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लॉकडाउन के दौरान वजन काफी बढ़ गया है? जानिए अब क्या कर सकते हैं

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कोरोना महामारी में अब तक बीते महीनों में ज्यादातर लोगों का वजन बढ़ा है, खासकर लॉकडाउन के दौरान और अब इस बढ़े हुए वजन को कम करना एक बड़ा कठिन काम है. सबसे पहले तो इसकी शुरुआत कैसे करें?

तो ठीक है, मेरी सलाह मानिए: लॉकडाउन में बढ़ा वजन घटाने के लिए, पहले इन 10 जरूरी और प्रासंगिक सवालों के जवाब तलाशें. एक बार जब आप यह काम पूरा कर लेंगे, अपने आप वजन कम होना शुरू हो जाएगा.

मेरी इस बात पर यकीन करें!

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किस वजह से वजन कम करना है?

क्या आपको आने वाली गर्मियों (उम्मीद है कि तब तक महामारी इतिहास हो जाएगी) के लिए बिकिनी बॉडी हासिल करने के लिए वजन कम करने की जरूरत है, या अपनी महामारी से पहले वाली जींस में समाने के लिए? क्या परिवार में कोई शादी हो रही है? या आपके डॉक्टर ने अल्टीमेटम दे दिया है? या शायद आखिरकार आप ज्यादा वजन और खराब इम्युनिटी के बीच संबंध समझ आ गया है?

वजम कम करने की शुरुआत करने से पहले आपके लिए यह जानना जरूरी है कि वजन कम क्यों करना है. तो, इस सवाल का ईमानदारी से जवाब दें.

क्या आपका स्ट्रेस वजन बढ़ाता है?

लोग अक्सर इमोशनल ईटिंग करते हैं क्योंकि फूड को सांत्वना या पुरस्कार के तौर पर देखा जाता है.
(फोटो: iStock)

कुछ ऐसे लोग हैं जिन्हें तनाव होने पर भूख नहीं लगती. बदकिस्मती से ऐसे लोगों की गिनती बहुत कम है. हकीकत में तो ज्यादातर लोगों के लिए वजन बढ़ना तनाव का पर्याय है. और सभी के लिए लॉकडाउन का समय बेहद तनावपूर्ण (और निराशा भरा) रहा— इसमें कोई शक नहीं है! फिर भी, लगभग इकहरी सोच (बल्कि संकुचित दृष्टि से) हम केवल कैलोरी जोड़-घटाने पर ध्यान देते हैं और इस बेहद महत्वपूर्ण फैक्टर की अनदेखी करते हैं.

अब समय आ गया है कि ऐसा करना बंद कर दें! अपनी जिंदगी में तनाव पर पूरा ध्यान दें, और इसी के अनुसार प्राथमिकता से इसका समधान करें.

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क्या-क्या खा रहे हैं, इस पर ध्यान नहीं रहता?

ऐसा सिर्फ लगता है कि हम इस मामले में बेहद सावधान हैं कि अपनी प्लेट में क्या ले रहे हैं, और देख रहे हैं कि हमारे मुंह में क्या जा रहा है. लेकिन हकीकत यह है कि “ईटिंग एम्नीशिया” या चबा-चबा कर नहीं खाना हमारे “वजन पर कंट्रोल रखने” के सभी उपायों को गड़बड़ा सकता है. सही समय आ गया है! पहचानें कि आपके साथ कितनी बुरी समस्या है और इस पर रोक लगाने के लिए कदम उठाना होगा.

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क्या आप खुद को मोटिवेट करते हैं?

ठीक है, हमेशा मोटिवेटेड रहना कठिन है, लेकिन जब आप इसे हासिल कर लेते हैं तो यह मजेदार होता है. जब आप मोटिवेट होते हैं, तो आपका मन अच्छा होता है और आप खुश होते हैं— और यह मजे करने जैसा है. मजे की कल्पना करें और इसका जबरदस्त फायदा भी पाएं!

आज से शुरुआत करते हैं और वजन घटाने के लक्ष्य को मोटिवेशन से जोड़ते हैं; उन्हें एक दूसरे से मजबूती से जोड़ लें और आप कामयाब होंगे.

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क्या आपने अपनी डाइट में कुछ फूड पर पाबंदी लगा दी है?

