खर्राटे लेना एक आम समस्या बनता जा रहा है. आज इसकी चपेट में हर वर्ग जैसे कि बच्चे, युवा और वृद्ध शामिल हैं. कुछ लोगों में एक भ्रामक धारणा है कि खर्राटे गहरी नींद में होने के कारण आते हैं, पर यह सच नहीं है. खर्राटे का आना, अच्छे स्वास्थ्य की ओर इशारा नहीं करता है.
यह अपने आप में कोई बीमारी नहीं है, लेकिन ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया जैसी बीमारी का संकेत हो सकता है, जो स्ट्रोक, अनियंत्रित रक्तचाप, शुगर की समस्याओं जैसी कई अन्य गंभीर बीमारियों से जुड़ी होती है.
बेहद आम-सी लगने वाली इस स्वास्थ्य समस्या का प्रभाव कभी-कभी इतना ज़्यादा होता है कि इससे आप और आपके साथ रहने वाले लोगों के बीच के रिश्ते पर भी असर पड़ सकता है.
फ़िट हिंदी ने अनुभवी डॉक्टरों से खर्राटे की समस्या हल करने का सही तरीक़ा जानने का प्रयास किया.
ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया एक गंभीर बीमारी है, जिसका पता समय पर चलना ज़रूरी है. यहाँ बता दें, खर्राटा और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के बीच अंतर होता है.
क्या हैं खर्राटे और क्यों आते हैं?
“सोते समय साँस के अटकने से और कोशिकाओं की कंपन से जो आवाज़ आती है, उसे हम खर्राटा बोलते हैं. खर्राटा अपने आप में बीमारी नहीं है, पर यह किसी गंभीर बीमारी का लक्षण हो सकता है. यह हमारे श्वास की प्रक्रिया में होती रुकावट से होता है. जब हम साँस लेते हैं, तब नाक की कोशिकाओं में बदलाव की वजह से, बलगम की वजह से या मोटापे की वजह से कोशिकाओं में दवाब सा आता है, जिसकी वजह से खर्राटे होते हैं” ये कहना है डॉ प्रवीन गुप्ता, निदेशक एवं हेड, न्युरोलॉजी, फ़ोर्टिस मेमोरीयल रीसर्च इन्स्टिटूट, गुरुग्राम का.
खर्राटा एक तरह की ध्वनि है। यह ध्वनि तब पैदा होती है, जब व्यक्ति नींद के दौरान अपनी नाक और गले के माध्यम से स्वतंत्र रूप से साँस नहीं ले पाता है.
"नींद के दौरान जब हम सांस लेते और छोड़ते हैं, तब हमारी गर्दन और सिर के सॉफ्ट टिशू (मुलायम ऊतक) में कंपन होती है, जिसकी वजह से हम खर्राटे लेते हैं. ये सॉफ्ट टिशू हमारी नाक के रास्ते, टॉन्सिल और मुँह के ऊपरी हिस्से में होते हैं. इसके अलावा व्यक्ति की जीभ की स्थिति भी सांस लेने के रास्ते में आती है, जिसके कारण खर्राटों की समस्या होती है"डॉ आशीष कुमार प्रकाश, कन्सल्टंट, रेस्प्रिटॉरी एंड स्लीप मेडिसिन, मेदांता गुरुग्राम
खर्राटे आने के लक्षण
डॉक्टरों ने बताया, खर्राटे के ये सभी लक्षण हो सकते हैं :
तेज आवाज के साथ साँस लेना और छोड़ना
थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ सेकेंड के लिए साँस का रुकना
सोते-सोते साँस ना आने पर हड़बड़ा कर जागना
दिन भर सुस्ती और आलस्य से भरे रहना
थकान महसूस होना
मानसिक तनाव
सुबह सर में दर्द
ज़्यादा नींद आना
याददाश्त कमज़ोर होना
मधुमेह
