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कैंसर के मामले घटाने में काफी मददगार हो सकती है ये वैक्सीन

इंफेक्शन, गांठ से बचाव में असरदार साबित हो रही इस वैक्सीन से घट सकते हैं कैंसर के मामले.

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लांसेट की एक रिपोर्ट के मुताबिक ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV), जिसकी वजह से सर्वाइकल कैंसर होता है, के खिलाफ सुरक्षा देने वाली वैक्सीन के कारण कई देशों की महिलाओं और लड़कियों में इंफेक्शन, जेनिटल और एनल वॉर्ट (मस्से जैसा उभार) होने के मामलों में कमी देखी गई है.

विशेषज्ञों को उम्मीद है कि इस कारण दुनिया भर में सर्वाइकल कैंसर के मामलों में काफी गिरावट देखी जाएगी.

इस विश्लेषण में 30 साल से कम उम्र के कम से कम 6 करोड़ 60 लाख महिलाओं और पुरुषों के एक दर्जन दूसरी स्टडी का डेटा शामिल किया गया, जो दुनिया के 14 विकसित, अमीर देशों में रह रहे थे. इन 14 देशों में एचपीवी के टीके 12 साल पहले यानी 2007 में शुरू किए गए थे.

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इस स्टडी में कहा गया है कि अगर ज्यादा से ज्यादा लड़कियों को एचपीवी के टीके लगाए जाएं, तो ये वैक्सिनेटेड और अनवैक्सिनेटेड लड़कियों व लड़कों दोनों को के लिए मददगार हो सकता है क्योंकि इस तरह कम से कम लोग इस वायरस के शिकार होंगे.

दुनिया भर में HPV सबसे आम सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (STD) है. ज्यादातर लोग अपनी जिंदगी में कभी न कभी इससे संक्रमित होते हैं.

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस स्टडी में शामिल लेखक और क्यूबेक के लावल यूनिवर्सिटी में बायोस्टैटिस्टिशियन ने कहा:

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के मुताबिक कई देशों में पर्याप्त वैक्सीनेशन कवरेज के जरिए सर्वाइकल कैंसर का खात्मा संभव है.

मुख्य रूप से एचपीवी की वजह से होने वाला सर्वाइकल कैंसर, भारतीय महिलाओं को होने वाला प्रमुख कैंसर है, जो दुनिया भर में महिलाओं को होने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर है और इंसानों को होने वाला पांचवां सबसे आम कैंसर है.

भारत में, सर्वाइकल कैंसर की वजह से 74,000 मौतें होती हैं और हर साल 1.32 लाख नए मामलों का पता चलता है. 15 साल और उससे अधिक उम्र की करीब 36.6 करोड़ भारतीय लड़कियों और महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर का खतरा है.

कई स्टडीज में इस वैक्सीन को प्रभावी बताया जा चुका है. फिट ने पहले इस विषय पर अपोलो हॉस्पिटल में स्त्री रोग डिपार्टमेंट की सीनियर कंसल्टेंट डॉ रंजना शर्मा से बात की थी.

जब एक ऐसी वैक्सीन है, जो इस जानलेवा कैंसर से बचा सकती है, तो इसे क्यों नहीं लगवाया जाए? कैसी हिचक है? हम अपने बच्चों को बिना कुछ और सोचे टीका इसलिए लगवाते हैं क्योंकि इससे उन्हें कई जानलेवा इंफेक्शन से बचाया जा सकता है. तो फिर ये वैक्सीन क्यों नहीं?
डॉ रंजना शर्मा, सीनियर कंसल्टेंट, स्त्री रोग, अपोलो हॉस्पिटल

एचपीवी 150 से अधिक संबंधित वायरसों का एक समूह है. ज्यादातर एचपीवी इंफेक्शन आमतौर पर नुकसानदेह नहीं होते हैं और अपने आप खत्म हो जाते हैं, लेकिन कुछ वायरस कैंसर या जेनिटल वॉर्ट की वजह बन सकते हैं. लगभग सभी सर्वाइकल कैंसर दो तरह के एचपीवी, एचपीवी 16 और एचपीवी 18 की वजह से होते हैं.

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यंग लड़कियों को टीका लगाने का कारण सिर्फ ये नहीं है कि वे अभी सेक्शुअली एक्टिव नहीं हैं बल्कि ये है कि वो टीका लगाने का सबसे अच्छा वक्त है.
डॉ रंजना शर्मा, सीनियर कंसल्टेंट, स्त्री रोग, अपोलो हॉस्पिटल

9 से 13 साल के बीच वैक्सीन देने की सलाह इसलिए दी जाती है ताकि वो ज्यादा असरदार रहे. एक सबसे स्पष्ट वजह ये है कि इससे पहले कि वे सेक्शुअली एक्टिव हों, उन्हें इम्यूनाइज कर दिया जाए.

डॉ शर्मा कहती हैं कि अगर कोई व्यस्क है, जो सेक्शुअली एक्टिव नहीं है और उसे वैक्सीन लग रही है, और एक बच्चे को वैक्सीन लग रही है, तो टीका बच्चे के लिए ज्यादा असरदार होता है.

9 और 11 साल तक के बच्चों के लिए खुराक भी कम होती है, उन्हें दो शॉट दिए जाते हैं. 11 साल और उसके बाद 6 महीनों के अंदर तीन शॉट दिए जाते हैं.

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