कोरोना संक्रमण को लेकर हैरान करने वाली बात सामने आई है. जिस सिगरेट से दूर रहने की सलाह दी जाती है, वो धूम्रपान करने वालों में कोविड का रिस्क कम कर रहा है. ये जानकारी काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च(CISR) के अपने करीब 40 संस्थानों में किए गए अखिल भारतीय सीरो सर्वे (All india sero survey) से पता चला है. सर्वे के मुताबिक धूम्रपान करने वालों और शाकाहारियों में कम सीरो पॉजिटिविटी पाई गई जो ये बताता है कि उन्हें कोरोना वायरस से संक्रमित होने का कम जोखिम हो सकता है.
इसके अलावा 'ओ'(O) ब्लड ग्रुप वाले लोगों के समूहों में कोविड-19(COVID-19) संक्रमण के प्रति कम संवेदनशील हैं.
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, एक प्रीमेडिकल जर्नल में छपा ये सर्वे कहता है कि, CISR लैब में काम करने वाले 10,427 लोगों के साथ-साथ उनके परिवार के सदस्यों में एंटी बॉडीज का आकलन करने के लिए सैंपल लिए गए थे.
स्टडी में सामने आईं बातें
नोवल कोरोना वायरस के खिलाफ 1,000 से ज्यादा कुल 10.14% लोगों में कोविड के खिलाफ एंटीबॉडी पाए गए.
स्टडी के को-ऑथर और CISR-इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB) के वरिष्ठ वैज्ञानिक शांतनु सेनगुप्ता ने कहा कि सैंपल में से 346 सीरो पॉजिटिव व्यक्तियों में 3 महीने के बाद एंटीबॉडी का स्तर 'स्थिर' या 'उच्च' पाया गया, लेकिन वायरस को बेअसर करने के लिए प्लाज्मा एक्टिविटी कम हो गई थी.
“स्टडी में पाया गया कि सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने वाले और व्यावसायिक जिम्मेदारियां निभा रहे लोग जैसे कि सुरक्षा, हाउसकीपिंग कर्मियों और गैर-धूम्रपान करने वालों, मांसाहारी लोगों में सीरोपॉजिटीविटी ज्यादा पाई गई.”शांतनु सेनगुप्ता
स्टडी में कहा गया है कि 10·14% लोगों के एग्रीगेट सीरोपॉजिटीविटी से पता चलता है कि 100 मिलियन से ज्यादा भारतीय जनसंख्या सितंबर 2020 तक संक्रमित हो चुकी थी, ऐसा मुख्य रूप से बड़े शहरों में हो रहा था लेकिन कोरोना तेजी से पूरे देश में फैल रहा था.
“इस तरह के एंटीबॉडी की उपस्थिति संक्रमण और रिकवरी का एक विश्वसनीय मार्कर है. हालांकि, कुछ संक्रमित लोग एंटीबॉडी डेवलप नहीं कर सके.”अनुराग अग्रवाल, IGIB डायरेक्टर, और स्टडी के को-ऑथर
निजी परिवहन, कम-जोखिम वाले व्यवसायों, धूम्रपान, शाकाहार और ‘ए’ या ‘ओ’ ब्लड ग्रुप वाले सुरक्षात्मक प्रतीत हुए. एंटीबॉडी का स्तर तीसरे महीने में स्थिर था, लेकिन 6 महीने तक गिरावट दिखनी शुरू हो गई.
‘‘हमारा निष्कर्ष है कि धूम्रपान करने वालों के सीरो पॉजिटिव होने की संभावना कम है, सामान्य आबादी से पहली रिपोर्ट है और इसका सबूत है कि कोविड-19 के सांस संबंधी बीमारी होने के बावजूद धूम्रपान बचावकारी हो सकता है.’’शांतनु सेनगुप्ता
इससे पहले पिछले साल, मेडिकल प्रैक्टिश्नर्स, साथ ही सरकार ने, धूम्रपान करने वालों को चेतावनी दी थी कि उन्हें अधिक गंभीर COVID बीमारी होने की संभावना है, क्योंकि ये सांस से जुड़ा संक्रमण है.
शीर्ष बॉडीज, विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) और CDC ने भी धूम्रपान करने वालों को चेतावनी दी थी. WHO ने कहा था कि धूम्रपान करने वालों और तंबाकू का इस्तेमाल करने वालों को COVID-19 का अधिक खतरा है.
“धूम्रपान करने वालों को COVID -19 संक्रमण की अधिक संभावना है क्योंकि धूम्रपान का मतलब है कि उंगलियां (और संभवतः दूषित सिगरेट) होंठों के संपर्क में आती हैं जो हाथ से मुंह तक वायरस के ट्रांसमिशन की संभावना को बढ़ाता है. धूम्रपान करने वालों को पहले से ही फेफड़े की बीमारी हो सकती है या फेफड़ों की क्षमता कम हो सकती है जो गंभीर बीमारी के खतरे को बढ़ाती है.
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