"पुरुषों और वृद्ध लोगों में खर्राटे और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया अधिक आम है. खासकर अगर वे मोटे हैं (बीएमआई>30 किग्रा/ मी 2) और यदि उनकी जीभ बड़ी और गर्दन छोटी है, साथ ही अगर उनके कॉलर का आकार (गर्दन का घेरा) 17 इंच से अधिक हो. बच्चों में खर्राटे भी आ सकते हैं, जब उनके टॉन्सिल या एडेनोइड बढ़े हों"डॉ विकास मित्तल, एसोसिएट डायरेक्टर पल्मोलॉजी एंड स्लीप मेडिसिन, मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, शालीमार बाग
खर्राटे आने के कारण
खर्राटे के कई कारण हो सकते हैं और उनमें से कुछ प्रमुख कारण ये भी हो सकते हैं:
मोटापा: अधिक वज़न खर्राटे के प्रमुख कारणों में से एक है. मोटे लोगों में यह समस्या आम है. वज़न बढ़ने के कारण गर्दन पर ज्यादा मांस लटकने लगता है और सोते समय इस कारण साँस की नली दब जाती है, जिसके कारण सांस लेने में दिक्कत होने लगती है.
ज़्यादा शराब पीना- कई बार शराब के अधिक सेवन से गले की मांसपेशियां फैल जाती हैं, जिससे खर्राटे उत्पन्न हो सकते हैं.
बढ़ती उम्र: उम्र बढ़ने के साथ गले का संकरा होना और मांसपेशियां का ढीला पड़ना
सर्दी-जुकाम: ऐसा होने पर भी खर्राटे आते हैं, हालाकि ये खर्राटे अस्थायी होते हैं.
छोटे बच्चों में इसका कारण उनकी नाक में होने वाली रुकावट है. नाक का मस्सा, नाक बंद होने या सर्दी-जुकाम के कारण भी बच्चे खर्राटे लेते हैं.
खर्राटा लेने से ब्लड प्रेशर बढ़ता है, जिस वजह से दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है. इसके अलावा भी व्यक्ति खर्राटे के कारण कई और गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकता है.
खर्राटे की समस्या से कैसे दूर रहें?
डॉ आशीष कुमार प्रकाश ने इस समस्या से दूर रहने के लिए, सचेत रहने और यह सभी उपाय करने की सलाह दी.
वज़न पर नियंत्रण रखें
नाक को साफ़ रखें
शराब का सेवन कम करें
रात में 6 से 8 घंटे की नींद लें
शारीरिक व्यायाम ज़रूर करें
तनाव से दूर रहने की कोशिश करें
स्लीप हाइजीन का पालन करें
"खर्राटे आ रहे हैं, तो स्लीप स्पेशलिस्ट के पास जाना चाहिए जो आपका स्लीप स्टडी टेस्ट कर पता करेंगे कि यह केवल खर्राटे की समस्या है या ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया है"डॉ प्रवीन गुप्ता, निदेशक एवं हेड, न्युरोलॉजी, फ़ोर्टिस मेमोरीयल रीसर्च इन्स्टिटूट, गुरुग्राम
खर्राटे की समस्या होने पर क्या करें?
प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक ही तरीके का उपचार सही नहीं होता. खर्राटे की समस्या का उपचार लक्षणों पर निर्भर करता है. डॉक्टरों का कहना है कि समय पर इलाज शुरू करने पर खर्राटे की समस्या से छुटकारा मिलने की संभावना बढ़ जाती है.
स्लीप स्पेशलिस्ट से संपर्क करें
वज़न कम करें
शराब से दूरी बनाएं
अच्छी नींद लें
अगर नींद की समस्या हो, तो गाड़ी चलाने से परहेज़ करें
सोने के समय एक करवट सोने की कोशिश करें
नाक में लगाने वाली पट्टियों का इस्तेमाल भी कर सकते हैं
ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर का ध्यान रखें
चिंता कम करें
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