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ओमेगा-3: कई बीमारियों को दूर रखता है ये फैटी एसिड

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आजकल जिसे देखो वही सप्लीमेंट्स की बात करता दिखाई देता है. सप्लीमेंट्स देश में सबसे नई सनक सी लगती है. ऐसा लगता है कि पश्चिमी देशों से हम इसे उधार लेकर अपने डेली रूटीन में शामिल कर अपना अलग ट्रेंड शुरू कर रहे हैं.

जब कोई सप्लीमेंट्स के बारे में बात करता है, तो ओमेगा-3 की बात आ ही जाती है. लेकिन इससे पहले कि आप भी इस भेड़चाल (ध्यान रहेः बिना उचित डॉक्टरी सलाह के कोई भी गोली ना खाएं) में शामिल हों, यहां जान लें कि ओमेगा-3 क्या है और क्यों ये हमारी डाइट का हिस्सा होना चाहिए.

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क्या है ओमेगा-3?

ओमेगा-3 ऐसा आवश्यक फैटी एसिड है, जो शरीर के लिए महत्वपूर्ण है लेकिन शरीर इसे खुद नहीं बना सकता है. ये पॉलीअनसैचुरेटेड फैट होते हैं, जिन्हें फूड आइटम्स (या सप्लीमेंट्स, केवल एक डॉक्टर द्वारा सलाह के बाद) से लिया जा सकता है.

कंसल्टेंट न्यूट्रिशनिस्ट डॉ रुपाली दत्ता इस बात से सहमति जताते हुए कहती हैं:

ये (ओमेगा-3 फैटी एसिड) अन्य फैट से शरीर द्वारा निर्मित नहीं किए जा सकते हैं, इसलिए हमें इन्हें अपने भोजन में शामिल करना चाहिए. ये हमारी कोशिकाओं के ठीक से काम करने के लिए आवश्यक हैं. यह उन हार्मोनों के बनने में भी शामिल हैं, जो खून के थक्के जमने, धमनियों की दीवारों के संकुचन और उनके सामान्य होने को रेगुलेट करते हैं. इसके साथ ही इनमें एंटी-इंफ्लेमेटरी इफेक्ट भी होता है.

ओमेगा -3 फैटी एसिड के तीन मुख्य प्रकार हैं:

  1. अल्फा-लिनोलेनिक एसिड (ALA): अलसी, चिया और भांग के बीज में पाया जाता है.
  2. डोकोहेक्सेनोइक (Docosahexaenoic) एसिड: समुद्री भोजन, मछली के तेल और शैवाल में पाया जाता है.
  3. इकोसापेंटानोइक (Eicosapentaenoic) एसिड: यह भी समुद्री भोजन और मछली के तेल में पाया जाता है.

(सोर्स: Healthline.com)

ओमेगा-3 के फायदे

न्यूट्रिशनिस्ट कविता देवगन ओमेगा-3 को पोषण से भरपूर फूड कंपोनेंट के रूप में देखती हैं और कहती हैं:

जबकि ओमेगा-6 एसिड (आवश्यक फैटी एसिड के दो परिवारों में से एक) के मेटाबॉलिक प्रोडक्ट्स इंफ्लेमेशन, खून के थक्के और ट्यूमर के विकसित होने को बढ़ावा देते हैं, ओमेगा-3 एसिड पूरी तरह से इसके विपरीत कार्य करते हैं. कई रिसर्चर्स का मानना है कि हृदय रोग, हाइपरटेंशन, डायबिटीज, मोटापा, समय से पहले बूढ़ा होना और कैंसर के कुछ रूपों का एक बड़ा कारण हमारे ओमेगा-6 और ओमेगा-3 एसिड इनटेक के बीच सही अनुपात का नहीं होना है.

वह आगे कहती हैं कि सभी फैट की तरह, आवश्यक फैटी एसिड एनर्जी देते हैं, भोजन को स्वादिष्ट बनाते हैं और भूख को मिटाते हैं. उनकी कैलोरी वैल्यू अन्य फैट्स और तेल के समान है, लेकिन सैचुरेटेड फैट के विपरीत, उनकी महत्वपूर्ण शारीरिक भूमिकाएं हैं. यह पूरे शरीर को कई तरह से फायदा पहुंचाते हैं.

