राजस्थान के कोटा में 105 से ज्यादा बच्चों की मौत पर सियासी आरोप-प्रत्यारोप और सवाल-जवाब के बीच जेके लोन हॉस्पिटल में खामियों की जांच के लिए गठित की गई कमेटी की रिपोर्ट आई है.
इसमें बच्चों की मौत कारण हाइपोथर्मिया बताया गया है, वहीं हॉस्पिटल में जीवन रक्षक उपकरणों के खराब होने और उनकी कमी की बात कही गई है.
राजस्थान सरकार द्वारा नियुक्त एक पैनल की रिपोर्ट में बताया गया है कि करीब एक महीने में कोटा के जेके लोन में हॉस्पिटल में 105 से ज्यादा बच्चों की मौत हाइपोथर्मिया (जब शरीर का तापमान 95 °F (35 °C) से कम हो जाता है) के कारण हुई.
हॉस्पिटल में जीवनरक्षक उपकरणों की कमी: रिपोर्ट
नवजात शिशुओं के शरीर का तापमान 36.5 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए. शिशुओं के शरीर का तापमान कम होने पर उन्हें वार्मर पर रखने की जरूरत होती है. हालांकि, रिपोर्ट के मुताबिक हॉस्पिटल में ठीक के काम करने वाले वार्मर की कमी के चलते शिशुओं के शरीर के तापमान में गिरावट जारी रही.
रिपोर्ट में बताया गया कि हॉस्पिटल में 28 में से 22 नेब्यूलाइजर खराब थे, 111 इंफ्यूजन पंप में से 81 काम नहीं कर रहे थे और दूसरे उपकरण भी खराब थे.
इसके अलावा ऑक्सीजन पाइपलाइन ना होने के कारण हालत और खराब हो गई और बच्चों को सिलेंडर की मदद से ऑक्सीजन दी गई.
आइए, समझते हैं क्या है हाइपोथर्मिया जिसके कारण कोटा में 105 से ज्यादा मासूमों की जान चली गई.
क्या है हाइपोथर्मिया?
जब शरीर ज्यादा तेजी से गर्मी खोने लगे और उतनी जल्दी गर्मी पैदा ना कर पाए, तो शरीर का तापमान खतरनाक तरीके से कम हो सकता है, इसे मेडिकल भाषा में हाइपोथर्मिया कहते हैं.
हाइपोथर्मिया की कंडिशन तब आती है, जब शरीर का तापमान 95 °F (35 °C) से कम हो जाता है.
हाइपोथर्मिया से बचाव के लिए आप क्या कर सकते हैं?
ठंड में बच्चों पर ध्यान देना चाहिए कि कहीं उनका शरीर ठंडा और त्वचा लाल तो नहीं पड़ रही. हाइपोथर्मिया के कारण बच्चों में ऊर्जा नहीं रह जाती और वो बेहद सुस्त हो जाते हैं.
(रिपोर्ट इनपुट: IANS)
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