जिन लोगों के सिर पर बाल नहीं हैं या लगातार कम होते जा रहे हैं, उनके लिए एक खुशखबरी है. आईआईटी दिल्ली के वैज्ञानिकों ने बालों को तेजी से उगाने के लिए एक हाइइ्रोजेल विकसित किया है.
खास बात ये है कि इस जेल का जीव-जंतुओं पर टेस्ट किए बिना ही गंजेपन के इलाज में मदद मिल सकती है.
सेलुलर फिजिओलॉजी में प्रकाशित रिपोर्ट से पता चलता है कि किस तरह 3 डी तकनीक इस प्रक्रिया में मददगार हो सकती है. जीन, बीमारी, ट्रॉमा और सर्जरी जैसे कई कारणों से इंसान अस्थाई या स्थाई तौर पर गंजा हो सकता है.
अनोखा जेल गंजेपन की समस्या करेगा खत्म
गंजेपन को रोकने के लिए कई तरह के तेल, क्रीम और दवाइयां मार्केट में मौजूद हैं, लेकिन इसका सफल इलाज अभी तक एक सपना ही है.
आईआईटी, दिल्ली के एसोसिएट प्रोफेसर सौरभ घोष ने कहा, ‘‘इस तरह की समस्या का बड़ा कारण यह है कि मेडिसिन टेस्ट के लिए कोई मानव कोशिका जैसा बनावटी मॉडल नहीं है. गंजेपन को रोकने के लिए अभी मौजूद दवाओं का इस्तेमाल जंतुओं पर किया जाता है.''
‘‘मानव और जंतुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता और शारीरिक संरचना अलग होने की वजह से इस तरह की दवाओं की सफलता काफी सीमित हो जाती है.’’सौरभ घोष, प्रोफेसर, आईआईटी दिल्ली
प्रोफेसर सौरभ घोष ने कहा, ‘‘हमें मानव कोशिकाओं का इस्तेमाल कर बालों की सतह का कृत्रिम मॉडल विकसित करने की जरूरत महसूस हुई. अगर यह सफल रहा, तो इस तरह की दवाएं गंजेपन का सामना कर रहे लोगों की समस्या का समाधान कर देंगी.''
रिसर्च करने वाली टीम में बेंगलुरु स्थित आईटीसी लाइफ साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी सेंटर के शोधार्थी भी शामिल थे. उन्होंने रेशम के कीड़े से अलग किए गए रेशम प्रोटीन और जिलेटिन के मिश्रण से हाइड्रोजेल विकसित किया.
स्थाई हाइड्रोजेल सिस्टम विकसित करने के लिए टाइरोसिनासे एंजाइम का इस्तेमाल किया गया. अगर ये प्रयोग कामयाब रहा, तो अब गंजों के सिर पर 'रेशमी' बाल लहराते नजर आएंगे.
(इनपुट: भाषा)
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