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30 की उम्र के बाद क्यों बढ़ने लगता है वजन? जानिए इसके कारण

Updated
Fit Hindi
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30 की उम्र के बाद क्यों बढ़ने लगता है वजन? जानिए इसके कारण

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मैं अक्सर किसी ना किसी से यही शिकायत सुनती हूं: जब मैं पिछले कुछ साल से वही भोजन खा रहा हूं, तो अब मेरा वजन क्यों बढ़ रहा है?

यह शिकायत आमतौर पर तब शुरू होती है, जब लोग अपने थर्टीज (30 साल पार) में प्रवेश करते हैं. और अपने पिछले 10 साल के दौरान की अच्छी-पुरानी स्थितियों को याद करना शुरू करते हैं, जब वे खा सकते थे, खुशी मना सकते थे और फिर भी वजन नहीं बढ़ता था.

तो अब ऐसा क्या बदल गया है? असल में बहुत कुछ!

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उम्र बढ़ने के साथ बॉडी कम्पोजिशन में बदलाव होता है

जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है हमारा मेटाबॉलिज्म कम होता जाता है.
(फोटो: iStockphoto)

हमारा मसल मास जितना अधिक होता है, हम उतनी अधिक कैलोरी बर्न करते हैं. लेकिन 30 साल की उम्र में लीन मसल्स की मात्रा (जो हमारी मेटाबॉलिज्म रेट को तय करती है) स्वाभाविक रूप से लगभग घटने लगती है. यह 40 साल पर और तेजी से घटती है. इस प्रोसेस को सार्कोपीनिया कहा जाता है.

अगर हम पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन नहीं लेंगे, तो सार्कोपीनिया बहुत बढ़ सकता है, जो वजन बढ़ने के रूप में होगा.

सरल शब्दों में, हर गुजरते साल में हमारे मेटाबॉलिज्म या चयापचय में गिरावट होती है. यह डेली बेसिस पर कम कैलोरी की आवश्यकता में बदल जाता है. लेकिन अधिकतर हम इसे ध्यान में नहीं रखते हैं और हमेशा वही भोजन खाते रहते हैं, जो हम पहले से खाते आ रहे हैं. ऐसे में वो एक्स्ट्रा कैलोरी (कम प्रोटीन के साथ मिलकर) धीरे-धीरे जमा होने लगती हैं.

क्या करें?- क्वालिटी और क्वांटिटी के रूप में अपने प्रोटीन इनटेक को बढ़ाएं. औसतन, एक व्यक्ति को हर दिन शरीर के वजन के हिसाब से लगभग एक ग्राम प्रोटीन प्रति किलोग्राम आवश्यकता होती है. इस बात का ख्याल रखें.

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हमारी बैठे रहने वाली लाइफस्टाइल

रेगुलर एक्सरसाइज बहुत जरूरी है. 
(फोटो: iStockphoto)

दूसरा, थर्टीज में जब कॉलेज के व्यस्त दिन पीछे छूट जाते है और हम सभी कमोबेश एक कुर्सी पर बैठे रहने वाली नौकरी में सेटल हो जाते हैं. ऐसे में बैठ कर काम करने के कारण हम हर दिन कम संख्या में कैलोरी बर्न करते हैं (हेक्टिक ट्वेंटीज की तुलना में). इससे बहुत अधिक कैलोरी इकट्ठी हो जाती है, जो फिर वजन बढ़ने का कारण बनती है.

क्या करें?- हफ्ते में 5 दिन एक्सरसाइज करने का वक्त जरूर निकालें. हफ्ते में चार से पांच बार जरूर तेज रफ्तार में टहलें और मेटाबॉलिक रेट में होने वाली गिरावट को घटाने के लिए हफ्ते में दो बार स्ट्रेंथ ट्रेनिंग जरूरी है.

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उम्र बढ़ने के साथ आसानी से नहीं कम होती वसा कोशिकाएं

उम्र बढ़ने के साथ आसानी से नहीं घटता वजन
(फोटो: iStockphoto)

तीसरा, नेचर मेडिसिन जर्नल में पब्लिश एक स्टडी के अनुसार, स्वीडन और फ्रांस के रिसर्चर्स ने फैट टिश्यू में निश्चित समयावधि में बदलाव के बारे में बताया. इसमें बताया गया कि जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, उस स्थिति में फैट सेल्स घटने की दर कम होती जाती हैं.

