दिवाली की रात दिल्ली की हवा एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) की गंभीर कैटेगरी में पहुंच गई. सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के मुताबिक ज्यादातर इलाकों में AQI 400 से ऊपर रहा. अब आने वाले दिनों में तापमान में गिरावट के साथ हवा में प्रदूषण का स्तर बढ़ते रहने की आशंका है.
ऐसे में लॉन्ग COVID-19 या कोरोना से ठीक होने के बाद भी जो लोग इसके किसी न किसी लक्षण से जूझ रहे हैं या COVID-19 के कारण जिन मरीजों के फेफड़े गंभीर रूप से प्रभावित हुए, जो सांस की या किसी दूसरी बीमारी से जूझ रहे हैं, उन सभी को एयर क्वालिटी इंडेक्स में आई गिरावट के साथ खासतौर पर सावधान रहने की जरूरत है.
प्रदूषित हवा में सांस लेने से स्वस्थ लोगों को भी तमाम रेस्पिरेटरी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, तो जिनके फेफड़े पहले से कमजोर हैं, उनके लिए हवा की क्वालिटी में आई गिरावट जटिल समस्याएं कर सकती है.
प्रदूषित हवा और COVID-19 महामारी
COVID-19 और वायु प्रदूषण का हमारे शरीर के हर अंग पर प्रभाव पड़ सकता है और वायु प्रदूषण कई स्थितियों और कोमॉर्बिडिटीज से सीधे जुड़ा हुआ है, जिन्हें COVID-19 की जटिलताओं और इससे मौत के जोखिम को बढ़ाने के लिए जाना जाता है.
इस तरह COVID-19 महामारी में वायु प्रदूषण के कारण सामने आने वाले घातक नतीजों का जोखिम और बढ़ गया है.
प्रदूषित हवा के कारण कोरोना वायरस संक्रमण का रिस्क और गंभीर COVID-19 का खतरा बढ़ जाता है. इतना ही नहीं, COVID-19 से ठीक होने के बाद भी प्रदूषित हवा COVID-19 के लक्षण दोबारा उभार सकती है और सांस से जुड़ी समस्याएं बदतर हो सकती हैं.
पिछले साल देखा भी गया था, हवा में प्रदूषण का स्तर बढ़ने पर COVID-19 से तीन-चार महीने पहले ठीक हुए लोगों को रेस्पिरेटरी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था.
दिल्ली के वसंत कुंज स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल में इंटरनल मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मनोज शर्मा कहते हैं कि खराब एयर क्वालिटी COVID-19 से रिकवर हो चुके लोगों के लिए भी जोखिम पैदा करती है.
ऐसा इसलिए है क्योंकि कुछ लोगों में COVID-19 के कारण हुई क्षति या इसके कुछ लक्षण रह जाते हैं, जो प्रदूषण बढ़ने के साथ तेज हो सकते हैं. कोरोना संक्रमण के दौरान जिन मरीजों के फेफड़े प्रभावित हुए थे. ऐसे लोग जब प्रदूषित हवा के संपर्क में आते हैं, तो खांसी और सांस फूलने की दिक्कतें हो सकती हैं.डॉ. मनोज शर्मा, सीनियर कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन, फोर्टिस हॉस्पिटल, वसंत कुंज, दिल्ली
COVID-19 और प्रदूषित हवा का फेफड़ों पर असर
दिल्ली के द्वारका स्थित मनिपाल हॉस्पिटल में पल्मोनॉलजिस्ट डॉ. देवेंद्र कुंद्रा बताते हैं कि कोरोना के मॉडरेट से लेकर सीवियर मामलों में ज्यादातर फेफड़े प्रभावित होते हैं.
ऐसा देखा गया है कि डैमेज हुए फेफड़े में इन्फेक्शन के खिलाफ लोकल इम्यूनिटी काफी कम हो जाती है, जिसकी वजह से पॉल्यूशन लेवल जैसे बढ़ता है और प्रदूषित हवा से लंग्स का एक्सपोजर होने पर इन्फेक्शन होने की संभावना होती है.डॉ. देवेंद्र कुंद्रा, पल्मोनॉलजिस्ट, मनिपाल हॉस्पिटल, द्वारका
डॉ. कुंद्रा बताते हैं:
ऐसे में कोई भी वायरल, बैक्टीरियल या दूसरे तरीके के फंगल इन्फेक्शन होने के चांसेज रहते हैं.
