मेरी 10 साल की बच्ची ने पूछा, क्या मेरे नाना सुरक्षित रहेंगे. वह शायद कहना चाहती थी कि उन्हें कोई खतरा तो नहीं होगा. मेरा जवाब उसे संतुष्ट नहीं कर पाया. पिछले कुछ घंटों में, आदमपुर के लिए एक कॉमर्शियल फ्लाइट थी. ये वही फ्लाइट थी, जिसे हमने जालंधर में उसकी ‘नानी के घर’ जाने के लिए पकड़ना था. इस फ्लाइट को भी कैंसल कर दिया गया. वह पहले से ही जानती थी कि श्रीनगर के ऊपर हवाई क्षेत्र बंद कर दिया गया था. मैं आदमपुर में फंस गई थी. आदमपुर न केवल एक विचित्र एयरपोर्ट है, बल्कि इससे भी महत्वपूर्ण कि ये मिलिट्री एयर बेस है.
पुलवामा हमले की खबरों से जुड़ी बातचीत आस-पास हो रही थी. इनमें से कुछ तथ्यात्मक और कुछ इससे अलग थीं. उदाहरण के लिए, माना जा रहा था कि रविदास जयंती पर स्कूल की छुट्टी निश्चित रूप से इसलिए थी क्योंकि पाकिस्तान हम पर हमला करने वाला था. बच्चे वही कहते हैं, जो वे अपने घर पर सुनते हैं. अफवाहों ने उन्हें भी नहीं छोड़ा था.
‘पायलट के बारे में क्या चल रहा है, वे उसका क्या करेंगे’? क्या वे बस उसे जेल में रखेंगे ', मैंने इसे सरल रखने की कोशिश की. बच्चे की जिज्ञासा को कभी कम मत समझें. ‘लेकिन वे जेल में उसका क्या करेंगे?’ एक पल के लिए पायलट के चेहरे पर खून लगी तस्वीरें आंखों के सामने से गुजरीं. हालांकि, इसके तुरंत बाद शांत विंग कमांडर अभिनंदन द्वारा अपनी चाय की चुस्की लेते हुए तस्वीरें पहले वाली तस्वीरों पर भारी पड़ गईं. इसमें उनके छोटे और आकर्षक जवाबों ने हजारों शब्द बोले.
यहां बच्चों के लिए वह असली हीरो के समान हैं, न कि ‘दंगल वाला पापा’ जो विज्ञापनों में छाए रहते हैं. उसके चेहरे पर चोट के निशान तो थे, लेकिन वह दूसरी तरह के थे. इनके बारे में बच्चों को कभी-कभी नहीं बताया जाता कि सच्चाई उनके लिए ठीक नहीं होगी. भले ही वे स्कूल बस में इसकी तोड़ी-मरोड़ी गई कहानियां सुनेंगे. यह उन्हें अधिक नुकसान पहुंचा सकता है.
इसलिए, मैंने उसे विंग कमांडर से पूछताछ वाला वीडियो दिखा दिया क्योंकि उसके पास दूसरे विकल्प भी मौजूद हैं.
युद्ध के बारे में एक मां-बेटी की बातचीत
पिछले 24 घंटों में मेरी बेटी और मैंने कुछ मुश्किल बातचीत की. पंजाब में उग्रवाद के बीच बड़े होने के बाद, मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि एक युवा दिमाग कितना संवेदनशील होता है. पूरे हालात को नहीं जानने के कारण कल्पना इसे अपनी कहानी का रूप दे सकती है. इसलिए, मैंने उससे बताया. मैंने उसे हवाई हमलों के बारे में बताया और सीमा पार कौन से आतंकी शिविर हमारे लोगों के साथ क्या कर रहे थे.
मैंने कहा, रात में जब हम सो रहे थे, उस समय करीब दर्जन भर बहादुर लोग पाकिस्तान में अंदर तक गए. उनके परिवार वालों ने उस मुश्किल भरे समय को प्रार्थना करते हुए गुजारा. उस बारे में विस्तार से बताया, जिससे कि वह उन लोगों के बारे में जान सके, जिन्होंने वापस लौटने से पहले पाकिस्तान में कुछ समय बिताया. अनुशासन और समर्पण को समझाने का इससे बेहतर तरीका नहीं है.
‘ये सही नहीं है कि हम लोग बैठकर टीवी देखते हैं, जबकि लोग देश के लिए लड़ते हैं. करने से कहना ज्यादा आसान है न ममा.’ उसकी तरफ से एक मैच्योर रिस्पॉन्स आया. उसने निश्चित रूप से तेवर और युद्ध भड़काने वाली जोशपूर्ण बातचीत सुनी. ‘ युद्ध में हर किसी की हार होती है, बच्चे. हालांकि कभी-कभी जब आप बहुत दूर धकेल दिए जाते हैं, जैसे कि हमने पुलवामा में किया आपको फिर से मूल्यांकन करना होगा. कभी कमजोर मत बनो, भले ही बहुत लोग आपकी तरफ न हों. शांति कमजोरी नहीं है.’
‘मम्मी मुझे बताओ, कितने लोग मरे?’
बच्चे तो बच्चे हैं और वे सोचेंगे कि सबसे रोमांचक क्या है. केवल शेक्सपियर और ग्रीक पौराणिक कथाओं में युद्ध के बारे में पढ़ने के बाद, वह पूरी तरह सजग थी. कुछ साल पहले कारगिल पर चर्चा थी. ‘हमने इससे पहले युद्ध किया था? कितने लोग मारे गए थे.’ भले ही पेरेंट फैक्ट्स और लॉजिक दें, एक बच्चा जानता है कि यह सब बकवास है. जब लता मंगेशकर का गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगों...’ आता है, तो थोड़ी देर के लिए ध्यान बंटता है. और इसके बाद उन लोगों के नाम आने लगते हैं, जो पुलवामा में मारे गए. उसने इन्हें सुना और देखा. और इसके बाद पूछा, ‘मुझे बताओ कितने मरे?’
