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फिट वेबकूफ: नहीं, संस्कृत बोलकर डायबिटीज से राहत नहीं मिलती

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दावा

बीजेपी सांसद गणेश सिंह ने लोकसभा में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय विधेयक 2019 पर चर्चा के दौरान कहा कि संस्कृत बोलने से डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर जैसे रोगों से राहत मिल जाती है.

सांसद ने कहा,

अमेरिका के एक विश्वविद्यालय के अनुसार संस्कृत भाषा में बात करने से मानव शरीर की तंत्रिका सक्रिय रहती है. ये अमेरिका के एक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर का कहना है जिसमें उन्होंने कहा कि डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर जैसे रोगों से राहत मिल जाती है.
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सही या गलत?

जाहिर है बीजेपी सांसद का ये दावा सही नहीं है. इस पर नेशनल डायबिटीज, ओबिसिटी एंड कोलेस्ट्रॉल फाउंडेशन (N-DOC) के चेयरमैन डॉ अनूप मिश्रा कहते हैं,

अगर रोजाना 45 मिनट की एक्सरसाइज और परहेज के साथ संतुलित आहार की सलाह संस्कृत (या किसी और भाषा) में दी जाती है, तो हां डायबिटीज में राहत मिल सकती है.

डायबिटीज एक क्रोनिक मेटाबॉलिक बीमारी है, जिसमें किसी का ब्लड ग्लूकोज लेवल (ब्लड शुगर) हाई हो जाता है. ऐसा इंसुलिन का उत्पादन ना होने से या शरीर द्वारा इंसुलिन का सही से इस्तेमाल ना कर पाने के कारण या दोनों वजहों से हो सकता है.

हमारे खराब खानपान और अनहेल्दी लाइफस्टाइल के कारण बैड कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ता है और ब्लड प्रेशर का सामान्य रेंज से कम या ज्यादा होना लो या हाई बीपी की समस्या बनता है.

निष्कर्ष

डायबिटीज हो, कोलेस्ट्रॉल हो या ब्लड प्रेशर की दिक्कतें हों, इनसे बचने और निपटने के लिए एक्सपर्ट हेल्दी डाइट, हेल्दी लाइफस्टाइल, एक्सरसाइज और जरूरी दवाइयों की सलाह देते हैं.

दूसरी ओर संस्कृत एक भाषा है, जिसका प्रयोग हम संवाद स्थापित करने के लिए कर सकते हैं, लेकिन ये नहीं कह सकते कि सिर्फ संस्कृत बोलकर किसी रोग से राहत मिल सकती है. इसलिए बीजेपी सांसद के दावे का कोई आधार नहीं है.

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