ADVERTISEMENTREMOVE AD

मसल बनाने के लिए स्टेरॉइड का इस्तेमाल बना सकता है टीबी का शिकार!

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

बॉडी बिल्डिंग को लेकर युवाओं का क्रेज कोई नई बात नहीं है. बिल्कुल परफेक्ट मस्कुलर बॉडी की चाहत रखने वाले जिम में पसीना बहाते हैं, मसल बिल्डिंग के लिए तमाम सप्लीमेंट्स लेते हैं. हालांकि जल्द से जल्द बॉडी बनाने के मकसद से कई लोग कुछ ऐसी चीजें इस्तेमाल करने लगते हैं, जो सेहत को नुकसान पहुंचाती हैं.

उन्हीं में से एक है स्टेरॉइड का इस्तेमाल, बॉडी बिल्डिंग के लिए जिम ज्वॉइन करने वाले अक्सर मस्कुलर बॉडी और अपनी स्ट्रेंथ बढ़ाने के लिए इसका इस्तेमाल करने लग जाते हैं.

हालांकि हेल्थ और फिटनेट एक्सपर्ट्स इसका इस्तेमाल करने से सख्त मना करते हैं. उनके मुताबिक स्टेरॉइड का इस्तेमाल कर बनाई गई बॉडी सिर्फ दिखाने की होती है और इसका सेहत पर बहुत बुरा असर पड़ता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

स्टेरॉइड और ट्यूबरक्लोसिस

कैलाश हॉस्पिटल, नोएडा में चेस्ट फिजिशियन और कंसल्टेंट डॉ ललित मिश्रा ने हाल ही में बताया कि उनके सामने ऐसे मामले आ रहे हैं, जिसमें पेशेंट को जिम ज्वॉइन करने के 2-3 महीनों बाद सांस की तकलीफ और खांसी की समस्या हुई और टेस्ट कराने पर ट्यूबरक्लोसिस का पता चला.

जिम जाने वाले कई युवा अपनी बॉडी बिल्ड करने के लिए स्टेरॉइड का इस्तेमाल करते हैं, जिससे इम्यूनिटी कमजोर होती है यानी इंफेक्शन से लड़ने की क्षमता कमजोर पड़ती है और इस तरह उनको टीबी का इंफेक्शन हो जाता है.
डॉ ललित मिश्रा

डॉ मिश्रा के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर ऐसे मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. हर महीने 7-8 ऐसे मामले आते हैं.

बता दें कि ट्यूबरक्लोसिस एक संक्रामक बीमारी है, जो माइकबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नाम के बैक्टीरिया के संक्रमण से फैलती है.

स्टेरॉइड से उभर जाती हैं शरीर में दबी पड़ी बीमारियां

आकाश हेल्थकेयर सुपर स्पेशएलिटी हॉस्पिटल, द्वारका में इंटरनल मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट और हेड ऑफ डिपार्टमेंट डॉ राकेश पंडित ट्यूबरक्लोसिस और स्टेरॉइड के बीच क्या कनेक्शन हो सकता है, इस सवाल का जवाब देते हैं,

स्टेरॉइड लेने से शरीर की इम्यूनिटी कम होती है, ऐसे में कई बीमारियां, जिनके लक्षण प्रकट नहीं हो रहे थे, वो उभर सकती हैं, जैसे अगर किसी में ट्यूबरक्लोसिस शांत हो यानी टीबी का लैटेंट इंफेक्शन हो तो वो उभर सकता है. 

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की ग्लोबल टीबी रिपोर्ट 2019 के मुताबिक दुनिया भर की करीब एक-चौथाई आबादी को लैटेंट टीबी है, इसका मतलब है कि लोग टीबी के बैक्टीरिया से संक्रमित हैं, लेकिन इससे बीमार नहीं हैं और ना ही इसे फैला सकते हैं.