रुपाली दत्ता का कहना है कि ओमेगा-3 फैट का सबसे स्थापित लाभ उनकी वह क्षमता है जो हृदय गति को सामान्य लय में रखकर उन्हें घातक होने से रोकने में मदद करता है.

ये ब्लड प्रेशर और हृदय गति को कम करने, रक्त वाहिकाओं के कार्यों में सुधार, ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने और महत्वपूर्ण रूप से एंटी-इंफ्लेमेटरी एजेंटों के रूप में कार्य करने के लिए जाने जाते हैं, जो लाइफस्टाइल से जुड़े रोगों का प्रमुख कारण हैं. भारतीय डाइट मुख्य रूप से शाकाहारी है और इनमें ओमेगा-3 फैट कम होता है. विशेष रूप से ईपीए और डीएचए. ऐसे में मेडिकल गाइडेंस के तहत सप्लीमेंट्स लेना चाहिए.
रुपाली दत्ता

कविता देवगन के अनुसार ओमेगा-3 के रेकमेंडेड इनटेक में या तो सप्ताह में दो बार 100 ग्राम फैटी मछली खाना या हफ्ते में कम से कम 4-5 बार 25 ग्राम अलसी या मेथी के बीज का खाना शामिल है.

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ऑयली फिश से मिलेगा भरपूर ओमेगा-3

कविता देवगन कहती हैं कि चूंकि ऑयली फिश एकमात्र जीवित प्राणी हैं, जिनमें ओमेगा-3 होता है, इसलिए यहां उनकी एक सूची है जिसका सेवन किया जा सकता है.

  • ट्राउट: यह ओमेगा-3s से भरपूर है. यह विटामिन बी का भी एक अच्छा स्रोत है, जो एनर्जी लेवल को सुधारने और बालों, नाखूनों और त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है.
  • मैकेरल: स्मोक्ड या डिब्बाबंद की बजाए ताजा मैकेरल चुनें. स्मोक्ड की प्रक्रिया कुछ पोषक तत्वों को नष्ट कर देती है और डिब्बाबंद मैकेरल में ओमेगा -3 एस का लेवल कम होता है. यह सेलेनियम का भी एक अच्छा स्रोत है, जो कैंसर के खतरे को कम करता है. यह हृदय रोग से बचाता है. साथ ही इसमें विटामिन बी 6 और बी 12 भी है.
  • सैमन: सैमन, ट्राउट और मैकेरल से आगे है, जिसमें 2.7g ओमेगा-3 प्रति 100 ग्राम है. यह भी विटामिन ए और डी, प्लस बी विटामिन से भरपूर है.
  • काले पोमफ्रेट
  • सुरमई
  • सिंहारा
  • हिलसा
  • रोहू
  • शेलफिश: हालांकि इसमें कोलेस्ट्रॉल अधिक होता है लेकिन इसमें ओमेगा 3 के फायदे कहीं अधिक हैं.
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वेजिटेरियन? आप लोगों को ये खाना चाहिए

कविता देवगन सरसों, मेथी के बीज का तेल और फैट, उड़द की दाल, राजमा, सोयाबीन, लोबिया, अखरोट, बाजरा खाने की सलाह देती हैं. इसके अतिरिक्त, जैतून, कैनोला, अलसी और अखरोट के तेल का उपयोग खाना पकाने में भी किया जा सकता है.

अगर आप अभी भी निश्चिंत होना चाहते हैं, तो आप अपनी डाइट में अखरोट, बादाम और सरसों के पत्ते के साथ हरी, पत्तेदार सब्जी जैसे मेथी, सरसों के पत्ते, चवली के पत्ते, पालक भी शामिल कर सकते हैं.

इसके अलावा, डेयरी प्रोडक्ट्स, अंडे और वनस्पति तेलों से पूरी तरह से दूर करने के बजाए, इनका सीमित मात्रा में प्रयोग किया जा सकता है.

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