दावा
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर एक मैसेज शेयर किया जा रहा है, जिसमें कैंसर होने के कारण बताए गए हैं. इस मैसेज में एम्स का हवाला देते हुए कहा गया है कि प्लास्टिक या प्लास्टिक के बर्तनों में रखी गई खाने की गर्म चीजें कैंसर का कारण हैं.
इस तरह के पोस्ट पिछले कई साल से शेयर किए जा रहे हैं और इन पर आधारित वीडियोज भी मौजूद हैं, जिन्हें लाखों लोगों ने देखा है.
ऐसा कोई मैसेज एम्स ने जारी नहीं किया
इस तरह का कोई मैसेज एम्स की ओर से जारी किया गया है या नहीं, ये जानने के लिए फिट ने एम्स में पब्लिक रिलेशन ऑफिसर बी.एन आचार्य से बात की. उन्होंने इससे इनकार करते हुए कहा कि कैंसर का कारण बताने वाला ऐसा कोई मैसेज एम्स की ओर से जारी नहीं किया गया है.
इस दावे का कोई निश्चित वैज्ञानिक प्रमाण नहीं
इस सिलसिले में कोई पुख्ता वैज्ञानिक प्रमाण ना होने के कारण एक्सपर्ट्स निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहते हैं.
इस बाबत कोई कंट्रोल्ड स्टडी नहीं हुई है, इसलिए निश्चित तौर पर ऐसा नहीं कह सकते हैं. कुछ ऑब्जर्वेशनल स्टडीज में प्लास्टिक में पाए जाने वाले केमिकल्स को लेकर चिंता जरूर जताई गई है.डॉ अश्विनी सेतिया, सीनियर गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट, मैक्स हेल्थकेयर
एक्सपर्ट्स के मुताबिक साफ तौर पर कुछ कहने के लिए एक बड़ी रिसर्च होनी चाहिए, जिसमें प्लास्टिक के बर्तनों में खाने-पीने वालों और प्लास्टिक का बिल्कुल इस्तेमाल ना करने वालों को शामिल किया जाए. हालांकि डॉ सेतिया इस तरह की कंट्रोल्ड स्टडी होना मुश्किल बताते हैं.
प्लास्टिक के केमिकल को लेकर चिंता
प्लास्टिक की चीजों पर अपने एक लेख में डॉ सेतिया बताते हैं कि प्लास्टिक के बर्तन माइक्रोवेव में इस्तेमाल करने या उनमें गर्म लिक्विड या खाना डालने से उसके केमिकल खाने-पीने की चीजों में मिल सकते हैं.
प्लास्टिक के बर्तनों के लिए इस्तेमाल केमिकल्स बिस्फेनल- ए (बीपीए) और फ्थालेट्स की चर्चा करते हुए वे लिखते हैं:
बीपीए एक केमिकल है, जिसे एस्ट्रोजेन जैसे हार्मोन में बदलाव लाते देखा गया है. ये गंभीर बीमारियों- जैसे कैंसर व कार्डियोवैस्कुलर रोगों से जुड़ा हुआ है, हालांकि ऐसा निश्चित तौर पर नहीं कह सकते.
वहीं कुछ रिसर्च में कहा गया है कि प्लास्टिक के बर्तन बनाने में जिस मात्रा में बीपीए या दूसरे केमिकल का इस्तेमाल होता है, उससे कोई नुकसान नहीं होता.
नहीं पता कैंसर का कारण
अमेरिका के नेशनल कैंसर इंस्टिट्यूट के मुताबिक आमतौर पर ये पता कर पाना संभव नहीं है कि एक शख्स को कैंसर क्यों हो जाता है और दूसरे को नहीं. लेकिन रिसर्च और स्टडीज से कुछ रिस्क फैक्टर्स जरूर सामने आए हैं, जो किसी में कैंसर होने की आशंका को बढ़ा सकते हैं.
बढ़ती उम्र और फैमिली हिस्ट्री के अलावा कुछ रसायन और दूसरी चीजों को कैंसर के रिस्क फैक्टर्स में शामिल किया गया है. इसमें प्लास्टिक की चीजें तैयार करने में इस्तेमाल होने वाले कुछ केमिकल्स भी हैं. हालांकि ये साबित नहीं हो सका है कि असल में वही चीजें कैंसर का कारण बनती हैं या नहीं.
निष्कर्ष
प्लास्टिक और कैंसर के बीच किसी डायरेक्ट कनेक्शन को लेकर कोई रिसर्च नहीं है और ये शोध का विषय है. हालांकि डॉ सेतिया कहते हैं, “ सच तो ये है कि प्लास्टिक बहुत अच्छी नहीं है, आप किसी प्लास्टिक के जहरीले तत्वों से मुक्त होने का 100 प्रतिशत भरोसा नहीं कर सकते.”
जहां तक सोशल मीडिया पर वायरल इस मैसेज की बात है, तो सबसे पहली बात कि ये मैसेज एम्स की ओर से जारी नहीं हुआ है.
साथ ही मैसेज में कही गई बातें सही या गलत साबित करने के लिए कोई पुख्ता सबूत या वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं.
हालांकि एक्सपर्ट्स कम से कम प्लास्टिक का इस्तेमाल करने और प्लास्टिक की क्वालिटी का ध्यान रखने की बात जरूर करते हैं.
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