ADVERTISEMENTREMOVE AD

खाने की इन चीजों में खतरनाक स्तर तक इस्तेमाल हो रहा है नमक और वसा

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

अगर आप मार्केट में बिक रहे पिज्जा, बर्गर, नूडल्स, इंस्टैंट सूप, पैकेज्ड चिप्स, नमकीन, फ्राइज, सैंडविज खाए बगैर नहीं रह सकते हैं, तो अपनी इस आदत पर काबू पाने की कोशिश कीजिए.

भारत में बेचे जाने वाले ज्यादातर पैकेज्ड फूड और फास्ट फूड में नमक और वसा की मात्रा खतरनाक स्तर तक ज्यादा है. सेंटर फॉर सांइस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की एक रिपोर्ट में ये बात सामने आई है.

रिपोर्ट के मुताबिक बाजार में उपलब्ध लगभग सभी नामी कंपनियों के जंक फूड में नमक और वसा की मात्रा निर्धारित सीमा से खतरनाक स्तर तक ज्यादा पाई गई है.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

तय मानकों से बहुत ज्यादा है नमक और वसा

CSE की डायरेक्टर जनरल सुनीता नारायण ने मंगलवार 17 दिसंबर को ‘कोड रेड’ शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट के हवाले से बताया कि भारतीय बाजार में उपलब्ध अधिकतर पैकेट बंद खाना और फास्ट फूड में नमक और वसा भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) के मानकों से बहुत ज्यादा है.

नारायण ने बताया कि FSSAI ने फास्ट फूड कंपनियों को इन उत्पादों में इस्तेमाल किए गए खाद्य पदार्थों की मात्रा पैकेट पर दर्शाने के लिए इस साल जुलाई में दिशानिर्देश तैयार किये थे, लेकिन सरकार ने इन्हें अब तक अधिसूचित कर लागू नहीं किया है.

CSE के एनवायरनमेंट मॉनिटरिंग लैबोरेटरी (EML) ने अग्रणी कंपनियों के 33 उत्पादों, जिसमें चिप्स, इंस्टैंट नूडल्स, पिज्जा, बर्गर, इंस्टैंट सूप और नमकीन के 14 सैंपल सहित बर्गर, फ्राइज, फ्राइड चिकन, पिज्जा, सैंडविच और व्रैप के 19 सैंपल शामिल हैं, की लैब में जांच की.

इसमें ये पता चला है कि इनमें नमक और वसा की मात्रा खतरनाक स्तर पर इस्तेमाल की जा रही है.

सभी 33 लोकप्रिय जंकफूड में कोई भी उत्पाद निर्धारित मानकों के पालन की कसौटी पर खरा नहीं उतर सका. ये सैंपल दिल्ली में किराने की दुकानों और फास्ट फूड आउटलेट से लिए गए थे, जिन्हें पूरे देश में व्यापक रूप से बेचा और खाया जाता है.

नारायण ने कहा कि सरकार ने 2013 में इस विषय पर फास्ट फूड कंपनियों के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश बनाने के लिए FSSAI के विशेषज्ञों की एक समिति गठित की थी. उन्होंने कहा कि पिछले 7 साल में तीन समितियां गठित हो चुकी हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कानूनी पहल नहीं हुई.

स्वाद के लिए सेहत से खिलवाड़

फास्ट फूड कंपनियां ज्यादा नमक और वसा क्यों इस्तेमाल करती हैं, इस सवाल पर नारायण ने कहा, ‘‘तय मानकों के अनुसार नमक, वसा और शर्करा सहित अन्य तत्वों का इस्तेमाल स्वाद पर भारी पड़ता है, इसलिए कंपनियां स्वाद के साथ कोई समझौता करने को तैयार नहीं होती हैं. दूसरी ओर सरकार भी दुनिया की इन नामी कंपनियों के दबाव में कानून बनाकर FSSAI के मानकों का पालन करने के लिये (उन्हें) मजबूर करने से बच रही है.’’

जंक फूड और चिप्स, नमकीन जैसी पैकेटबंद चीजें खाने में तो चटपटी और स्वादिष्ट लगती हैं, लेकिन इनसे शरीर को गंभीर और जानलेवा बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

तंबाकू की तरह जंक फूड पर भी हो खतरे का निशान

सुनीता नारायण ने कहा कि ऐसे खाद्य पदार्थों से दिल की बीमारियां, डायबिटीज और मोटापे का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए इनके पैकेट पर चेतावनी वाले लाल निशान होने चाहिए.

उन्होंने बताया कि चिली, पेरू,कनाडा जैसे देशों में पैकेटबंद चीजों पर इस तरह के निशान लगाने की शुरुआत की गई, ताकि लोग ये समझ सकें कि वह चीज सेहत को कितना नुकसान पहुंचा सकती है. ऐसे में लोग खाने के लिए सुरक्षित चीजों का चुनाव करते हैं.

इसीलिए CSE की मांग है कि तंबाकू उत्पादों की तरह ही सेहत के लिए हानिकारक खाद्य उत्पादों पर भी खतरे का निशान होना चाहिए ताकि इसे खाने वाले लोगों को इसका पता रहे.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×