ADVERTISEMENTREMOVE AD

फैटी लिवर डिजीज से निपटने के आयुर्वेदिक टिप्स 

कैसे रखें अपने लिवर का ख्याल, जानिए कुछ आयुर्वेदिक उपाय.

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

लिवर (जिगर या यकृत) मानव शरीर में आंत के ऊपरी हिस्से में दाईं तरफ मौजूद एक बड़ा और जटिल अंग है. यह 500 से ज्यादा महत्वपूर्ण काम करता है- जैसे भोजन को ईंधन में बदलना, प्रोटीन बनाना, कोलेस्ट्रॉल को प्रोसेस करना और खून से टॉक्सिन (विषाक्त पदार्थों) को बाहर निकालना और ऐसे ही दूसरे तमाम काम करता है.

लिवर के महत्वपूर्ण कामों में कार्बोहाइड्रेट को मेटाबोलाइज करना, विटामिन A, D, E, K और B 12 का स्टोर करना, फैट को एनर्जी में बदलना और कोलेस्ट्रॉल को सिंथेसाइज (संश्लेषित) करना और विनियमित करना शामिल है. ये कार्बोहाइड्रेट से प्राप्त अतिरिक्त ग्लूकोज को स्टोर करता है, जिससे शरीर में ऊर्जा की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

लिवर एकमात्र अंग है, जो खुद को दोबारा बना सकता है. यहां तक कि अगर जिगर का 75% हिस्सा खराब हो जाता है, तो भी यह बिना किसी नुकसान के रिजेनरेट हो सकता है. लिवर को सेहतमंद रखना संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए जरूरी है.

दूसरी बीमारियों के अलावा लिवर में एल्कोहलिक और नॉन-एल्कोहलिक फैटी लिवर सेहत को प्रभावित करने वाली एक आम बीमारी है. नॉन-एल्कोहलिक फैटी लिवर रोग 1980 से पहले अनजाना था. वैज्ञानिकों ने तब पता लगाया कि ज्यादा शराब पीने के अलावा मोटापा और बहुत ज्यादा फैट जैसी अन्य समस्याएं भी फैटी लिवर का कारण हो सकती हैं.

एक सामान्य लिवर में थोड़ा फैट होता है. अगर ये फैट बढ़कर लिवर के वजन के 5%-10% तक हो जाता है, तो यह एक फैटी लिवर बन जाता है. इस बीमारी से लिवर में सूजन हो जाती है, जिसके चलते वैसे ही जख्म के निशान बन जाते हैं, जैसे एल्कोहलिक फैटी लिवर में होते हैं.

नॉन-एल्कोहलिक फैटी लिवर बीमारी बढ़ रही है. ये किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन 40 और 50 की उम्र वाले लोगों को मोटापे और टाइप-2 डायबिटीज जैसी वजहों से के कारण ज्यादा रिस्क होता है. भारतीयों में लिवर फैट की अधिकता की समस्या तकरीबन 7 करोड़ वयस्क लोगों को प्रभावित करती है और ये मुख्यतः पेट की अतिरिक्त फैट, गतिहीन जीवनशैली और बहुत ज्यादा मात्रा में कार्बोहाइड्रेट व फैट लेने से होती है.

संकेत और कारण

नॉन-एल्कोहलिक फैटी लिवर आमतौर पर लक्षणों के बिना होता है, हालांकि, कभी-कभी बढ़ा हुआ लिवर, बहुत ज्यादा थकान और पेट के दाहिने हिस्से में दर्द इसके संकेत हो सकते हैं. विशेषज्ञों द्वारा बताए गए संभावित कारणों में ज्यादा वजन, मोटापा, हाई ब्लड शुगर, इंसुलिन रेजिस्टेंस और फैट का उच्च स्तर, खासकर ब्लड में ट्राइग्लाइसराइड्स हैं. जोखिम कारकों में हाई कोलेस्ट्रॉल, मोटापा, मेटाबॉलिक सिंड्रोम, टाइप 2 डायबिटीज, हाइपोपिट्यूटरिज्म और हाइपोथायरायडिज्म शामिल हैं. एल्कोहलिक और नॉन-एल्कोहलिक फैटी लीवर का पता लगाने के लिए मेडिकल टेस्ट की जरूरत होती है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या कहता है आयुर्वेद

आयुर्वेद यकृत (लिवर) को आवश्यक यौगिकों को पचाने, चयापचय (मेटाबॉलिज्म), शरीर को स्वस्थ रखने के लिए के लिए जरूरी यौगिकों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला अंग मानता है. लिवर रस धातु (क्लियर प्लाज्मा) को रक्त धातु (ब्लड) में परिवर्तित करता है, रस धातु में टॉक्सिन की पहचान करता है और उन्हें इकट्ठा करता है और खून में प्रवेश नहीं करने देता है.

