ADVERTISEMENTREMOVE AD
मेंबर्स के लिए
lock close icon

क्या है प्रेग्नेंसी से जुड़ा ऑस्टियोपोरोसिस, किन महिलाओं को खतरा?

Updated
women-health
4 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

गर्भावस्था से जुड़ा ऑस्टियोपोरोसिस (जिसे प्रेग्नेंसी का ट्रांसियंट ऑस्टियोपोरोसिस भी कहा जाता है) एक दुर्लभ कंडिशन है, जिसमें एक महिला की हड्डियां गर्भावस्था के दौरान या शिशु को जन्म देने के बाद के हफ्तों में आसानी से टूट जाती हैं. इसमें आमतौर पर रीढ़ की हड्डी टूटती है और कभी-कभी कूल्हे की.

हड्डियां आमतौर पर जल्द ठीक हो जाती हैं और ज्यादातर महिलाओं के रोजाना की जिंदगी में बाधा आए बगैर ये कंडिशन ठीक भी हो जाती है.

गर्भावस्था से जुड़ी ऑस्टियोपोरोसिस आमतौर पर कम समय की होती है और जिन महिलाओं की यह स्थिति होती है, उनमें से ज्यादातर महिलाओं को बाद की प्रेग्नेंसी में टूटी हड्डियों का शिकार नहीं होना पड़ता है.

यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि जिन महिलाओं को गर्भावस्था से संबंधित ऑस्टियोपोरोसिस हुआ है, उन्हें बाद के जीवन में ऑस्टियोपोरोसिस और टूटी हड्डियों से पीड़ित होने की अधिक आशंका है या नहीं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

प्रेग्नेंसी से जुड़े ऑस्टियोपोरोसिस की वजह क्या होती है?

कुछ महिलाओं में प्रेग्नेंसी से पहले ही अस्थि घनत्व यानी बोन डेन्सिटी कम होती है, कोई पुरानी बीमारी, दवाओं या खराब जीवनशैली के परिणामस्वरूप और प्रेग्नेंसी के दौरान कैल्शियम की जरूरत भी बढ़ जाती है.

अगर प्रेग्नेंट महिला पर्याप्त कैल्शियम और विटामिन D के साथ एक हेल्दी डाइट ले रही है, तो आमतौर पर बढ़ी हुई मांग पूरी हो जाती है.

लेकिन कुछ महिलाओं में कैल्शियम और विटामिन D की कमी होती है और प्रेग्नेंसी के दौरान इनकी मांग बढ़ने से और कमी हो जाती है, इससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं.
0

प्रेग्नेंसी से जुड़े ऑस्टियोपोरोसिस का कैसे पता चलता है?

गर्भावस्था से संबंधित ऑस्टियोपोरोसिस का आमतौर पर बच्चे के जन्म तक पता नहीं चलता है.
(फोटो: iStock)

गर्भावस्था से संबंधित ऑस्टियोपोरोसिस में, जन्म के बाद या इसके तुरंत बाद ज्यादातर फ्रैक्चर होते हैं.

गर्भावस्था से संबंधित ऑस्टियोपोरोसिस का आमतौर पर बच्चे के जन्म तक पता नहीं चलता है.

  • ऐसा इसलिए है क्योंकि हड्डियां टूटने तक ऑस्टियोपोरोसिस का अपने आप में आमतौर पर कोई लक्षण नहीं होता है.

  • वहीं प्रेग्नेंसी के दौरान पीठ में दर्द काफी आम होता है, इसलिए डॉक्टर को ऑस्टियोपोरोसिस का संदेह नहीं होता है.

  • ऑस्टियोपोरोसिस का पता लगाने के लिए एक्स-रे और हड्डियों का स्कैन किया जाता है लेकिन प्रेग्नेंसी के दौरान इन चीजों से बचा जाता है.

  • शिशु के जन्म के बाद भी, इसकी पहचान में कुछ समय लग सकता है क्योंकि फ्रैक्चर से जुड़े दर्द को गर्भावस्था के बाद और प्रसव पीड़ा माना जा सकता है.

