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अश्‍लील साइट के बारे में हमें अपने बच्चों से कैसे बात करनी चाहिए?

चार अक्षरों के शब्द PORN के बारे में आप अपने बच्चों से बिना शर्म के कैसे बात करेंगे? 

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ये हरेक पेरेंट्स के लिए एक भयानक सपने की तरह ही होता है, जब वो अपने बच्चों की इंटरनेट हिस्ट्री को खंगालें और उसे एक्स-रेटेड पोर्न साइट से भरा हुआ पाएं. टीनेज में उत्सुकता आपके बच्चों को सिर्फ एक क्लिक पर पोर्न साइट पर पहुंचा देगा.

हाल के रिसर्च डराने वाले फैक्ट सामने ला रहे हैं. 10 साल की उम्र में ही अब बच्चे पोर्न के बारे में जान लेते हैं. तो इन चार अक्षरों के शब्द PORN के बारे में आप अपने बच्चों से कैसे बात करेंगे? आप इसका सामना कैसे करेंगे और बिना शर्म के बात कैसे करेंगे?

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पोर्न के बारे में बात करना जरूरी

अपने बच्चों को बताएं कि सेक्स में इंट्रेस्ट होना एक नॅार्मल चीज है. साथ ही बढ़ती उम्र के साथ एक जरूरी हिस्सा भी. भले ही आप अंदर से कितना भी डांटना-चीखना चाह रहे हों या आपका मन कर रहा हो कि आप बच्चे के इंटरनेट एक्सेस को ही ब्लाॅक कर दें, लेकिन किसी भी जजमेंट को दूर ही रखें.

बच्चों पर गुस्सा जाहिर न होने दें. उन्हें शर्मिंदा महसूस न करने दें, क्योंकि ये शर्मिंदगी उनके भविष्य में बनने वाले रिश्ते तक पर असर डाल सकती है.

दरअसल, बच्चे मां-बाप से इस बारे में बात करने में शर्मिंदगी महसूस करते हैं और इस पर बात करने से कतराते हैं. पेरेंट्स भी इस टाॅपिक पर बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक नहीं होते.

मुंबई बेस्ड साइकाॅलोजिस्ट सबा जिवनी कहती हैं:

बहुत अधिक खुलकर बातचीत और इंवेस्टिगेशन लेक्चर काम आ सकती हैं. बेहतर है कि सवालों के साथ बातचीत की शुरुआत हो. आराम से पूछिए कि तुमने पहली बार पोर्न कैसे देखा और कब से देख रहे हो? उनके जवाब आपको और भी सवाल पूछने के आॅप्शन देंगे और बस आप उसी के साथ चलते जाइए.
सबा जिवनी, साइकाॅलोजिस्ट, जूनो क्लिनिक

पोर्न: रियल कम, आर्टिफिशियल ज्यादा

ये जरूरी है कि आप बच्चों को बताएं कि इन वीडियो में जो दिखते हैं, वो एक्टर होते हैं और उनके शरीर सर्जरी से सुडौल बनाए जाते हैं. कोई वैसा नहीं दिखना चाहेगा.

अयोग्यता की ये भावना, बच्चे के आत्मसम्मान को नुकसान पहुंचा सकती है, लेकिन उनके सेक्सुअल नाॅलेज के लिए सही होगा, जब वह असल जीवन में उस लेवल पर आ जाएंगे.

लगातार अपने बच्चों को प्यार, इज्जत दें, उन्हें सुनें- ये चीजें उन्हें अपनी महसूस करने में मदद करेगी और उन्हें शर्म या डर से बचाएगी.
सबा जिवनी, साइकाॅलोजिस्ट, जूनो क्लिनिक
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पोर्न सेक्स असली नहीं, इमोशन ज्यादा जरूरी

गुस्सा या परेशानी महसूस करने के बजाय इस मौके का उपयोग अपने बच्चे को सहमति (कंसेंट) के बारे में बताने, उसे एजुकेट करने में करें. जब सेक्सुअल अंतरंगता की बात आए, तो उसे अपने पार्टनर के प्रति सम्मान और प्रेम करने के लिए तैयार करें. बातचीत का रास्ता खुला रखने और अपने साथी को सुनने के लिए भावनात्मक अंतरंगता उतनी ही महत्वपूर्ण है.

उसे बताएं कि पोर्न में बातचीत की कोई जगह नहीं है, यह एक एजुकेशनल टूल नहीं है.

ये आपको कहने में मदद करेगा कि सेक्स सिर्फ आपकी कामुकता की खोज या दो शरीर के बीच का काॅर्डिनेशन नहीं है. इसमें म्यूचुअल कंसेंट और अपने साथी की जरूरतों और इच्छाओं के बारे में लगातार बातचीत भी एक जरूरी हिस्सा है. 
सबा जिवनी, साइकाॅलोजिस्ट, जूनो क्लिनिक
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सेक्स: ये कोई गंदा शब्द नहीं

सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण मैसेज जो आप अपने बच्चे को दे सकते हैं, वो ये है कि उन्हें ये कहें कि सेक्स कोई गंदा शब्द नहीं है, इसलिए शर्मिन्दा होने की जरूरत नहीं. वो आपसे बात करें और सवाल पूछें और अपनी भावनाओं को साफ करें. डॉ जिवनी कहती हैं:

अगर हम बच्चों की बुराई करेंगे या उन्हें शर्मिंदा करते हैं, तो वो सेक्स को ‘मां और पापा के साथ कभी भी चर्चा नहीं करते हैं’ की कैटेगरी में रख लेंगे. गंदे लत और फैंटेसी की दुनिया में फंस जाएंगे. सेक्स की बात को अलग रखना उनका लालच बढ़ाएगा, इसलिए ये जरूरी है कि उनके लिए इस पर बातचीत के दरवाजे खुले हुए हों.

हालांकि इस बात पर कोई ठोस रिसर्च नहीं है कि पोर्न शारीरिक रूप से बच्चों पर प्रभाव डालता है या नहीं, लेकिन बच्चे के आत्मसम्मान पर इसका असर जरूर दिखाता है, जो ये बताने के लिए पर्याप्त है कि वो रिश्तों को कैसे देखते हैं?

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