शरीर को संरचना प्रदान करने और आंतरिक अंगों की रक्षा करने से लेकर कैल्शियम स्टोर करने और मांसपेशियों को सहारा देने तक हड्डियों की अहम भूमिका होती है.
बचपन से लेकर बूढ़े होने तक हमारी हड्डियों में कई बदलाव आते हैं. 30 साल की उम्र तक बोन डेंसिटी अपने चरम पर पहुंच जाती है और फिर धीरे-धीरे कम होने लगती है.
हड्डियां इस हद तक भी कमजोर और नाजुक हो सकती हैं कि गिरने, झुकने या छींकने-खांसने पर भी फ्रैक्चर हो जाए, इसे ऑस्टियोपोरोसिस कहते हैं.
ऐसे में अगर हड्डी टूट जाए तो इन्हें वापस जोड़ना काफी मुश्किल हो जाता है.
द जीन बॉक्स (TGB) के फाउंडर और जनेटिसिस्ट प्रणव अनम बताते हैं, "ऑस्टियोपोरोसिस हड्डियों का एक सामान्य विकार है, जो तेजी से फैलता है. ये भारत की बुजुर्ग आबादी के बीमार होने और उनकी मौत की एक बड़ी वजह है."
ऐसे कई जोखिम कारक हैं, जिससे समय से पहले ही लोग ऑस्टियोपोरोसिस का शिकार हो सकते हैं.
खाने में कैल्शियम या विटामिन डी में कमी, कम शारीरिक गतिविधि, वजन बेहद कम होना, नशा करना, हार्मोन का अनियमित स्तर और कुछ दवाइयों का सेवन ऑस्टियोपोरोसिस को वक्त से पहले दावत दे सकता है.
फरीदाबाद में फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल में हड्डी विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ हरीश घूटा के मुताबिक लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव हड्डियों को मजबूत बनाए रखने में मददगार हो सकते हैं.
1. कैल्शियम और विटामिन D से भरपूर हो खानपान
हड्डियों से जुड़ी समस्याओं से बचने के लिए सही आहार बेहद जरूरी है.
रोजाना कम फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट जैसे टोफू या सोया मिल्क, हरी पत्तेदार सब्जियां, फलियां, बादाम खाएं.
फोर्टिफाइड दूध, अनाज, सैमन, टूना मछली, झींगा या ओऐस्टर में भी विटामिन डी की अच्छी मात्रा पाई जाती है.
2. धूप में बैठें
शरीर को हफ्ते में दो से तीन बार 10-15 मिनट के लिए धूप जरूर दिखाए क्योंकि सूरज की रोशनी में शरीर खुद विटामिन डी का निर्माण करता है.
3. रेगुलर एक्सरसाइज
नियमित तौर पर कम से कम आधा घंटा शारीरिक कसरत जरूर करें. इससे हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत होती हैं.
4. स्मोकिंग और शराब से दूरी
तंबाकू या शराब का सेवन छोड़ दें.
5. बोन डेंसिटी की जांच
उम्र बढ़ने पर बोन डेंसिटी की जांच कराएं.
(इनपुट- आईएएनएस)
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