कुछ खास फूड पूरी तरह छोड़ना और इस पर कायम रहना सबसे कठिन सलाह है.
(फोटो: iStock)

बड़ी गलती. कोई भी फूड पूरी तरह वर्जित नहीं है. किसी चुनिंदा फूड को पूरी तरह छोड़ना और इस पर कायम रहना सबसे कठिन सलाह है— यही वजह है कि मैं कभी भी ऐसी सलाह नहीं देती. फूड को “अच्छे” या “खराब” के तौर पर देखने के बजाय इन्हें खाना नहीं है का नजरिया अपनाएं. उन फूड को मत छोड़ें जो ज्यादा कैलोरी वाले हैं— बस उनकी मात्रा घटा दें.

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दिन में ज्यादा कैलोरी ले ली तो डिनर नहीं करते हैं?

इस तस्वीर को समझें: आपका दिन बहुत ज्यादा कैलोरी वाला बीता है, और अभी आपको रात का खाना खाना है और आपको बहुत भूख लगी है! अब क्या आपको खुद को राजी (या यहां तक कि खुद को चेन से बांधकर) करना चाहिए और खाना नहीं खाना चाहिए, या क्या हल्की सजा वाला कोई तरीका है? बेशक एक रास्ता है— आपका शरीर एकदम कठोर या माफी न देने वाला नहीं है.

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सप्ताहांत पर फूड की भरमार?

सप्ताहांत निश्चित रूप से मुश्किल होता है! ढेर सारा खाली टाइम, ढेर सारा खाना और एक्सरसाइज का मूड नहीं है! और चौतरफा घेरे इस अभागी तिकड़ी के नतीजे में हममें से ज्यादातर का वजन बढ़ना ही है. जानबूझकर या सिर्फ आदतन हम रोजाना लगभग 400-500 कैलोरी अतिरिक्त (शनिवार को छोला-भटूरा का ब्रंच और अलसाई शाम एक-दो कचौड़ी!) लेते हैं.

इससे ढाई दिन के खाली समय में लगभग 1500 अतिरिक्त कैलोरी बढ़ जाती है.

अब एक साल का हिसाब निकाल लें.

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हर शाम पकोड़े की क्रेविंग बेचैन करती है?

जब आप फ्राइड फूड खाते हैं, तो आपको और अधिक की क्रेविंग होती है.
(फोटो: iStock)

सिर्फ एक पकोड़े से क्या होगा! यह क्रेविंग है, भूख नहीं. और मैं आपको बता दूं, अगर आप ख्वाहिश की अनदेखी करना सीख लें, तो क्रेविंग बमुश्किल दस मिनट रहती है. असल में यह दुष्चक्र है. क्या आपने कभी पातगोभी या फूलगोभी की ख्वाहिश की है? कभी आपने अपने मन को चिल्लाते सुना है जैसे कि टिंडा खाना, टिंडा खाना, टिंडा खाना है? कतई नहीं! फिर भी, जब आप फ्राइड फूड खाते हैं, तो ज्यादा के लिए क्रेविंग होती है; जरा सी शुगर खाएं और आप देर तक इसे खाने की ख्वाहिश करेंगे.

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आपको बैठे रहना पसंद है?

क्या आप रोजाना सुबह आधे घंटे वर्कआउट करती हैं और फिर पूरे दिन के लिए खुद को कुर्सी पर डाल देती हैं?
(फोटो: iStock)

क्या आप सप्ताह के अधिकांश दिनों में रोजाना सुबह आधे घंटे वर्कआउट के बाद अगले नौ घंटे या इससे कुछ कम-ज्यादा समय के लिए खुद को एक कुर्सी (ऑफिस चेयर, डाइनिंग चेयर, टीवी के सामने काउच वगैरह) पर डाल देते हैं? अगर इसका जवाब “हां” है तो इसे जितना जल्द मुमकिन हो दुरुस्त करने का समय आ गया है!

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आपने सूर्य को अरसे से नमस्कार नहीं कहा?

यह आपके शरीर और आत्मा दोनों को गर्माहट देगा!
(फोटो: iStock)

खुले में आएं, सूरज से छिपने और गर्मी की शिकायत करने की बजाए सूरज के साथ वक्त गुजारें. यह आपके शरीर और आत्मा दोनों को गर्माहट देगा; और यहां सबसे गर्म खबर यह है— सूरज की दिव्य किरणें आपको दुबला बनाए रखने में भी मददगार हैं!

(दिल्ली की कविता देवगन एक न्यूट्रिशनिस्ट, वेट मैनेजमेंट कंसल्टेंट और हेल्थ राइटर हैं. इन्होंने दो बुक्स ‘Don't Diet! 50 Habits of Thin People (Jaico)’ और ‘Ultimate Grandmother Hacks: 50 Kickass Traditional Habits for a Fitter You (Rupa) लिखी हैं.)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

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