सरल शब्दों में, अगर आप डाइटिंग करते हैं, तो जिस रेट से आपको एक्स्ट्रा फैट से छुटकारा मिलेगा, वह आपके 20वें वर्ष के मुकाबले थर्टीज में धीमा होगा.

साइंटिस्टों ने 13 साल से अधिक समय तक 54 पुरुषों और महिलाओं की स्टडी की. उन सभी में उम्र बढ़ने के साथ लिपिड टर्नओवर में कमी देखी. उन्होंने ये भी पाया कि जिन लोगों ने कम कैलोरी लेकर इसकी भरपाई नहीं की, उन लोगों का वजन औसतन 20 परसेंट बढ़ गया.

क्या करें?- कैलोरी की क्वालिटी और क्वांटिटी दोनों का ध्यान रखें.

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लंबे समय से तनाव और हार्मोनल असंतुलन

तनाव में रहना हमारी आदत बन चुकी है!
(फोटो: iStockphoto) 

चौथा, हम जिस तरह की प्रेशर कुकर लाइफस्टाइल में जी रहे हैं और 24X7 जिस तरह लंबे समय से स्ट्रेस में रह रहे हैं, वह हमारे हार्मोन को निगेटिव रूप से प्रभावित करता है. यह हार्मोनल असंतुलन अक्सर मिडिल एज में वजन बढ़ने का एक मुख्य कारण है.

एक दूसरी समस्या ये है कि लगातार तनाव हमारे स्ट्रेस हार्मोन ‘कोर्टिसोल’ को हाई लेवल तक ले जाता है. कोर्टिसोल ब्रेन को स्ट्रेस से लड़ने के लिए फ्यूल स्टोर करने के लिए मैसेज भेजता है. इसका रिजल्ट यह होता है कि आप अधिक खाने लगते हैं.

क्या करें?- तनाव पर कंट्रोल रखने की कोशिश करें; अधिक खेलें, म्यूजिक सुनें, डांस क्लास या योग ग्रुप में शामिल हों, अच्छी नींद लें, छुट्टियां लें, नेचर के बीच समय बिताएं और मेडिटेशन करें. स्ट्रेस को दूर भगाने को प्राथमिकता दें.

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इंसुलिन प्रतिरोध

अपने ब्लड शुगर लेवल का ध्यान रखें. 
(फोटो: iStock)

इंसुलिन प्रतिरोध भी लोगों के वजन बढ़ने का एक और कारण है. इससे पेट के आसपास फैट बढ़ जाता है. यह अधिक खाने, प्रोसेस्ड और जंक फूड पर अधिक भरोसा करने और एक बिजी लाइफस्टाइल के कारण होता है.

क्या करें?- अपने ब्लड शुगर लेवल का ध्यान रखें. कार्बोहाइड्रेट के जरिए इसे कंट्रोल करें. साबुत अनाज खाएं और प्रोसेस्ड फूड से दूर रहें.

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न्यूट्रिएंट्स की कमी

तली हुई चीजें कम खाएं!
(फोटो: iStock)

पिछले एक दशक में आपने जो भी उल्टा-पुल्टा खाया है, वो बॉडी में विटामिन डी, बी-12, जिंक, आयरन, कैल्शियम जैसे पोषक तत्वों की कमी का कारण बनते हैं. जब डाइट में महत्वपूर्ण माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी होती हैं, तो यह हाई क्रेविंग की ओर जाता है. हम में से अधिकतर इसे जंक फूड खाने से पूरा करते हैं. यह एक बहुत ही आम समस्या है.

क्या करें?- संतुलित आहार खाएं और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स पर ध्यान दें. वैराइटी में खाएं क्योंकि इस तरह आमतौर पर न्यूट्रिएंट्स की एक विस्तृत स्पेक्ट्रम का ध्यान रखा जा सकता है.

अंत में, स्वीकार करें कि जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ेगी, वजन कम होने में अधिक समय लगेगा. इसलिए सजग होकर प्रोसेस पर ध्यान केंद्रित रखें. पर्याप्त वर्कआउट करें और जितना संभव हो उतना हेल्दी भोजन करें. आपकी बॉडी पॉजिटिव रेस्पॉन्स करेगी.

(कविता देवगन एक न्यूट्रिशनिस्ट, वेट मैनेजमेंट कंसल्टेंट और हेल्थ राइटर हैं. इन्होंने दो बुक ‘Don't Diet! 50 Habits of Thin People (Jaico)’ और ‘Ultimate Grandmother Hacks: 50 Kickass Traditional Habits for a Fitter You (Rupa) लिखी है.)

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