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स्मोकिंग करने वालों को क्यों लगता है इससे मिलेगी तनाव से राहत?

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स्मोकिंग करने वालों से पूछें कि स्मोकिंग क्यों करते हैं तो अक्सर ये जवाब आता है - “स्ट्रेस दूर करने के लिए...”

क्या इसमें सच्चाई है? क्या स्मोकिंग छोड़ने वालों के मेंटल हेल्थ पर असर पड़ता है? क्या इससे डिप्रेशन हो सकता है?

AIIMS के नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर(NDDTC) में असिस्टेंस प्रोफेसर(साइकिएट्री) डॉ रोशन भड फिट से बातचीत में इस बारे में बताते हैं-

तनाव सब्स्टांस यूज(substance use) यानी सिगरेट, अल्कोहल, ड्रग इस्तेमाल को ट्रिगर करता है. अगर कोई तनाव में है तो उसे सिगरेट की क्रेविंग( तेज इच्छा) हो सकती है. वहीं जिन लोगों को पहले से लत होती है उनमें ये ज्यादा तेज हो जाती है.

फोर्टिस हेल्थकेयर में क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट और मेंटल हेल्थ डिपार्टमेंट हेड डॉक्टर कामना छिब्बर कहती हैं कि स्मोकिंग और स्ट्रेस रिलीफ की सोच के पीछे बायोलॉजिकल, साइकोलॉजिकल, सोशल एलिमेंट का कॉम्बिनेशन काम करता है.

वो कहती हैं कि मीडिया में कई सब्स्टांस को लंबे समय से स्ट्रेस के साथ जोड़कर दिखाया जाता रहा है. इससे लोगों के दिमाग में एक सोच बन गई है कि अगर वो इन चीजों का सहारा लेंगे तो वो ज्यादा आराम महसूस करेंगे. इस तरह का बिहेवियर जल्द ही आदत का रूप ले लेता है क्योंकि शरीर के अंदर सब्स्टांस की निर्भरता बनती है और हमें पता नहीं चल पाता.

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सिगरेट पीने से दिमाग में क्या होता है?

डॉ रोशन भड बताते हैं कि सिगरेट में पाया जाने वाला केमिकल निकोटिन दिमाग में निकोटिनीक एसिटाइलकोलीन रिसेप्टर (Nicotinic acetylcholine receptors) से अटैच होकर न्यूरोट्रांसमीटर डोपामिन(Dopamine) रिलीज करता है. डोपामिन प्लेजर न्यूरोट्रांसमीटर कहलाता है जिससे लोग आनंद महसूस करते हैं.

वहीं, निकोटिन से स्मोकिंग की लत पैदा होती है.

“स्मोकिंग करने से दिमाग के अंदर कुछ बदलाव होता है और न्यूरोट्रांसमीटर रिलीज करने से आनंद और आराम महसूस होता है. कभी-कभी बेहोशी, हल्कापन महसूस होता है. जब तक सब्स्टांस का असर रहता है लोग कुछ देर के लिए तनाव को भूल जाते हैं.”
डॉ रोशन भड

ये समझना अहम है कि सिगरेट तनाव की परेशानी को खत्म नहीं करता बल्कि कुछ देर के लिए तनाव को भूलने में मदद करता है और आराम पहुंचाता है.

“क्या सिगरेट न पीने से तनाव रिलीज नहीं होगा और परेशानी बढ़ेगी?”

स्मोकिंग को तनाव दूर करने का जरिया मानने वाले लोगों को लगता है कि अगर उन्होंने सिगरेट पीनी छोड़ दी तो उनकी मानसिक समस्याएं बढ़ जाएंगी.

डॉ रोशन भड बताते हैं, तनाव दूर करने के लिए सब्स्टांस यूज(substance use) सबसे आसान तरीका माना जाता है क्योंकि ये तनाव को कुछ समय के लिए भूलने में मदद करता है. लेकिन अगर आपको स्थायी उपाय चाहिए तो स्ट्रेस मैनेजमेंट अपनाना होगा. ये जानना होगा कि आपको तनाव क्यों महसूस हो रहा है? क्योंकि लंबे समय तक सब्स्टांस का इस्तेमाल मानसिक परेशानियों को ज्यादा खराब बना सकता है.

“सबमें तनाव को हैंडल करने की क्षमता होती है- स्ट्रेस कम होता है या आपमें उसे संभालने की क्षमता कम हो जाती है. इन दोनों के बीच एक बैलेंस होना चाहिए. जब ये बैलेंस बिगड़ता है तब ये स्ट्रेस परेशानी में बदल जाती है. कई बार स्ट्रेस अच्छा परफॉर्म करने में मदद भी करता है. इसे ‘गुड स्ट्रेस’ कहते हैं. लेकिन जब ये डिमांड कैपेसिटी से ज्यादा बढ़ जाती है तो इसे ‘अनकंट्रोल्ड स्ट्रेस’ कहते हैं. इसकी वजह से कई दिक्कतें होती हैं जिसमें मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याएं भी शामिल हैं और सब्स्टांस यूज की तरफ रुझान बढ़ता है.”
डॉ रोशन भड

स्मोकिंग छोड़ने से डिप्रेशन हो सकता है?

