आयुर्वेद में गठिया होने की वजह पाचन में गड़बड़ी, खाने-पीने की खराब आदतें और बिगड़ा हुआ वात बताया गया है.
पाचन में आई गड़बड़ी और अनियमित मल त्याग से शरीर में टॉक्सिन जमा होते हैं. यही टॉक्सिन बिगड़े हुए वात के साथ जोड़ों में स्टोर होकर अकड़न, सूजन और दर्द देता है.
अर्थराइटिस के मरीज जोड़ों में अकड़न और दर्द से लगातार परेशान रहते हैं. हालांकि प्रकृति ने कुछ ऐसी चीजें दी हैं, जो असरदार दर्द निवारक साबित हो सकती हैं.
अर्थराइटिस में होने वाले दर्द से राहत चाहते हैं, तो यहां कुछ घरेलू नुस्खे बताए जा रहे हैं.
हल्दी
हल्दी औषधीय गुणों से भरपूर होती है और बेहद असरदार एंटी-इंफ्लेमेटरी मेडिसिन है. इसमें दो केमिकल कर्क्यूमनॉइड्स और कर्क्यूमिन पाए जाते हैं, जो दर्द से राहत देने में मददगार होते हैं. इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण के कारण दर्द और अकड़न में आराम मिलता है.
अगर आप खाने में हल्दी ले रहे हैं, तो इसमें सौंठ और काली मिर्च भी मिलाएं, जो हल्दी को एक्टिवेट करने और कई बीमारियों से लड़ने में मददगार होता है.
अलसी के बीज या तेल
फ्लैक्ससीड यानी अलसी ओमेगा-3 से भरपूर होते हैं. ये हमारे इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाते हैं और इंफ्लेमेशन घटाते हैं.
आप अपनी डाइट में अलसी शामिल कर सकते हैं. रोजाना 1-2 चम्मच अलसी के बीज लें.
अगर आपको आंतों की कोई दिक्कत हो, तो अलसी के बीज लेने की बजाए अलसी का तेल इस्तेमाल करें.
मुलेठी
मुलेठी ना सिर्फ इंफ्लेमेशन घटाता है बल्कि उन एंजाइम का प्रोडक्शन भी रोकता है, जो इंफ्लेमेशन का कारण बनते हैं.
आप मुलेठी की चाय ले सकते हैं. हालांकि जिन लोगों का ब्लड प्रेशर हाई रहता है, उन्हें इसके कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं.
इसलिए आयुर्वेदिक एक्सपर्ट की सलाह से मुलैठी लेना चाहिए.
तिल के तेल का मसाज
ये पारंपरिक नुस्खा भारतीय मेडिसिन में काफी लंबे समय से इस्तेमाल किया जा रहा है. तिल के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण के कारण जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है.
अर्थराइटिस के दर्द से राहत के लिए गर्म तिल के तेल में लहसुन का पेस्ट मिलाकर इस्तेमाल करें.
(डॉ प्रताप चौहान, जीवा आयुर्वेद के डायरेक्टर, लेखक, पब्लिक स्पीकर, टीवी पर्सनैलिटी और आयुर्वेदाचार्य हैं.)
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