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सर्दी-खांसी में शहद के इस्तेमाल पर क्या कहती हैं स्टडीज

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क्या सर्दी-जुकाम के लिए ओवर-द-काउंटर (बिना डॉक्टरी पर्चे के मिलने वाली) दवाइयों के मुकाबले शहद का इस्तेमाल ज्यादा बेहतर है? एक नया रिसर्च रिव्यू यही मानता है कि शहद ओवर-द-काउंटर (OTC) दवाइयों के मुकाबले गले में खराश, खांसी और सर्दी में राहत देने में ज्यादा बेहतर हो सकता है.

ये रिसर्च रिव्यू हाल ही BMJ एविडेंस-बेस्ड मेडिसिन नाम के जर्नल में पब्लिश किया गया है.

हालांकि रिसर्चर्स पक्के तौर ये नहीं समझ पाए हैं कि सर्दी-खांसी की दिक्कतों से राहत देने में शहद कैसे मददगार हो सकता है.

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एक संभावना ये समझी जा रही है कि शहद में रोगाणुरोधी तत्व सीधे सर्दी पैदा करने वाले रोगजनकों से लड़ते हैं या चूंकि शहद चिपचिपा होता है और इसलिए हो सकता है कि इसकी परत से गले को राहत मिलती हो.

वजह जो भी हो सर्दी-जुकाम-खांसी में शहद का इस्तेमाल रिस्की नहीं (तभी जब आपको डॉक्टर ने शहद लेने से मना न किया हो) होता है. इसके अलावा ये सस्ती और आसानी से मिलने वाली चीज है.

पेन्सिलवेनिया के पेन स्टेट कॉलेज ऑफ मेडिसिन में पीडियाट्रिक्स के प्रोफेसर इयान पॉल लाइव साइंस को बताते हैं, "खांसी और सर्दी की दवाइयों के कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं और ये उतनी अच्छी तरह काम भी नहीं करते, वहीं शहद से कोई नुकसान नहीं है."

बस हमें ये समझने की जरूरत है कि शहद से कोई जादू नहीं होगा. इससे सिर्फ सर्दी से निपटने में तकलीफ थोड़ी घट सकती है.

शहद लंबे समय से गले में खराश और खांसी शांत करने के लिए एक घरेलू उपाय रहा है. वहीं आयुर्वेद में शहद का बहुत महत्व है, खासकर अपर रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन के इलाज में इसका इस्तेमाल होता है.

साल 2007 में पीडियाट्रिक्स जर्नल में छपी एक स्टडी जिसमें बच्चों को खांसी के लिए डेक्सट्रोमेथॉर्फन, शहद और कोई दवा नहीं देने की तुलना की गई, पैरेंट्स की रेटिंग के आधार पर उसमें पाया गया कि शहद से बार-बार खांसी आने, खांसी गंभीर होने से राहत मिली और बच्चों की नींद में सुधार हुआ.

लाइव साइंस के मुताबिक इस स्टडी को इंडस्ट्री-फंडेड नेशनल हनी बोर्ड से थोड़ा सपोर्ट मिला था, हालांकि बोर्ड की तरफ से किस तरह से कैसा रिसर्च होना है, ऐसा कोई इनपुट नहीं दिया गया था.

साल 2018 में रिपोर्ट आई थी कि नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड केयर एक्सलेंस और पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (PHE) लोगों को एंटीबायोटिक दवाइयां लेने की बजाए खांसी होने पर शहद और हर्बल समाधान जैसे उपायों के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.

दूसरी कई स्टडीज में खांसी में शहद से सुधार की बात कही गई है. (हालांकि 1 साल तक के बच्चों को शहद देने से मना किया जाता है क्योंकि इससे एक दुर्लभ लेकिन गंभीर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कंडीशन इन्फेंट बोटुलिज्म का रिस्क हो सकता है.)

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इस नए रिसर्च रिव्यू में निष्कर्ष निकाला गया है कि खांसी या सर्दी में शहद का इस्तेमाल बच्चों के साथ ही बड़ों के लिए भी अच्छा विकल्प हो सकता है. बड़ों में भी शहद से बार-बार खांसी आने वाली खांसी को घटाने, गले में खराश से राहत मिलने में मदद मिल सकती है.

हालांकि इस रिव्यू में इस बात का जिक्र भी किया गया है कि रिव्यू के लिए जितनी स्टडीज शामिल की गईं, उनमें से कुछ स्टडीज में सैंपल साइज छोटी थी और कुछ स्टडीज ब्लाइंडेड नहीं थीं मतलब स्टडी में हिस्सा लेने वालों को पता था कि उन्हें क्या दिया जा रहा है.

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