इन मरीजों में रेस्पिरेटरी एलर्जी बढ़ जाती है.
एयरवेज हाइपर रिएक्टिव हो जाते हैं, दमा जैसे लक्षण आने लग जाते हैं- सांस फूलना, सीटी जैसी आवाज आना, छाती पर भारीपन रहना, कफ होना या कुछ मरीजों में तो बलगम भी आने लग जाता है.
अगर हम गंभीर COVID-19 से रिकवर हुए मरीजों की बात करें, जिनको सीवियर कोविड निमोनिया हुआ था, जिनको अभी भी ऑक्सीजन की जरूरत है, उन मरीजों में देखा गया है कि जब एयर पॉल्यूशन बढ़ता है, तो सांस ज्यादा फूलती है, उनके लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता बढ़ जाती है.डॉ. देवेंद्र कुंद्रा, पल्मोनॉलजिस्ट, मनिपाल हॉस्पिटल, द्वारका
इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल में रेस्पिरेटरी, क्रिटिकल केयर और स्लीप डिसऑर्डर के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. निखिल मोदी ने इससे पहले फिट से बातचीत में कहा था कि प्रदूषण एक गंभीर चिंता का कारण है क्योंकि यह रेस्पिरेटरी सिस्टम (श्वसन प्रणाली) को कमजोर करता है और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है, जो कि सांस के संक्रमण का प्रमुख टारगेट होता है और यही COVID-19 में भी होता है.
क्या करें?
हम सभी को प्रदूषित हवा के प्रभाव से अपना बचाव करने की जरूरत है और हर वो उपाय करने की जरूरत है, जो हम कर सकते हैं ताकि वायु प्रदूषण से होने वाले नुकसान घटाया जा सके.
COVID-19 के कारण जिन लोगों के फेफड़ों पर असर पड़ा, उन्हें डॉक्टरों ने पहले ही चेताया है कि वे ठंड और प्रदूषण बढ़ने के मौसम में काफी सचेत रहें. वहीं पहले से ही किसी न किसी बीमारी से जूझ रहे लोगों को हमेशा से खास सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है.
हमेशा मास्क पहन कर ही घर से बाहर निकलें ताकि प्रदूषकों से एक्सपोजर कम हो.
डॉ. शर्मा कहते हैं कि खुली जगह पर जब हवा की क्वालिटी खराब हो, जहां धुआं ज्यादा हो या ट्रैफिक हो, ऐसे में N 95 मास्क जरूर पहनें.
N 95 लगाने से कुछ हद तक एक्सपोजर कम होगा, जिससे थोड़ी सुरक्षा मिलने में मदद मिल सकती है.डॉ. मनोज शर्मा, सीनियर कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन, फोर्टिस हॉस्पिटल, वसंत कुंज, दिल्ली
वो स्पष्ट करते हैं कि प्रदूषित हवा में सामान्य मास्क से कोई सुरक्षा नहीं मिलती है, इसलिए N 95 मास्क का ही इस्तेमाल करें.
डॉ. कुंद्रा प्रदूषित हवा के प्रभाव बचाव के उपाय बताते हैं:
सुबह में जिस समय एयर पॉल्यूशन ज्यादा होता है, उस समय बाहर एक्सरसाइज करने से बचें. घर के अंदर ही आप वॉक कर सकते हैं, योग कर सकते हैं.
हाई ट्रैफिक के पास या जहां ज्यादा धूल हो, धुआं हो, जिस समय पर फॉग ज्यादा हो, उस समय पर एक्सरसाइज नहीं करना है.
घर के अंदर कोई चीज न जलाएं, आग वाली कोई चीज ना इस्तेमाल करें, जिससे घर के अंदर इनडोर पॉल्यूशन हो. इनडोर पॉल्यूशन बढ़ने से रेस्पिरेटरी प्रॉब्लम्स हो सकती हैं.
अपनी दवाइयों का पूरा ध्यान रखें, अपने डॉक्टर की सलाह से समय से दवाइयां लें- इनहेलर, नेबुलाइजर या जो भी दवाइयां बताई गई हैं, उन्हें समय से लेते रहें.
अपने घर को अच्छी तरह से वेंटिलेटेड रखें.
एयर प्यूरिफायर अगर इस्तेमाल कर सकते हैं, तो जरूर करें.
डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज जरूर करें, जिससे लंग्स की फंक्शनल कपैसिटी अच्छी हो.
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