रियलिज्म या यथार्थवाद की एक खुराक 10 साल के बच्चे को किस दिशा में ले जाएगी? सोशल मीडिया जेनरेशन के लिए एक लकीर खींचना बहुत मुश्किल है. ये जेनरेशन बहुत ज्यादा सक्रियता दिखाती है और हर अफवाह या बातों पर यकीन कर लेती है. उनके डर को सही ठहराना कितना सही है? भले ही वह काल्पनिक हो या वास्तविक. बच्चों की मासूमियत को बचा कर रखना अभी तक मुश्किल है.
जब हम उम्मीद करते हैं कि वे अभी भी इंद्रधनुष में विश्वास करते हैं, ऐसे में मिसाइल की व्याख्या करना उतना ही कठिन है जितना टूथ फेयरी मिथ को तोड़ना. तो, कितना ज्यादा, बहुत अधिक है? हम में से कई डरपोक हैं, जो अपने बच्चों के साथ मृत्यु जैसे मुद्दों पर चर्चा करने से कतराते हैं. लेकिन वे जानते हैं और बदतर, अपनी व्याख्या करते हैं. कभी-कभी उनकी खातिर सिर्फ साफ बात करना बेहतर होता है.
अपने बच्ची को बताया, हर जगह अच्छे और बुरे लोग हैं
मेरी बेटी अपने परिवार के इतिहास से अच्छी तरह वाकिफ है. उसने मेरे दादा-दादी के बारे में अपनी क्लास में बात की है, जो लाहौर के एक स्वतंत्रता सेनानी थे. वह उनकी कहानी जानती है और भारत-पाकिस्तान को स्पष्ट रूप से समझती है.
उसे यह भी अहसास है कि मेरे होमटाउन जालंधर से, लाहौर पास होकर भी बहुत दूर है. कभी-कभी, वह परिवार के घर के अवशेषों को देखने की इच्छा के लिए मेरी पुरानी यादों का सहारा लेती है. ’हर जगह अच्छे और बुरे लोग होते हैं’, हम इस पर चर्चा नहीं करते हैं कि यह समझाने में आसान है, लेकिन क्योंकि यह हमेशा उतना जटिल नहीं होता है. ‘आपके पास स्कूल में डराने व धमकाने वाले लोग होते हैं. इसी तरह आप यह सोचते हुए बड़े हुए कि हिंसा इसका जवाब है’. एक शर्मीली बच्ची, वह यह सब बहुत अच्छी तरह से समझती है.
लेकिन एक अभिभावक के रूप में सभी आदर्शवाद को कुचलना कठिन है. मैंने अभी भी उसे पंजाब में अपने बड़े होने के बारे में नहीं बताया है. वह एक ऐसी जगह है, जहां वह बस अपनी खुशहाली और संस्कृति के लिए प्यार करती है. वह किसी दूसरे दिन के लिए है या शायद नहीं.
उसे अचानक स्कूल में हुई कोई घटना याद आई. मम्मी मेरे दोनों टीचर आर्मी बैकग्राउंड से हैं. उन्होंने कहा कि वे एक स्कूल से दूसरे स्कूल में पढ़ते रहे. उनमें से एक के पापा उस समय भी उनके साथ नहीं थे, जब उनकी बहन का जन्म हुआ था. उसने आश्चर्य के साथ इस बात को खत्म किया. बच्चे ने मासूमियत के साथ उस चीज के बारे में बिल्कुल सही कहा.
पिछले कुछ दिनों में इतना कुछ हुआ कि हममें से कई लोगों को थाह पाना मुश्किल हो गया. लोगों ने युद्ध को लेकर इतनी उन्माद वाली बातें कहीं, लेकिन वे अपने बच्चों को वायुसेना में भेजने या मिग उड़ाने के बारे में कभी नहीं सोचेंगे. उस मामले के लिए, जोर-जोर से चिल्लाने वाले कितने लोग अपनी सुख-सुविधाओं को त्यागने और इजरायल के प्रतिरूप के उदाहरण का पालन करने के लिए सहमत होंगे?
‘ममा, हमें सशस्त्र बलों का सम्मान करना होगा, उन्हें विशेष महसूस कराना होगा ’ और एक बार के लिए मुझे खुशी हुई कि वह मेरे विचारों को दोहरा रही थी. वोट के लिए इन सभी आरक्षणों की बजाए, क्या हम कभी इन मूक लोगों को अधिक योग्य होने के रूप में स्वीकार करेंगे? या विंग कमांडर अभिनंदन जल्द ही ग्रुप कैप्टन नचिकेता की तरह गुमनाम और लंबे समय में भूला दिए जाएंगे? यह सेना का देश नहीं है, यह हमारा देश है ममा. और जैसा कि महात्मा गांधी ने कहा कि खुद में वह बदलाव लाइए, जैसा आप दुनिया में देखना चाहते हैं.
कभी-कभी, बच्चे हमें एक या दो चीजें सिखा सकते हैं.
अंत में एक बार फिर: उसे जब पता लगा कि पायलट को रिहा किया गया है. वह हंसी.
(ज्योत्सना मोहन इंडिया और पाकिस्तान के कई पब्लिकेशन में लिखती हैं. ज्योत्सना सीनियर न्यूज एंकर और एनडीटीवी में सीनियर न्यूज एडिटर रह चुकी हैं.)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)