हम में से ऐसा कोई नहीं होगा, जिसे कभी पेट में गैस से तकलीफ न हुई हो. गैस से पेट में दर्द या ब्लोटिंग (पेट फूलना) से राहत पाने के लिए हमारे पास कोई न कोई घरेलू उपाय या ओवर द काउंटर दवाइयाँ भी अक्सर होती ही हैं.
हालांकि डाइजेस्टिव सिस्टम में 'गैस बनना' पाचन की एक प्रक्रिया है और इसका बाहर निकलना भी सामान्य होता है.
कैसे बनती है पेट में गैस?
मैक्स हेल्थकेयर के सीनियर गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ अश्विनी सेतिया पेट में गैस बनने की प्रक्रिया को समझाते हुए बताते हैं, "जब भोजन पेट में जाता है, तो अमाशय में मौजूद एसिड उस पर प्रतिक्रिया करता है, फिर भोजन आँत के पहले हिस्से में मौजूद बाइल के सम्पर्क में आता है, जो क्षारीय होता है और उसके बाद एन्ज़ाइम के सम्पर्क में आता है. इस प्रकार पाचन क्रिया के तहत बाइप्रोडक्ट के रूप में गैस बनती है.''
ये गैस आमतौर पर डकार के जरिए बाहर आती है क्योंकि गैस हल्की होती है, इसलिए ऊपर आती है.डॉ सेतिया
इसके बाद जब खाना हजम हो जाता है, तो वो मल बनने की प्रक्रिया में होता है, जो कार्बोहाइड्रेट, शुगर, स्टार्च और फाइबर पेट और छोटी आँत में ठीक से पच नहीं पाते, उन्हें बड़ी आँत में मौजूद बैक्टीरिया (कीटाणु) फर्मेंट करते हैं. इसमें भी गैस बनती है, जो कि नीचे रेक्टम (मलद्वार) के रास्ते निकलती है.
ज़्यादा गैस बनने की वजह?
पेट में ज्यादा गैस बनने की वजह पर डॉ सेतिया बताते हैं:
पाचन की प्रक्रिया में कोई भी विकार, जैसे एसिड ज़्यादा हो, तो ज़्यादा गैस बन जाती है.
आँतों की गति में कोई विकार आ जाए, धीरे हो जाए या रुक जाए तो गट (आँत) में मौजूद बैक्टीरिया के कारण ज़्यादा फर्मेंटेशन से भी ज़्यादा गैस बन जाती है.
खाने-पीने की कुछ चीजें (जैसे- फलिया में राजमा, बीन्स, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स ) भी होती हैं, जिनसे गैस ज़्यादा बनती है.
कभी-कभार छोटी आँत में गैस बनाने वाले बैक्टीरिया की संख्या बढ़ जाती है, जो ज़्यादा गैस बनने की वजह बनते हैं.
पाचन तंत्र या आँतों की कोई बीमारी, फूड इंटॉलरेंस या कब्ज के कारण भी ज़्यादा गैस से दिक्कत होती है.
इसके अलावा खाते या पीते वक्त, खाने के दौरान बात करने, च्यूइंग गम, स्मोकिंग के दौरान निगली गई हवा पेट में जाती है.
निगली गई हवा ज़्यादातर डकार के जरिए पेट से बाहर निकलती है. जो बच जाती है, वो छोटी आँत में आंशिक रूप से अवशोषित होती है और कुछ हवा बड़ी आँत तक भी पहुंचती है, जो गुदा के रास्ते बाहर निकलती है.
इस तरह डाइजेस्टिव ट्रैक्ट से गैस बाहर करने के लिए डकार या फार्ट सामान्य है. समस्या तब शुरू होती है जब ये गैस डाइजेस्टिव सिस्टम में फँस जाए या ज़्यादा हो जाए और इसके कारण दर्द, उल्टी, ब्लोटिंग या दूसरी दिक्कतें होने लगें.
नहीं, सिर पर नहीं चढ़ती पेट की गैस
डॉ सेतिया बताते हैं कि ये मिथ्या धारणा है कि गैस सिर पर चढ़ गई, बदन में आ गई या हड्डी में चढ़ गई क्योंकि पाचन तंत्र लगभग 32 फीट लंबी ट्यूब है, उसके अंदर से गैस दो ही जगह से निकलेगी- मुंह से या गुदा से. पेट की गैस सिर में नहीं जा सकती है.
वो बताते हैं कि ये लोगों की गलत धारणा है, दरअसल आयुर्वेद में गठिया जैसे रोगों के लिए जिस वात की बात होती है, वो पेट में बनने वाली गैस नहीं है.
पेट में ज्यादा गैस से राहत पाने के लिए क्या करें?
गैस से राहत पाने के लिए ओवर द काउंटर मिलने वाले प्रोबायोटिक लिए जा सकते हैं, वहीं दही भी प्रोबायोटिक का एक अच्छा स्रोत है.
डॉ सेतिया बताते हैं कि गैस वगैरह के लिए ओवर द काउंटर मिलने वाली दवाइयां सीमित मात्रा में ही लेनी चाहिए और कोई दूसरी दवा खुद से बिल्कुल भी नहीं लेनी चाहिए.
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डायबिटीज एंड डाइजेस्टिव एंड किडनी डिजीज के मुताबिक अगर आपको गैस की दिक्कत हो, तो उन चीजों का सेवन सीमित कर दें, जिनसे पेट में ज़्यादा गैस बनती है. इसके साथ ही कार्बोनेटेड ड्रिंक्स, तली हुई और हाई फैट और हाई शुगर वाली चीजें सीमित करें.
आपको किन चीजों से गैस की दिक्कत होती है, ये जानने के लिए आप एक फूड डायरी बना सकते हैं.
अगर आपको गैस के लक्षणों से लगातार दिक्कत हो रही हो, तकलीफ बढ़ने लगी है या उसके साथ दूसरी परेशानियां भी शुरू हो गई हों, तो डॉक्टर से संपर्क करने में देरी न करें.
(फिट नोट: ये लेख सिर्फ आपकी सामान्य जानकारी के लिए है.)
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