टीबी का संबंध स्टेरॉइड के डोज और कितने समय से स्टेरॉइड लिया जा रहा है, इससे भी जोड़ा गया है. एक स्टडी में निष्कर्ष निकाला गया कि स्टेरॉइड का जितना ज्यादा डोज होगा ट्यूबरक्लोसिस का खतरा उतना ही ज्यादा हो सकता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

और किन बीमारियों का रिस्क बढ़ाता है स्टेरॉइड

इंफ्लेमेटरी बीमारियों के शिकार लोगों में ओरल स्टेरॉइड से इंफेक्शन का रिस्क बढ़ने को लेकर एक स्टडी CMAJ जर्नल में पब्लिश की गई थी.

डॉ मिश्रा और डॉ राकेश दोनों ही इस बात जोर देते हैं कि स्टेरॉइड का काम है बीमारियों से लड़ने की क्षमता को दबाना और इसीलिए इसका इस्तेमाल कई बीमारियों का रिस्क बढ़ा देता है.

डॉ राकेश बताते हैं कि ट्यूबरक्लोसिस की बजाए स्टेरॉइड के इस्तेमाल से बीपी बढ़ना और शुगर होना ज्यादा कॉमन है. वहीं इसके कारण शरीर में कोई लक्षण प्रकट नहीं कर रहा हेपेटाइटिस भी उभर सकता है.

स्टेरॉइड का सबसे बड़ा बुरा असर ये है कि इससे बीपी बढ़ जाता है, दूसरा इससे शुगर हो सकता है. मोटापा हो सकता है, स्किन खराब हो जाती है. किडनी पर असर पड़ता है, मांसपेशियों में कमजोरी तक आ सकती है.
डॉ राकेश पंडित, आकाश हेल्थकेयर सुपर स्पेशएलिटी हॉस्पिटल, द्वारका

लंबे समय से स्टेरॉइड का इस्तेमाल कई बीमारियों को न्यौता देता है, साथ ही इसकी लत भी लग जाती है और फिर इसे एकदम से छोड़ने में भी दिक्कत आती है.

डॉ राकेश बताते हैं कि अर्थराइटिस, दमा और कुछ बीमारियां में स्टेरॉइड का इस्तेमाल दवा के तौर पर काफी संभाल कर इमरजेंसी में होता है और डोज भी काफी लो रखा जाता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

बॉडी बिल्डिंग और स्टेरॉइड

डॉ राकेश के मुताबिक वजन बढ़ना, भूख लगना, ज्यादा एनर्जी महसूस होना ये सब स्टेरॉइड के साइड इफेक्ट हैं. इसके इन्हीं इफेक्ट के कारण बॉडी बिल्डिंग के मामले में जल्दी रिजल्ट पाने के लिए इनके इंजेक्शन या गोलियों का इस्तेमाल होने लगता है.

आजकल इंटरनेट पर सिंथेटिक स्टेरॉइड मौजूद हैं, जिनके बारे में लिखा होता है कि इनके साइड इफेक्ट नहीं होते और इनसे सिर्फ आपकी बॉडी बनेगी, हालांकि ऐसा नहीं है, ये उतने ही खतरनाक होते हैं.
डॉ राकेश पंडित

डॉ ललित मिश्रा कहते हैं कि हमें इसे लेकर जागरुकता बढ़ाने की जरूरत है कि बॉडी बिल्डिंग के लिए लोग स्टेरॉइड जैसी चीजों का इस्तेमाल करने की बजाए नैचुरल चीजें लें.

डॉ राकेश कहते हैं कि बॉडी बिल्डिंग का कोई शॉर्टकट नहीं है, बॉडी बनाने के लिए आपको मेहनत करनी होगी, आप प्रोटीन सप्लीमेंट लें तो डॉक्टर निगरानी में लें और बॉडी बिल्डिंग के लिए स्टेरॉइड का इस्तेमाल बिल्कुल ना करें.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×