि सीधे दरवाजे पर सामान पहुंचा जाए. घर के बच्‍चे भी रोज के कामों में हाथ बंटा सकते हैं. अगर आप अपने बुजुर्ग पेरेंट्स के साथ नहीं रह रहे हैं तो अपने पड़ोसी की मदद लें कि वह उन्‍हें हर दिन एक बार जरूर देखने जाएं. हार्ट फेलियर मरीजों को सलाह दी जाती है कि खुद पर काम का ज्‍यादा बोझ न डालें क्‍योंकि वह पहले से ही लगातार थकान और सांस लेने में तकलीफ जैसी परेशानियों से जूझ रहे होते हैं.

4. इमरजेंसी नंबर पास में होना चाहिए: हार्ट फेलियर मरीजों को बार-बार अस्‍पताल में भर्ती होना पड़ता है. इसलिये, यह जरूरी है कि नजदीकी अस्‍पतालों के इमरजेंसी कॉन्‍टैक्‍ट नंबर, एंबुलेंस सर्विस और पड़ोसियों के नंबर को आप अपने और मरीज के फोन में सेव करके रखें.

5. उन्‍हें हेल्‍दी डाइट और हल्‍की–फुलकी एक्‍सरसाइज करने की आदत डालें: केयरगिवर्स को बुजुर्ग मरीजों की जीवनशैली और खान-पान में भी थोड़े बदलाव करने चाहिए. कई तरह के ऐप उपलब्‍ध हैं, जिसके माध्‍यम से हार्ट फेलियर मरीजों की खाने-पीने की जरूरतों को नियंत्रित किया जा सकता है, जैसे पर्याप्त मात्रा में पानी के लिए वॉटर रिमांइडर ऐप है, जोकि आपके सॉल्‍ट और प्रोटीन/विटामिन के सेवन का ध्‍यान रखता है. वहीं लाइट एक्‍सरसाइज ऐप भी हैं, जिसमें बुजुर्गों के लिए घर पर किए जाने वाले वर्कआउट दिए गए हैं. उनका हौसला बढ़ाने और उनका साथ देने के लिए आप भी इन एक्टिविटीज को उनके साथ कर सकते हैं.

(डॉ संदीप सेठ, एम्‍स, नई दिल्‍ली में कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट में प्रोफेसर हैं.)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×