स्मोकिंग छोड़ने पर विदड्रॉल सिम्पटम (Withdrawal symptom) नजर आते हैं. ये फिजिकल और साइकोलॉजिकल दोनों तरह के लक्षण होते हैं. साइकोलॉजिकल सिम्पटम में शामिल हैं-

  • इर्रेटिलिबिलिटी
  • नकारात्मक इमोशन
  • उदासीनता
  • कंसंट्रेशन कम होना

ये सिगरेट छोड़ने के एक सप्ताह के अंदर चरम पर होती हैं और कुछ समय के लिए ही होती हैं इसलिए इसे डिप्रेशन से जोड़ना गलत है.

डॉ कामना कहती हैं - डिप्रेशन या एंग्जायटी अलग बीमारी है. सिगरेट छोड़ने पर कुछ समय के लिए आप मानसिक रूप से परेशान हो सकते हैं जबकि डिप्रेशन में लंबा असर दिखता है. उसके लक्षण बिल्कुल अलग होते हैं.

“अगर आप स्मोकिंग छोड़ने के लिए बिहेवियर बदलने की कोशिश कर रहे हैं और मूड मैनेज नहीं हो रहा, प्रोडक्टिविटी, रिलेशनशिप पर असर पड़ रहा है और एक्सपीरियंस बुरा होता जा रहा है, अच्छा महसूस करने की जगह आप बुरा महसूस कर रहे हैं तो आपको एक्सपर्ट से मिलना चाहिए. लेकिन खुद ये तय न करें कि आपको सिगरेट छोड़ने की वजह से डिप्रेशन या एंग्जायटी हो रही है.”
डॉ कामना छिब्बर

स्मोकिंग छोड़ने के लिए क्या करूं?

इसके लिए मेडिकेशन और स्ट्रैटजी दोनों जरूरी हैं. मेडिकेशन में ब्यूप्रोपिओन और नोर्ट्रिप्टीलीन समेत अन्य ड्रग का इस्तेमाल किया जाता है.

फिट ने स्मोकिंग छोड़ने के उपायों पर पहले भी आर्टिकल में बताया है.

डॉ भड कहते हैं कि स्मोकिंग और स्ट्रैटजी दिमाग के निचले हिस्से का फंक्शन है. वहीं विल पावर (Will Power) ऊपरी दिमाग के हिस्से का फंक्शन है. इसलिए सिगरेट छोड़ने के लिए विल पावर और छोड़ने की प्रबल इच्छा होनी चाहिए. कोशिश और स्ट्रैटजी के जरिये इसे छोड़ा जा सकता है.

वो चार ‘D’ के जरिये स्मोकिंग क्रेविंग को कम करने के उपाय बताते हैं.

  • Delay- खुद को किसी एक्टिविटी में व्यस्त कर लें. क्रेविंग वेव(Wave) जैसी होती है और एक समय पर तेज होती है. समय पार कर जाने के बाद क्रेविंग कम हो जाती है.
  • Deep breathing- 20 बार गहरी सांस लें और छोड़ें.
  • Drinking water- ठंडा पानी पीना
  • Discussion- स्मोकिंग की इच्छा होने पर किसी के साथ चर्चा करें, बातचीत करें.

डॉ कामना बताती हैं कि कई लोग सिगरेट एक बार में छोड़ देने में सक्षम होते हैं वहीं कई लोग धीरे-धीरे छोड़ पाते हैं. ऐसे लोग इन उपायों पर अमल कर सकते हैं-

  • आधी सिगरेट पिएं, आधी फेंक दें.
  • सिगरेट का पैकेट न रखें.
  • स्मोक करने का मन हो तो शॉप पर जाकर एक सिगरेट खरीदें और वहां खड़े होकर स्मोक न करें, क्योंकि आप दूसरी भी खरीद सकते हैं.
  • किसी और को सिगरेट लेने न भेजें. खुद ही लेने जाएं.
  • लौंग मुंह में रखें.

ये मैकेनिज्म थोड़ी रुकावट पैदा करते हैं जिससे सिगरेट छोड़ने में मदद मिलती है.

ये तमाम जानकारी आपकी मदद कर सकती हैं. लेकिन किसी भी उपाय, दवा का इस्तेमाल करने से पहले या साथ-साथ डॉक्टर से परामर्श जरूर लें.

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