लिवर और पैंक्रियाज (अग्न्याशय) पित्त दोष वाले अंग हैं. लिवर में इकट्ठा टॉक्सिन पाचन समस्याएं, थकान, एलर्जी, सोरायसिस, कोल्ड सोर्स, कब्ज और हाइपोग्लाइसीमिया का कारण बन सकते हैं. इन लक्षणों की अनदेखी करने से हेपेटाइटिस, पीलिया और सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

लाइफस्टाइल टिप्स

जीवनशैली सभी स्वास्थ्य समस्याओं का कारण है. किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लें और अपने जीवन के ढर्रे पर बात करें. एक कारगर और आसान कार्यक्रम बनाएं, जिसे आपकी निजी जिम्मेदारियों और हालात को ध्यान में रखते हुए पूरा किया जा सकता है. शुरुआत करने के लिए यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं.

  • आदर्श वजन बनाए रखें. अच्छी सेहत और मोटापा कम करने के लिए एक्सरसाइज करें
  • ऑफिस में भी घर का पका हुआ खाना खाएं
  • भूखे पेट रहने और उपवास से बचें क्योंकि यह पित्त दोष को बढ़ाता है
  • योग और ध्यान की कोशिश करें
  • शाम को जल्दी खाना खा लें और रात 10 बजे से पहले सो जाएं
  • नींद में कमी ना होने दें. अगर आप देर रात तक काम करते हैं तो आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लें
ADVERTISEMENTREMOVE AD

आयुर्वेद के सुझाव

आयुर्वेद किसी भी स्वास्थ्य समस्या का कभी अकेला इलाज नहीं करता है. यह संतुलित जीवन जीने की सलाह देता है और न्यूट्रिशन, एक्सरसाइज व आराम को एक जैसा महत्व देता है.

  • मौसमी फल-सब्जियां लें और ताजा पका खाना खाएं
  • साबुत अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियां, चुकंदर, गाजर, सेब, पपीता, मीठे रसदार फल, मीठी लस्सी, दूध, घी और ताजी दही का सेवन करें
  • प्रोसेस्ड और केमिकल युक्त फूड और शराब से परहेज करें
  • टॉक्सिन को शरीर से निकालने के लिए ढेर सारा पानी पीएं
  • फर्मेंटेड, तीखा, खट्टा और नमकीन फूड्स से बचें
  • शराब, कैफीन, तंबाकू, गर्म मसालेदार भोजन, प्री-पैकेज्ड फूड्स में भरे केमिकल्स व मेडिसिन से बचें
  • प्रदूषणकारी तत्वों से बचें
ADVERTISEMENTREMOVE AD

घरेलू उपचार

  • एक गिलास पानी उबालें. इसे गर्म होने दें. इसमें आधा नींबू का रस निचोड़ें. अच्छी तरह से मिलाएं और सुबह खाली पेट इसे पी जाएं.
  • 3-4 आंवले को कद्दूकस कर लें और इसे सलाद या तैयार सब्जी में मिला कर खाएं.
  • हर सुबह एक कप गर्म पानी में एक चम्मच आंवला पाउडर मिला कर पीएं.
  • हल्दी की चाय- एक कप पानी में एक चुटकी हल्दी उबाल लें. इसे ठंडा कर लें और एक चम्मच ताजा नींबू का रस निचोड़ कर डिटॉक्स करने के लिए पीएं.
  • एक चम्मच मेथी का बीज एक गिलास पानी में रात भर भिगो दें और सुबह पी जाएं.

फैटी लिवर एक ऐसी स्थिति है, जो कई सालों के दौरान बनती है और इसे ठीक होने में समय लगता है. सब्र और सकारात्मक दृष्टिकोण तनाव को कम करने में मदद करता है. अगर आप हर समय अपनी हालत के बारे में सोचते रहेंगे और गुस्सा या उदासी महसूस करते रहेंगे तो ठीक होने में ज्यादा समय लगेगा. धीमे और स्थिर बदलाव जादू कर सकते हैं. अपने लिवर को सेहतमंद और खुशहाल बनाने की कोशिश करें.

(नूपुर रूपा एक फ्रीलांस राइटर हैं और मदर्स के लिए लाइफ कोच हैं. वे पर्यावरण, फूड, इतिहास, पेरेंटिंग और यात्रा पर लेख लिखती हैं.)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×