अगर शिशु के जन्म देने के बाद ऑस्टियोपोरोसिस का शक हो, तो हड्डियों की ताकत को मापने के लिए बोन डेन्सिटी (DXA) स्कैन हो सकता है, साथ ही किसी भी टूटी हुई हड्डियों का पता लगाने के लिए एक सामान्य एक्स-रे कराया जा सकता है. ऑस्टियोपोरोसिस का कारण क्या है, यह जानने के लिए दूसरे टेस्ट करवाने पड़ सकते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

प्रेग्नेंसी से जुड़े ऑस्टियोपोरोसिस का इलाज

आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान या बाद में होने वाले रीढ़ की हड्डियों में फ्रैक्चर के लिए बहुत ज्यादा मेडिकल सपोर्ट की जरूरत नहीं होती है.

इसके लिए एक अवधि तक आराम करने की जरूरत होती है ताकि हड्डी में हुआ फ्रैक्चर ठीक हो सके. अगर फ्रैक्चर के कारण होने वाला दर्द गंभीर है, तो उससे राहत पाने के लिए डॉक्टर को बताएं ताकि मरीज चलना-फिरना शुरू कर सके. ये इसलिए जरूरी है क्योंकि ज्यादा समय तक स्थिर रहने से दूसरी दिक्कतें हो सकती हैं.

अगर दर्द से राहत के लिए ली जाने वाली दवाइयों को लेकर आशंकित हैं कि ऐसे में नवजात को ब्रेस्ट फीड कराना चाहिए या नहीं तो अपने डॉक्टर से उन दवाओं के बारे में बात करना एक अच्छा होगा, जो आपके के लिए सुरक्षित हों.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

प्रेग्नेंसी से जुड़े ऑस्टियोपोरोसिस में ब्रेस्ट फीड कराना सही है?

अगर आप पर्याप्त कैल्शियम के साथ स्वस्थ आहार ले रही हैं और आपको पर्याप्त विटामिन डी मिल रहा है, तो आपको स्तनपान कराते समय विटामिन की खुराक की जरूरत नहीं है. हालांकि, अगर आप इस समय के दौरान अपने आहार के बारे में चिंतित हैं, तो आप अपने डॉक्टर से कैल्शियम और विटामिन डी की खुराक के लिए बात कर सकती हैं.

स्तनपान से मां और बच्चे दोनों को फायदा होता है और स्तनपान का निर्णय बहुत ही व्यक्तिगत होता है. विशेषज्ञ के साथ स्तनपान और गर्भावस्था से जुड़े ऑस्टियोपोरोसिस के बारे में चर्चा करना जरूरी है ताकि एक बेहतर फैसला लिया जा सके.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

ठीक होने में कितना समय लगता है?

फ्रैक्चर ठीक होने और हड्डी की ताकत को फिर प्राप्त करने में कुछ समय लगता है, इसलिए धैर्य रखना महत्वपूर्ण है और ये सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि मरीज को पर्याप्त आराम मिले. इसके लक्षणों में सुधार आमतौर पर बच्चे के जन्म के दो से छह महीने में होता है.

रीढ़ की हड्डी जो टूट गई है, अक्सर ठीक होने पर अपने मूल आकार में वापस नहीं आती है और इससे आसपास की मांसपेशियों में दर्द हो सकता है.

अगर आपको रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर हुआ है, तो आपके बच्चे के जन्म के बाद विशेष व्यायाम करना आपकी पीठ को मजबूत करने और दर्द को कम करने में मदद कर सकता है. एक फिजियोथेरेपिस्ट से व्यायाम के बारे में सलाह ली जा सकती है.

एक्सरसाइज आपको अपने फ्रैक्चर से उबरने में मदद करेगा, लेकिन सतर्क रहना और विशेषज्ञ की सलाह लेना महत्वपूर्ण है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

यह समझना भी जरूरी है कि आपका शरीर एक ट्रॉमा से गुजरा है और आपको सहायता की बहुत आवश्यकता होगी.

(डॉ यश गुलाटी, इन्द्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल में ऑर्थोपेडिक्स, ज्वॉइन्ट रिप्लेसमेंट एंड स्पाइन डिपार्टमेंट में सीनियर कंसल्टेंट हैं.)

(ये लेख आपकी सामान्य जानकारी के लिए है, यहां किसी तरह के इलाज का दावा नहीं किया जा रहा है, सेहत से जुड़ी किसी भी समस्या के लिए और कोई भी उपाय करने से पहले फिट आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह देता है.)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×